नई दिल्ली: दिल्ली एनसीआर में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. इसका केंद्र उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में जमीन से 30 किमी नीचे था. भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 5.5 मापी गयी है. जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में भी झटके महसूस किए गए. अभी तक किसी भी प्रकार के जानमाल के नुकसान की खबर नहीं है.
सोनीपत, गुड़गांव, दिल्ली गाजियाबाद, गुड़गांव, फरीदाबाद और नोएडा में झटके महसूस किए गए. जानकारी के मुताबिक रात 8 बजकर 49 मिनट पर पांच से दस सेकेंड के लिए झटके महसूस किए गए.
भूकंप का केंद्र 30 किलोमीटर गहरा था और इसके झटके सामान्य माने गए हैं. उत्तराखंड में पिछले 24 घंटे में दूसरी बार भूकंप आया है. इससे पहले मंगलवार को राज्य में 3.3 तीव्रता का भूकंप आया था.
उत्तराखंड में दहशत में लोग घरों से बाहर की ओर दौड़े
उत्तराखंड के ज्यादातर हिस्सों में आज रात भूकंप के तेज झटके महसूस किये गये जिससे घबराकर लोग घरों से बाहर खुले स्थानों की ओर दौड़ पड़े. मौसम केंद्र के अनुसार, रात आठ बजकर 50 मिनट पर आये रिक्टर पैमाने पर 5.5 तीव्रता के मापे गये इस भूकंप का केंद्र प्रदेश के रूद्रप्रयाग जिले में धरती से 30 किलोमीटर नीचे आंका गया है.
हालांकि, प्रदेश में कहीं से किसी नुकसान की फिलहाल खबर नहीं है. प्रदेश के पुलिस महानिदेशक अनिल रतूडी ने बताया कि अभी तक कहीं से जान-माल के किसी नुकसान की खबर नहीं मिली है. 1991 में उत्तरकाशी और 1999 में चमोली में आये विनाशकारी भूकंप की तबाही झेल चुके लोग इन तेज झटकों से एक बार फिर दहशतजदा हो गये और बाहर की ओर दौड़ पड़े.
राजधानी देहरादून में भी भूकंप से दहशत में आये लोग घरों से बाहर निकल आये. रूद्रप्रयाग से सटे पर्वतीय चमोली जिले के गैरसैंण में कल से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र के लिए वहां मौजूद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को भी भूकंप के झटके महसूस हुए. उन्होंने बताया कि उनके मेज पर पड़ा पानी का गिलास तेजी से हिलने लगा. गैरसैंण के निकट गौचर में रात्रि विश्राम के लिये रुके पुलिस महानिदेशक रतूडी ने बताया कि भूकंप के झटके इतने तीव्र थे कि वह खुद कमरे से बाहर निकल कर सुरक्षित स्थान पर आ गये.
भूकंप का केंद्र माने जा रहे रूद्रप्रयाग जिले के जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि झटके तेज होने की वजह से लोग घबराहट के मारे बाहर निकल आये. हालांकि, उन्होंने कहा कि जिले में सब सुरक्षित है. उन्होंने कहा कि हर स्थान से जानकारी ले ली गयी है और कहीं से किसी नुकसान की खबर नहीं है.
भूकंप के दौरान सतर्कता से जुड़ी कुछ जरूरी बातें:
– अगर आप किसी इमारत के अंदर हैं तो फर्श पर बैठ जाएं और किसी मजबूत फर्नीचर के नीचे चले जाएं. यदि कोई मेज या ऐसा फर्नीचर न हो तो अपने चेहरे और सर को हाथों से ढंक लें और कमरे के किसी कोने में दुबककर बैठ जाएं.
-अगर आप इमारत से बाहर हैं तो इमारत, पेड़, खंभे और तारों से दूर हट जाएं.
– अगर आप किसी वाहन में सफर कर रहे हैं तो जितनी जल्दी हो सके वाहन रोक दें और वाहन के अंदर ही बैठे रहें.
-अगर आप मलबे के ढेर में दब गए हैं तो माचिस कभी न जलाएं, न तो हिलें और न ही किसी चीज को धक्का दें.
-मलबे में दबे होने की स्थिति में किसी पाइप या दीवार पर हल्के-हल्के थपथपाएं, जिससे कि बचावकर्मी आपकी स्थिति समझ सकें. अगर आपके पास कोई सीटी हो तो उसे बजाएं.
कोई चारा न होने की स्थिति में ही शोर मचाएं. शोर मचाने से आपकी सांसों में दमघोंटू धूल और गर्द जा सकती है.
– अपने घर में हमेशा आपदा राहत किट तैयार रखें.
भूकंप आता कैसे है?
पृथ्वी की बाहरी सतह सात प्रमुख एवं कई छोटी पट्टियों में बंटी होती है. 50 से 100 किलोमीटर तक की मोटाई की ये परतें लगातार घूमती रहती हैं. इसके नीचे तरल पदार्थ लावा होता है और ये परतें (प्लेटें) इसी लावे पर तैरती रहती हैं और इनके टकराने से ऊर्जा निकलती है, जिसे भूकंप कहते हैं.
भारतीय उपमहाद्वीप को भूकंप के खतरे के लिहाज से सीसमिक जोन 2,3,4,5 जोन में बांटा गया है. पांचवा जोन सबसे ज्यादा खतरे वाला माना जाता है. पश्चिमी और केंद्रीय हिमालय क्षेत्र से जुड़े कश्मीर, पूर्वोत्तर और कच्छ का रण इस क्षेत्र में आते हैं.