जम्मू-कश्मीर में 5.3 की तीव्रता वाले भूकंप के झटके, कोई हताहत नहीं
आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि भूकंप रात आठ बजकर 13 मिनट पर आया. उन्होंने बताया कि भूकंप का केंद्र उत्तर में 34.3 डिग्री अक्षांश और पूर्व में 78.3 डिग्री देशान्तर पर 10 किमी की गहराई था.
श्रीनगरः जम्मू-कश्मीर में आज रात 5.3 की तीव्रता वाले भूकंप के झटके महसूस किए गए, लेकिन किसी के हताहत होने की कोई खबर नहीं है. आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि भूकंप रात आठ बजकर 13 मिनट पर आया. उन्होंने बताया कि भूकंप का केंद्र उत्तर में 34.3 डिग्री अक्षांश और पूर्व में 78.3 डिग्री देशान्तर पर 10 किमी की गहराई था.
आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारी ने बताया कि किसी तरह के जान-माल के नुकसान की कोई खबर नहीं है.
An earthquake of magnitude 5.3 struck #JammuAndKashmir at 08:13 pm today: IMD
— ANI (@ANI) October 29, 2018
इससे पहले 21 अक्टूबर को जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. ये भूकंप के हल्के झटके थे लेकिन इसके बावजूद लोगों में दहशत फैल गई थी और लोग अपने अपने घरों से बाहर निकल आए थे. हालांकि रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 3.3 मापी गई. बता दें कि पिछले कुछ दिनों में कई बार जम्मू में हल्के भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं.
भूकंप के दौरान सतर्कता से जुड़ी कुछ जरूरी बातें:
अगर आप किसी इमारत के अंदर हैं तो फर्श पर बैठ जाएं और किसी मजबूत फर्नीचर के नीचे चले जाएं. यदि कोई मेज या ऐसा फर्नीचर न हो तो अपने चेहरे और सर को हाथों से ढंक लें और कमरे के किसी कोने में दुबककर बैठ जाएं.
अगर आप इमारत से बाहर हैं तो इमारत, पेड़, खंभे और तारों से दूर हट जाएं.
अगर आप किसी वाहन में सफर कर रहे हैं तो जितनी जल्दी हो सके वाहन रोक दें और वाहन के अंदर ही बैठे रहें.
अगर आप मलबे के ढेर में दब गए हैं तो माचिस कभी न जलाएं, न तो हिलें और न ही किसी चीज को धक्का दें.
मलबे में दबे होने की स्थिति में किसी पाइप या दीवार पर हल्के-हल्के थपथपाएं, जिससे कि बचावकर्मी आपकी स्थिति समझ सकें. अगर आपके पास कोई सीटी हो तो उसे बजाएं.
कोई चारा न होने की स्थिति में ही शोर मचाएं. शोर मचाने से आपकी सांसों में दमघोंटू धूल और गर्द जा सकती है.
अपने घर में हमेशा आपदा राहत किट तैयार रखें.
भूकंप आता कैसे है? पृथ्वी की बाहरी सतह सात प्रमुख और कई छोटी पट्टियों में बंटी होती है. 50 से 100 किलोमीटर तक की मोटाई की ये परतें लगातार घूमती रहती हैं. इसके नीचे तरल पदार्थ लावा होता है और ये परतें (प्लेटें) इसी लावे पर तैरती रहती हैं और इनके टकराने से ऊर्जा निकलती है, जिसे भूकंप कहते हैं.
भारतीय उपमहाद्वीप को भूकंप के खतरे के लिहाज से सीसमिक जोन 2,3,4,5 जोन में बांटा गया है. पांचवा जोन सबसे ज्यादा खतरे वाला माना जाता है. पश्चिमी और केंद्रीय हिमालय क्षेत्र से जुड़े कश्मीर, पूर्वोत्तर और कच्छ का रण इस क्षेत्र में आते हैं.