नई दिल्ली: कोरोना काल के दौरान लगाए गए लॉकडाउन में भी एमसीडी के सफाई कर्मचारियों , डॉक्टरों, टीचरों ने हर रोज़ अपनी ड्यूटी की. कूड़ा उठाना और सेनिटेशन का काम कोरोना काल में सबसे ज्यादा अहम रहा. टीचरों ने घर से बच्चों को हर रोज़ ऑनलाइन पढ़ाया. वहीं, डॉक्टरों ने 24 घंटे की ड्यूटी कर हजारों लोगों की जान बचाई.


एमसीडी की भूमिका को सराहा


ईस्ट एमसीडी की पूर्व कमिश्नर दिलराज कौर ने एबीपी न्यूज से बातचीत करते हुए कहती हैं कि, कोरोना वायरस चुनौती के रूप में समस्त विश्व के सामने आया. वायरस इवोल्व होने वाला था इसलिए किसी को पता नहीं था, कैसे इसका उपचार किया जाए. ये बहुत ही अलग स्तिथि थी हमारे लिए. मैं एमसीडी में कमिश्नर थी और मेरी टीम फ्रंट पर लीड कर रही थी. हमने सेनिटेशन करवाया, कूड़ा उठवाया, ये सभी जिम्मेदारी एमसीडी की थी. टीम को ऐसे समय में प्रोत्साहित रखना भी मुश्किल था. क्योंकि सभी लोग अपने अपने घर पर थे, पूरे देश में लॉक डाउन लगा था.


मुझे और मेरे पति को हुआ था कोरोना


आगे डॉक्टर दिलराज कौर बताती हैं कि मेरे पति भी आईएएस अधिकारी हैं, उनका काम भी एसेंशियल सर्विस उपलब्ध कराना था. इस दौरान ड्यूटी करते हुए मुझे और मेरे पति को कोरोनावायरस हुआ, उस समय मेरी बेटी ने अपना 16वां जन्मदिन एक दूसरे से दूरी बना कर मनाया था. बेटी दरवाजे के उस पार खड़ी थी. कोरोना से दो एमसीडी सफाई कर्मचारियों की मौत हो गई थी. इसके अलावा इनके संपर्क में आए 38 लोगों को क्वारनटीन भी किया गया था. पूर्व कमिश्नर जानकारी देते हुए कहती हैं कि " हमारे स्टाफ में कुछ लोगों की मृत्यु कोरोना वायरस के दौरान हो गई. उनके परिवार को मुआवज़ा दिया गया है और हर संभव कोशिश उनकी मदद के लिए की जा रही है."


महिला दिवस पर संदेश
मेरा मानना है कि, महिलाएं दूसरे के बारे में ज्यादा सोचती हैं, अपनी खुशी को पीछे रख कर परिवार, बच्चों इत्यादि का ख्याल करती हैं, जो कि अच्छी बात है लेकिन महिलाओं को अपना ध्यान भी रखना चाहिए, अपनी सेहत के बारे में जागरूक रहना भी उतना ही जरूरी है, अपने आप को नजरंदाज करना छोड़ें.


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