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दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटके महसूस किए गए, रिक्टर स्केल पर 4.7 थी तीव्रता
दिल्ली एनसीआर में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. भूकंप का केंद्र अलवर जिले में था.
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नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर सहित उत्तर भारत में शाम के करीब सात बजे भूकंप महसूस किया गया जिसकी तीव्रता 4.7 थी. भूकंप का केंद्र राजस्थान के अलवर जिले में था. राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (एनसीएस) के मुताबिक, भूकंप शाम सात बजे महसूस किया गया जो 35 किलोमीटर की गहराई पर केंद्रित था. हरियाणा के रेवाड़ी में एक मिनट तक भूकंप के झटके महसूस किए गए.
भूकंप को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया, “कुछ देर पहले दिल्ली में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए. उम्मीद है आप सभी सुरक्षित है, अपना ख़्याल रखें.”
कुछ देर पहले दिल्ली में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए। उम्मीद है आप सभी सुरक्षित है, अपना ख़्याल रखें।
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) July 3, 2020
भूकंप के दौरान सतर्कता से जुड़ी कुछ जरूरी बातें:
-अगर आप किसी इमारत के अंदर हैं तो फर्श पर बैठ जाएं और किसी मजबूत फर्नीचर के नीचे चले जाएं. यदि कोई मेज या ऐसा फर्नीचर न हो तो अपने चेहरे और सर को हाथों से ढंक लें और कमरे के किसी कोने में दुबककर बैठ जाएं. -अगर आप इमारत से बाहर हैं तो इमारत, पेड़, खंभे और तारों से दूर हट जाएं. -अगर आप किसी वाहन में सफर कर रहे हैं तो जितनी जल्दी हो सके वाहन रोक दें और वाहन के अंदर ही बैठे रहें. -अगर आप मलबे के ढेर में दब गए हैं तो माचिस कभी न जलाएं, न तो हिलें और न ही किसी चीज को धक्का दें. -मलबे में दबे होने की स्थिति में किसी पाइप या दीवार पर हल्के-हल्के थपथपाएं, जिससे कि बचावकर्मी आपकी स्थिति समझ सकें. अगर आपके पास कोई सीटी हो तो उसे बजाएं. -कोई चारा न होने की स्थिति में ही शोर मचाएं. शोर मचाने से आपकी सांसों में दमघोंटू धूल और गर्द जा सकती है. -अपने घर में हमेशा आपदा राहत किट तैयार रखें.
भूकंप आता कैसे है? पृथ्वी की बाहरी सतह सात प्रमुख और कई छोटी पट्टियों में बंटी होती है. 50 से 100 किलोमीटर तक की मोटाई की ये परतें लगातार घूमती रहती हैं. इसके नीचे तरल पदार्थ लावा होता है और ये परतें (प्लेटें) इसी लावे पर तैरती रहती हैं और इनके टकराने से ऊर्जा निकलती है, जिसे भूकंप कहते हैं.
भारतीय उपमहाद्वीप को भूकंप के खतरे के लिहाज से सीसमिक जोन 2,3,4,5 जोन में बांटा गया है. पांचवा जोन सबसे ज्यादा खतरे वाला माना जाता है. पश्चिमी और केंद्रीय हिमालय क्षेत्र से जुड़े कश्मीर, पूर्वोत्तर और कच्छ का रण इस क्षेत्र में आते हैं.
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