अब अंडमान निकोबार में भूकंप के झटके, रिक्टर स्केल 4.3 की तीव्रता, जानिए कैसे आता है भूकंप
पृथ्वी की बाहरी सतह सात प्रमुख और कई छोटी पट्टियों में बंटी होती है. इसके नीचे तरल पदार्थ लावा होता है और ये परतें (प्लेटें) इसी लावे पर तैरती रहती हैं और इनके टकराने से ऊर्जा निकलती है, जिसे भूकंप कहते हैं.
नई दिल्ली: आज तड़के अंडमान निकोबार द्वीप समूह पर भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल 4.3 मापी गई है. भूकंप का केंद्र दिगलीपुर से 110 किमी उत्तर-पश्चिम के इलाके में सतह से 50 किमी नीचे बताया जा रहा है. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, भूकंप मंगलवार-बुधवार की दरमियानी रात दो बजकर 17 मिनट पर आया. इस दौरान किसी भी तरह की क्षति और जानमाल की हानि की खबर सामने नहीं आई है.
आए दिन भूकंप के झटके किए जा रहे महसूस इससे पहले कश्मीर में मंगलवार को सुबह 8.15 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. रिक्टर पैमाने पर तीव्रता 3.9 मापी गई थी. भूकंप का केंद्र श्रीनगर शहर से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित था. भूकंप से कश्मीर में पहले बड़े पैमाने पर नुकसान हो चुका है, क्योंकि घाटी अत्यधिक संवेदनशील भूकंपीय क्षेत्र में स्थित है. साल 2005 में 8 अक्टूबर को आए भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 7.6 दर्ज की गई थी, इस दौरान 80,000 से अधिक लोगों की जान चली गई थी.
मंगलवार को ही इंडोनेशिया के मलुकु प्रांत में भूकंप के झटके महसूस किए गए. रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 5.8 दर्ज की गई. भूकंप दिन में 11.56 बजे आया, जिसका केंद्र बुरु जिले के दक्षिणपश्चिम से 126 किलोमीटर और समुद्र तल से 10 किलोमीटर नीचे था. हालांकि इस भूकंप की वजह से सुनामी नहीं आया.
दिल्ली-एनसीआर में भूकंप दिल्ली सहित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में पिछले दो महीने में 12-13 बार भूकंप के झटके लग चुके हैं. में सोमवार दोपहर को भी हल्का भूकंप आया, जिसकी रिक्टर पैमाने पर तीव्रता 2.1 मापी गई.
लगातार आ रहे भूकंप के पीछे विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वक्त में यह एनसीआर के लिए बड़े खतरे का संकेत है. लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है. बताया जा रहा है कि दिल्ली-एनसीआर में धरती के अंदर प्लेटों के एक्टिव होने से ऊर्जा निकल रही है, जिससे रह-रहकर झटके महसूस हो रहे हैं.
बता दें कि भूकंप के लिहाज से 4 सिस्मिक जोन (2,3,4,5) में देश बंटा है. दिल्ली-एनसीआर जोन 4 में आता है. यह तबाही के मामले में दूसरे नंबर का जोन है. इस जोन में रिक्टर पैमाने पर सात से आठ तीव्रता का भूकंप आने की आशंका रहती है. दिल्ली-एनसीआर भूकंप के लिहाज से प्रबल खतरे वाले जोन हैं.
भूकंप के दौरान सतर्कता से जुड़ी कुछ जरूरी बातें:
- अगर आप किसी इमारत के अंदर हैं तो फर्श पर बैठ जाएं और किसी मजबूत फर्नीचर के नीचे चले जाएं. यदि कोई मेज या ऐसा फर्नीचर न हो तो अपने चेहरे और सर को हाथों से ढंक लें और कमरे के किसी कोने में दुबककर बैठ जाएं.
- अगर आप इमारत से बाहर हैं तो इमारत, पेड़, खंभे और तारों से दूर हट जाएं.
- अगर आप किसी वाहन में सफर कर रहे हैं तो जितनी जल्दी हो सके वाहन रोक दें और वाहन के अंदर ही बैठे रहें.
- अगर आप मलबे के ढेर में दब गए हैं तो माचिस कभी न जलाएं, न तो हिलें और न ही किसी चीज को धक्का दें.
- मलबे में दबे होने की स्थिति में किसी पाइप या दीवार पर हल्के-हल्के थपथपाएं, जिससे कि बचावकर्मी आपकी स्थिति समझ सकें. अगर आपके पास कोई सीटी हो तो उसे बजाएं.
- कोई चारा न होने की स्थिति में ही शोर मचाएं. शोर मचाने से आपकी सांसों में दमघोंटू धूल और गर्द जा सकती है.
- अपने घर में हमेशा आपदा राहत किट तैयार रखें.
भूकंप आता कैसे है? पृथ्वी की बाहरी सतह सात प्रमुख और कई छोटी पट्टियों में बंटी होती है. 50 से 100 किलोमीटर तक की मोटाई की ये परतें लगातार घूमती रहती हैं. इसके नीचे तरल पदार्थ लावा होता है और ये परतें (प्लेटें) इसी लावे पर तैरती रहती हैं और इनके टकराने से ऊर्जा निकलती है, जिसे भूकंप कहते हैं.
भारतीय उपमहाद्वीप को भूकंप के खतरे के लिहाज से सीसमिक जोन 2,3,4,5 जोन में बांटा गया है. पांचवा जोन सबसे ज्यादा खतरे वाला माना जाता है. पश्चिमी और केंद्रीय हिमालय क्षेत्र से जुड़े कश्मीर, पूर्वोत्तर और कच्छ का रण इस क्षेत्र में आते हैं.
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