नई दिल्ली: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य में होने वाले उपचुनावों के दौरान रैलियों पर यह कहते हुए रोक लगा दिया था कि कोरोना काल में इस तरीके की रैलियां कोरोना संक्रमण को और ज्यादा फैला सकती हैं. अब केंद्रीय चुनाव आयोग ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर फिर भी राजनीतिक दल और उम्मीदवार रैली आयोजन सभाएं करना चाहते हैं तो उसके लिए उनको जिला कलेक्टर से अनुमति लेनी जरूरी होगी और बताना होगा कि क्यों यह रैलियां और जनसभाएं वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए नहीं हो सकती.
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश में यह भी कहा गया था कि अगर राजनैतिक दल और उम्मीदवार रैलियों और जनसभाओं को करना चाहते हैं तो उसके लिए उनको प्रशासन के सामने मास्क और सैनिटाइजर खरीदने के लिए खर्च होने वाले पैसे को सिक्योरिटी के तौर पर जमा कराना होगा. जिसका इस्तेमाल रैली में आने वाले लोगों को मास्क और सैनिटाइजर देने में किया जाएगा.
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में क्या कहा
केंद्रीय चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा है कि चुनाव आयोग के पास संवैधानिक तौर पर ये अधिकार मिला हुआ है कि उन्हें चुनावों को कैसे संपन्न कराना है. यहां तक कि कोरोना काल में चुनाव करवाने को लेकर क्या क्या एहतियात बरतनी है इसको लेकर केंद्रीय चुनाव आयोग ने पहले ही गाइडलाइन जारी कर रखी हैं और दिशा निर्देश दिए हुए हैं.
राज्य में 28 सीटों पर है उपचुनाव
दरअसल, मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं और उपचुनाव के लिए राज्य में प्रचार जारी है. इस चुनावी प्रचार के तहत ही जनसभाएं और रैलियां आयोजित की जा रही है. हालांकि अभी कुछ दिनों पहले ही केंद्रीय चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों को चिट्ठी लिखकर दिशा निर्देश जारी किए हैं कि कोरोना काल में हो रहे इन चुनावों के दौरान होने वाले प्रचार प्रसार रैलियों और जनसभाओं में यह सुनिश्चित किया जाए कि वहां आने वाले लोग कोरोना से बचाव को लेकर समुचित कदम उठाएं. जिसके तहत सोशल डिस्टेंसिंग मास्क और सैनिटाइजर का इस्तेमाल जरूरी है.
केंद्रीय चुनाव आयोग का ये निर्देश ना सिर्फ मध्य प्रदेश बल्कि बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव और देश के अन्य राज्यों में होने वाले विधानसभा उपचुनाव पर भी लागू होगा.
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