ईस्टर्न पेरिफेरल: 11 लाख टन सीमेंट, 1 लाख टन स्टील, जानें देश के पहले स्मार्ट और ग्रीन एक्सप्रेसवे की पूरी बातें
इस एक्सप्रेसवे की वजह से दिल्ली से मेरठ की यात्रा का समय घटकर 45 मिनट रह जाएगा. अभी इसमें करीब ढाई घंटे का समय लगता है.
नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज 7500 करोड़ रुपये की लागत से बने ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे के पहले चरण का उद्घाटन किया. इससे दिल्ली से मेरठ की यात्रा के समय में काफी कमी आएगी. इस एक्सप्रेसवे की वजह से दिल्ली से मेरठ की यात्रा का समय घटकर 45 मिनट रह जाएगा. अभी इसमें करीब ढाई घंटे का समय लगता है.दिल्ली के सराय काले खान से यूपी गेट तक फैले इस 14 लेन के राजमार्ग का उद्घाटन आज प्रधानमंत्री ने किया.
क्या है ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे और इसकी खास बातें
ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे देश का पहला स्मार्ट और हरित राजमार्ग है जिसके तहत दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के करीब नौ किलोमीटर लंबे पहले चरण का शुरूआती हिस्सा बनकर तैयार हो गया है.
इस एक्सप्रेसवे को बनाने में करीब 11 लाख टन सीमेंट, 1 लाख टन स्टील, 3.6 करोड़ टन खुदी हुई मिट्टी और 1.2 करोड़ फ्लाई एश का इस्तेमाल हुआ है, इस एक्सप्रेस-वे के बनाने के जरिए करीब 9375 लोगों को काम मिला है और इससे 50 लाख रुपये के करीब के रोजगार का सृजन हुआ है.
सरकार ने इस प्रोजेक्ट का जो विज्ञापन दिया था उसके मुताबिक दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के पहले चरण में 14 लेन के राजमार्ग पर नौ किलोमीटर मार्ग के निर्माण पर 842 करोड़ रुपये की लागत आई है.
इस एक्सप्रेसवे के जरिए दिल्ली की ओर जाने वाला काफी सारा ट्रैफिक डाइवर्ट हो जाएगा. जम्मू और कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और राजस्थान को जाने वाले 50,000 वाहन डाइवर्ट होंगे जिससे वाहनों से होने वाले प्रदूषण में भी भारी कमी आएगी.
इस एक्सप्रेसवे का घुमाव कोंडली के निकट से शुरू होकर 6 संसदीय कार्यक्षेत्र को पास करता हुआ निकलेगा जिसमें सोनीपत, बागपत, गाजियाबाद, नोएडा, फरीदाबाद और पलवल शामिल हैं.
इस एक्सप्रेसवे पर जो सुविधाएं दी गई हैं उनमें रिटेल फ्यूल आउटलेट्स, रेस्ट रूम्स, मोटेल, रेस्टोरेंट्स, दुकानें आदि शामिल हैं. इसपर कुछ पहाड़ों की प्रतिकृतियों का भी निर्माण किया गया है और देश के प्रमुख स्थानों की प्रतिकृतियां जैसे अशोक चक्र, कोनार्क मंदिर, जलियांवाला बाग, गेटवे ऑफ इंडिया, कुतुब मीमार, चार मीनार, लाल किला, कीर्ति स्तंभ, इंडिया गेट, हवा महल को भी उकेरा गया है.
इसके आसपास करीब 2.5 लाख पौधे लगाए गए हैं जिसमें 8-10 साल पुराने पेड़ भी शामिल हैं. इसमें ड्रिप के जरिए सिंचाई की भी व्यवस्था की गई है.
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर दिल्ली से डासना के बीच करीब 28 किलोमीटर मार्ग पर एक साइकिल ट्रैक बनाया गया है. इस परियोजना की पूरी लंबाई 82 किलोमीटर है. इसमें से 27.74 किलोमीटर हिस्सा 14 लेन का होगा, जबकि बाकि एक्सप्रेसवे छह लेन का होगा. इस एक्सप्रेसवे की वजह से दिल्ली से मेरठ की यात्रा का समय घटकर 45 मिनट रह जाएगा. अभी इसमें करीब ढाई घंटे का समय लगता है.
इस एक्सप्रेसवे से दिल्ली-मेरठ रोड पर 31 ट्रैफिक सिग्नल हट जाएंगे. यह सिग्नल या रेडलाइट फ्री एरिया हो जाएगा. यह इस इलाके का सबसे बिजी मार्ग है.
पीएम मोदी ने दिसंबर 2015 में दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे की आधारशिला रखी थी. इसके निर्माण की लागत 7566 करोड़ रुपये थी.
इस परियोजना का निर्माण चार सेगमेंट में निजामुद्दीन पुल से यूबी बॉर्डर , यूपी बॉर्डर से डासना , डासना से हापुड़ और हापुड़ से मेरठ में किया गया है.
इसके अलावा नेशनल हाईवे 24 पर डासना-हापुड़ के 22 किलोमीटर के खंड को छह लेन का करने पर 1122 करोड़ रुपये की लागत आई है.
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