Eastern Ladakh Row: पूर्वी लद्दाख विवाद पर भारत-चीन के बीच हुई 18वें दौर की सैन्य वार्ता, कहां तक पहुंची बात?
India China Military Talks: यह वार्ता पिछले दौर की बातचीत के करीब चार महीने बाद हुई. भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राशिम बाली ने किया.
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India China Military Talks Over Border Issues: चीन के रक्षा मंत्री ली शांगफू (Li Shangfu) की प्रस्तावित भारत यात्रा से पहले पूर्वी लद्दाख के शेष विवादित मुद्दों को हल करने के लिए दोनों देशों के बीच रविवार (23 अप्रैल) को नई उच्च-स्तरीय सैन्य वार्ता आयोजित की गई. भारत और चीन के बीच हुई यह 18वें दौर की सैन्य वार्ता रही. इस मामले से जुड़े लोगों ने यह जानकारी दी.
शांगफू शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की रक्षा मंत्री स्तर की एक महत्वपूर्ण बैठक में भाग लेने यहां आएंगे, जिसकी मेजबानी भारत की अध्यक्षता में की जा रही है. यह बैठक 27 और अप्रैल को होनी है. घटनाक्रम से वाकिफ लोगों ने बताया कि यह बैठक पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीनी क्षेत्र की ओर स्थित चुशुल-मोल्डो सीमा मुलाकात केंद्र पर हुई.
भारतीय पक्ष ने इस बात पर दिया जोर
रविवार की सैन्य वार्ता दोनों पक्षों के वरिष्ठ सेना कमांडर के बीच पिछले दौर की बातचीत के करीब चार महीने बाद हुई है. हालांकि, यह तत्काल पता नहीं चल सका है कि लंबित मामलों के समाधान की दिशा में कोई प्रगति हुई है या नहीं.
प्राप्त जानकारी के अनुसार, भारतीय पक्ष ने पूर्वी लद्दाख में डेमचोक और देपसांग के शेष विवादित स्थलों से संबंधित मुद्दों को जल्द से जल्द हल करने पर जोर दिया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के एससीओ सम्मेलन से इतर अपने चीनी समकक्ष के साथ द्विपक्षीय बैठक करने की संभावना है.
भारत का क्या है रुख?
वार्ता के दौरान भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राशिम बाली ने किया. यही सैन्य कोर लद्दाख क्षेत्र में एलएसी पर सीमा सुरक्षा व्यवस्था संभालती है. कोर कमांडर स्तर की वार्ता पूर्वी लद्दाख विवाद को हल करने के लिए शुरू की गई थी. भारत का कहना है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं होगी, तब तक चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते.
2020 में शुरू हुआ था गतिरोध
पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद पांच मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध शुरू हुआ था. जून 2020 में गलवान घाटी में भयंकर संघर्ष के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में काफी गिरावट आई थी. सैन्य और कूटनीतिक वार्ता की एक शृंखला के परिणामस्वरूप, दोनों पक्षों ने पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण किनारे और गोगरा क्षेत्र से अपने-अपने सैनिक पीछे हटाए थे.
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