Earthquake Zones: राजधानी दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत में देर रात भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.3 दर्ज की गई, इसकी गहराई जमीन से 10 किमी नीचे थी. भूकंप का केंद्र नेपाल में था, लेकिन भारत तक इसका पूरा असर देखा गया. अब भूकंप को लेकर लोगों के मन में एक बार फिर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. जिनमें एक सवाल ये भी है कि भारत के कौन से इलाके भूकंप के सबसे खतरनाक जोन में आते हैं. 


सबसे खतरनाक जोन में 11 फीसदी हिस्सा 
दरअसल भूकंप को लेकर पूरे देश को पांच जोन में बांटा गया है. ये पांच जोन बताते हैं कि कौन से राज्य या इलाकों में भूकंप का सबसे ज्यादा खतरा है. इसमें पांचवें जोन को सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है, यानी इस जोन में नुकसान की सबसे ज्यादा आशंका बनी रहती है, साथ ही तीव्रता भी ज्यादा हो सकती है. देश का करीब 11 फीसदी हिस्सा पांचवें जोन में आता है, वहीं 18 फीसदी चौथे और 30 फीसदी तीसरे जोन में आता है. बाकी बचे हिस्से पहले और दूसरे जोन में आते हैं. देश का कुल 59 फीसदी हिस्सा भूकंप की जद में आता है. 


पांच जोन में कौन से हिस्से?
भूकंप के सबसे हाई रिस्क यानी पांचवें जोन में आने वाले राज्य जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, असम, नागालैंड, हिमाचल प्रदेश, अंडमान निकोबार, बिहार और मणिपुर हैं. यहां के कई इलाके भूकंप के पांचवें जोन में आते हैं. अगर राज्यों में स्थित इलाकों की बात करें तो गुजरात का कच्छ और भुज, बिहार में दरभंगा, असम में गुवाहाटी, मणिपुर में इंफाल, असम में सादिया, जोरहाट और तेजपुर, हिमाचल में मंडी और उत्तराखंड में अल्मोड़ा जैसी जगहों पर भूकंप का सबसे ज्यादा खतरा है. 


अब चौथे जोन की बात करें तो इसमें भी जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के कुछ हिस्से शामिल हैं. वहीं इस जोन में हरियाणा, दिल्ली, सिक्किम और पंजाब के भी कुछ हिस्से हैं. चौथे जोन में बिहार, महाराष्ट्र, पश्चिमी राजस्थान और पश्चिम बंगाल के भी कुछ हिस्से शामिल हैं. 


भूकंप के तीसरे जोन में हरियाणा के कुछ हिस्से, गुजरात और पंजाब के कुछ हिस्से और केरल, लक्षद्वीप और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्से शामिल हैं. इसके अलावा इस जोन में पश्चिमी राजस्थान, झारखंड, महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्यों के कुछ हिस्से भी शामिल हैं. हालांकि इस तीसरे जोन में आने वाले इलाकों में चौथे और पांचवें के मुकाबले खतरा काफी कम होता है. 


देश का बाकी बचा हुआ हिस्सा दूसरे और पहले जोन में आता है. पहला जोन वो होता है जिसमें खतरा न के बराबर रहता है, इसीलिए इन इलाकों में या तो भूकंप के झटके बिल्कुल महसूस नहीं होते हैं और अगर होते भी हैं तो ये काफी मामूली हो सकते हैं. दूसरे जोन में तमिलनाडु, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और ओडिशा जैसे राज्यों के कुछ इलाके शामिल हैं. 


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