दिल्ली में तीन बड़े लैंडफिल साइट दिल्ली के लिए मुसीबत के पहाड़ बन चुके हैं. इन कूड़े के पहाड़ों पर बार-बार दुर्घटनाएं होना भी आम बात है. कल यानी 28 मार्च को एक बार फिर गाजीपुर लैंडफिल साइट पर बड़ी आग लग गई, जिसकी वजह से आसपास के लोगों का सांस लेना तक मुश्किल हो गया.
पूर्वी दिल्ली नगर निगम के तहत आने वाले दिल्ली के इस सबसे बड़े लैंडफिल साइट ने प्रशासन और लोगों दोनों को ही मुश्किल में डाल रखा है. यहां पर इस वक्त 140 लाख टन कूड़े का पहाड़ है. यहां पर बार-बार आग लगती रहती है. गर्मियों के मौसम में ये आम घटना है. 2022 में आग लगने की भले ही ये पहली घटना हो, पर अब तक तीन सालों में यहां 18 बार आग लग चुकी है.
निकाय के अनुसार, दिल्ली में कुल 11,400 टन कूड़ा पैदा होता है. इसमें से लगभग 6,200 टन गाजीपुर, ओखला और भलस्वा के लैंडफिल में फेंका जाता है. बाकी 5,200 टन कूड़े को कम्पैक्टर और कचरे को ऊर्जा में परिवर्तित करने वाले संयंत्रों (डब्ल्यूटीई) की सहायता से स्थानीय स्तर पर प्रोसेस किया जाता है. हर दिन आने वाले कूड़े की मात्रा के लिहाज से वेस्ट मैनेजमेंट की ठोस व्यवस्था नहीं होने के कारण कूड़े का पहाड़ तेजी से कम नहीं हो रहा है.
कूड़े के पहाड़ को हटाने की योजना
पूर्वी दिल्ली नगर निगम के मेयर श्याम सुंदर अग्रवाल का दावा है कि योजनानुसार अगले ढाई साल में कूड़े का पहाड़ यहां से हट चुका होगा. उन्होंने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत करते हुए कहा, "अभी तक वहां 140 लाख टन कूड़ा है. हमने ढाई साल में 50 लाख टन कूड़ा हटाने का निर्णय लिया है. इसके लिए हमने टेंडर भी जारी कर दिया है. जो भी कंपनी आएगी, उसे इस योजना पर जल्द से जल्द काम करना होगा. 10 एकड़ जमीन खाली करके देनी होगी. उस जमीन पर हम ट्रीटमेंट प्लांट लगाने वाले हैं. यह हमारी योजना है कि 15-20 दिन के अंदर टेंडर पास कर दिया जाए." मेयर ने जानकारी दी कि लैंडफिल से जो मिट्टी निकलेगी उस मिट्टी का इस्तेमाल नेशनल हाईवे बनाने के लिए होगा. मिट्टी की टेस्टिंग हो चुकी है.
कब तक पूरी होगी योजना?
इस सवाल के जवाब में मेयर कहते हैं, "हमने NGT को ढाई साल का समय दिया है. अभी 2 साल 9 महीने बाकी हैं. जो भी कंपनी आएगी, वह दिसंबर 2024 तक 50 लाख टन कूड़े का निस्तारण कर देगी. मशीनें मंगाई जाएंगी, कंपनियों को दिया जाएगा. 2024 तक यह पहाड़ खत्म हो जाएगा. कूड़े का निस्तारण अच्छी तरीके से हो इसके लिए हमने सभी ढलावों को बंद किया. 37 कंपैक्टर प्लांट लगाए गए हैं. इससे 7 टन कूड़ा 1 टन बन जाता है. दिल्ली सरकार को योजना बनानी चाहिए कि यहां जो नाला है उसके भी ट्रीटमेंट का प्लांट वहां लगे. साइट पर मशीनें लगवा दी गई हैं जो कि कई लाख टन कूड़े का निस्तारण करती हैं. बारिश के वक्त दिक्कत होती है जब मशीन नहीं चलती है. वरना हर मौसम में मशीनें चलती रहती हैं. इस पहाड़ को हमने 15 मीटर कम कर दिया है."
क्या योजना के लिए EDMC के पास फंड पर्याप्त है?
मेयर बताते हैं कि इस योजना के सभी आर्थिक पहलुओं पर भी विचार किया जा चुका है. उनके अनुसार, "ये लगभग 500 करोड़ की योजना है. हमने केंद्र सरकार से भी मदद मांगी है. केंद्र सरकार से भी पैसा आने वाला है. दिल्ली सरकार के भरोसे हम नहीं हैं. दिल्ली सरकार तनख्वाह नहीं दे पा रही. 1500 करोड़ के फंड को उन्होंने सात सौ करोड़ कर दिया, जिसकी वजह से हम तनख्वाह नहीं दे पाए, इसलिए एमसीडी को केजरीवाल के चंगुल से मुक्त कराने के लिए एमसीडी को एक किया जा रहा है."
अगले महीने से काम शुरू हो जाएगा
मेयर के अनुसार, ज्यादा से ज्यादा 15 से 20 दिन के अंदर टेंडर किसे मिलना है यह साफ हो जाएगा. 1 महीने के अंदर ही कंपनी काम करना शुरू कर देगी और ढाई साल के अंदर ही गाजीपुर से कूड़े के पहाड़ का निस्तारण हो जाएगा."
कूड़े के निस्तारण के लिए नई जमीन की जरुरत
EDMC के मेयर ने हमें जानकारी दी कि उन्होंने डीडीए से नई जमीन की मांग की है जहां आसपास आबादी न हो. उनके अनुसार, " हम ने डीडीए से जमीन मांगी है क्योंकि कूड़ा रोज-रोज निकलता ही है उसे समाप्त नहीं किया जा सकता. हमने डीडीए से मांग की है कि हमें ऐसी जमीन दी जाए, जिसके 5 किलोमीटर आसपास तक कोई भी आबादी ना रहती हो, क्योंकि मिथेन गैस जब निकलती है, तो ऐसी घटनाएं हो जाती हैं. इस को कंट्रोल करने की कोशिश हम करते हैं जैसे कल हमने आग पर हमने काबू पा लिया, थोड़ा बहुत धुआं जो निकल रहा, वह भी कल तक खत्म हो जाएगा."
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