नई दिल्लीः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संयुक्त महासचिव कृष्णा गोपाल ने एक कार्यक्रम के दौरान 'गौमांस' और 'दलित' शब्द के बारे गलत भ्रांतियां फैलाने को लेकर अंग्रेजों को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि प्राचीन भारत में गौमांस खाने वाले को अछूत समझा जाता था. कार्यक्रम के दौरान कृष्ण गोपाल ने कहा कि अंग्रेजों के आने के बाद 'दलित' शब्द अस्तित्व में आया था. यह अंग्रेजों की चाल थी. हमारे प्राचीन भारत में 'दलित' शब्द नहीं था.
गोपाल 'भारत का राजनीतिक उत्तरायण' और 'भारत का दलित विमर्श' पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में सभा को संबोधित कर रहे थे. इस कार्यक्रम में संस्कृति और पर्यटन मंत्री प्रह्लाद पटेल भी मौजूद थे.
मंच से गोपाल कृष्ण ने 'दलित' शब्द को लेकर कहा कि संविधान सभा ने भी 'दलित' की जगह 'अनुसूचित जाति' शब्द का इस्तेमाल किया था. उन्होंने कहा, ''संविधान निर्माता बाबा साहब भीम राव अंवेडकर ने स्वंय लिखा है कि जो लोग भारत में गौमांस खाते थे उन्हें अछूत घोषित कर दिया गया.''
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आगे उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे यह लोगों के दिमाग में फैलने लगा और समाज के लोगों ने एक बड़े हिस्से को अछूत घोषित कर दिया. इतना ही नहीं लंबे समय तक उनका उत्पीड़न और अपमान किया जाता रहा.
उन्होंने कहा कि रामायण लिखने वाले ऋषि वाल्मीकि 'दलित' नहीं थे, बल्कि शूद्र थे. कई और महान ऋषि भी शूद्र थे. इन ऋषियों का बहुत सम्मान किया जाता था.
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