Earthquake prediction: कब आएगा भूकंप? महीनों पहले मिल जाएगी जानकारी, लेकिन वैज्ञानिकों के सामने आई ये चुनौती
Earthquake Prediction Research: रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है कि जहां भीषण भूकंप आए थे, वहां करीब साल भर पहले टेक्टोनिक गतिविधियां शुरू हो गई थीं. उनका दायरा 40 मीटर था.
Earthquake Prediction Research Technology: हाल ही में तुर्की और सीरिया में आए भीषण भूकंप के बाद नेपाल में भी मची तबाही को देखते हुए वैज्ञानिकों ने एक राहत की खबर दी है. भूकंप की घटनाओं के अध्ययन के बाद इस बात के संकेत मिले हैं कि जहां विनाशकारी भूकंप आए थे वहां करीब साल भर पहले ही भूकंपीय गतिविधियां शुरू हो गई थीं. यानि अगर तकनीक की मदद से संभावित भूकंप वाले क्षेत्रों में लगातार अध्ययन किया जाए तो साल भर पहले ही भूकंप की भविष्यवाणी की जा सकेगी. इससे संभावित जान माल के नुकसान को कम किया जा सकेगा.
तुर्की और सीरिया के विनाशकारी भूकंप के अध्ययन से मिली जानकारी
नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित शोध में इस बात का खुलासा किया गया है. यह शोध इसी साल फरवरी में तुर्की और सीरिया में आए विनाशकारी 7.8 तीव्रता के भूकंप पर केंद्रित है. इन बड़े भूकंपों से लगभग आठ महीने भूकंपीय गतिविधियां शुरू हो गई थी जिनकी स्टडी के बाद यह दावा किया जा रहा है.
50 हजार से अधिक लोगों की हुई मौत
इस साल तुर्की और सीरिया में आए भूकंपों में 50 हजार 700 से अधिक लोगों की जान चली गई थी जबकि घायलों की संख्या इससे दोगुनी थी. इतना ही नहीं भूकंप के प्रकोप से तीन लाख 45 हजार अपार्टमेंटों और करीब 40 लाख इमारतों को नुकसान पहुंचा था.
भूकंप के केंद्र के 40 मील के भीतर शुरू हो गई थीं गतिविधियां
अध्ययन में पता चला कि तुर्की-सीरिया में भूकंप का केंद्र जहां था वहां से 40 मील के दायरे में भूकंपीय गतिविधियां 8 महीने पहले से ही रिकॉर्ड की जाने लगी थीं. पूर्वी अनातोलियन फॉल्ट जोन में भूकंप उत्पन्न हुआ था, जो मुख्य फॉल्ट तक फैलने से पहले एक द्वितीयक फॉल्ट से शुरू हुआ. अध्ययन ने भूकंप से लगभग आठ महीने पहले भूकंप के केंद्र के 40 मील के भीतर बढ़े हुए भूकंपीय संकेतों और बड़ी ऊर्जा रिलीज की पहचान की गई है. विशेष रूप से, ये संकेत एक द्वितीयक फॉल्ट पर प्रकट होते हैं, जिन्हें अक्सर भूकंपीय आकलन में नजरअंदाज कर दिया जाता है.
भूंकप की तीव्रता का पता लगा पाना चुनौतीपूर्ण
इस शोध के मुख्य लेखक पेट्रीसिया मार्टिनेज़-गार्जोन हैं. हालांकि उनका यह भी कहना है कि भूंकप के सटीक तीव्रता का पता लगा पाना बेहद चुनौतीपूर्ण काम है. फिलहाल हमारे पास जो तकनीक है वह भूकंपीय गतिविधियों को तो रिकॉर्ड कर सकते हैं लेकिन यह कितना तीव्र होगा इसका अनुमान लगाना मुश्किल है. इसीलिए उन्होंने तकनीक में और अधिक रिसर्च का सुझाव दिया है ताकि भूकंप की तीव्रता का भी आकलन किया जा सके.
उन्होंने कहा है कि संभावित रूप से भूकंप के पूर्वानुमान में योगदान देने के लिए प्रयोगशाला प्रयोगों के साथ क्षेत्रीय जांच का संयोजन महत्वपूर्ण माना जाता है. रिसर्च के मुताबिक बड़े भूकंपों से होने वाले भारी विनाश को देखते हुए भविष्यवाणी तकनीकों में कोई भी प्रगति भूकंप के पूर्वानुमान में मददगार साबित हो सकती हैं.
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