दक्षिण गुजरात में भूकंप के झटके, नुकसान की कोई खबर नहीं
Earthquake in Gujarat: गुजरात में आज भूकंप के झटके महसूस किये गये. सूरत नवसारी, तापी, वलसाड में भूकंप के बाद अफरातफरी मच गई. लोगों को तेजी से बाहर सुरक्षित स्थान पर जाते देखा गया. भूकंप का केंद्र भरूच बताया जा रहा है.
नई दिल्ली: गुजरात में आज भूकंप के हल्के झटके महसूस किये गये. सूरत नवसारी, तापी, वलसाड में भूकंप के बाद अफरातफरी मच गई. लोगों को तेजी से बाहर सुरक्षित स्थान पर जाते देखा गया. भूकंप का केंद्र भरूच बताया जा रहा है. भूकंप से जान-माल के नुकसान की खबर नहीं है. रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 3.7 मापी गई.
अधिकारियों ने बताया कि भूकंप शाम चार बजकर 56 मिनट पर आया. गांधीनगर के इंस्टीट्यूट ऑफ सिस्मोलॉजिकल रिसर्च के एक अधिकारी ने कहा, ''रिक्टर स्केल पर भूकंप की 3.7 मापी गई. इसका केंद्र पूर्व भरूच से 38 किमी दक्षिणपूर्व में था.'' भरूच के कलेक्टर रवि अरोड़ा ने कहा कि भूकंप के कारण किसी नुकसान की खबर नहीं है. उन्होंने कहा , ‘‘ लोगों को हल्के झटके महसूस हुए. भूकंप की तीव्रता कम थी और कोई नुकसान नहीं हुआ.’’
भूकंप के दौरान सतर्कता से जुड़ी कुछ जरूरी बातें:
– अगर आप किसी इमारत के अंदर हैं तो फर्श पर बैठ जाएं और किसी मजबूत फर्नीचर के नीचे चले जाएं. यदि कोई मेज या ऐसा फर्नीचर न हो तो अपने चेहरे और सर को हाथों से ढंक लें और कमरे के किसी कोने में दुबककर बैठ जाएं.
-अगर आप इमारत से बाहर हैं तो इमारत, पेड़, खंभे और तारों से दूर हट जाएं.
– अगर आप किसी वाहन में सफर कर रहे हैं तो जितनी जल्दी हो सके वाहन रोक दें और वाहन के अंदर ही बैठे रहें.
-अगर आप मलबे के ढेर में दब गए हैं तो माचिस कभी न जलाएं, न तो हिलें और न ही किसी चीज को धक्का दें.
-मलबे में दबे होने की स्थिति में किसी पाइप या दीवार पर हल्के-हल्के थपथपाएं, जिससे कि बचावकर्मी आपकी स्थिति समझ सकें. अगर आपके पास कोई सीटी हो तो उसे बजाएं.
कोई चारा न होने की स्थिति में ही शोर मचाएं. शोर मचाने से आपकी सांसों में दमघोंटू धूल और गर्द जा सकती है.
– अपने घर में हमेशा आपदा राहत किट तैयार रखें.
भूकंप आता कैसे है?
पृथ्वी की बाहरी सतह सात प्रमुख एवं कई छोटी पट्टियों में बंटी होती है. 50 से 100 किलोमीटर तक की मोटाई की ये परतें लगातार घूमती रहती हैं. इसके नीचे तरल पदार्थ लावा होता है और ये परतें (प्लेटें) इसी लावे पर तैरती रहती हैं और इनके टकराने से ऊर्जा निकलती है, जिसे भूकंप कहते हैं.
भारतीय उपमहाद्वीप को भूकंप के खतरे के लिहाज से सीसमिक जोन 2,3,4,5 जोन में बांटा गया है. पांचवा जोन सबसे ज्यादा खतरे वाला माना जाता है. पश्चिमी और केंद्रीय हिमालय क्षेत्र से जुड़े कश्मीर, पूर्वोत्तर और कच्छ का रण इस क्षेत्र में आते हैं.