नई दिल्ली: निर्वाचन आयोग ने आज सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह इस साल के आखिर में होने वाले गुजरात विधान सभा चुनाव में इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों के साथ कागज की पर्ची देने वाले उपकरण (वीवीपीएटी) का इस्तेमाल किया जा सकेगा.


चीफ जस्टिस खेहर, जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और जस्टिस धनन्जय वाई चन्द्रचूड की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने निर्वाचन आयोग का यह कथन स्वीकार करते हुए गुजरात विधान सभा चुनाव में ईवीएम के साथ वोटों की पुष्टि करने वाली वीवीपीएटी मशीनें लगाने के निर्देश के लिए दायर याचिका का निबटारा कर दिया. पीठ ने कहा, ‘‘निर्वाचन आयोग ने अपने हलफनामे में कहा है कि वह गुजरात चुनावों में वीवीपीएटी मशीनों का इस्तेमाल करेगा. हम इससे से संतुष्ट हैं. याचिका का निबटारा किया जाता है.’’ इससे पहले आयोग के वकील ने आयोग के रूख से कोर्ट को अवगत कराया था.


वीवीपीएटी मशीन इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से जुड़ी होती है और वोटिंग की पुष्टि के लिए कागज की पर्ची निकालती है ताकि वे इस बात की पुष्टि कर सकें कि उन्होंने सही तरीके से वोट दिया है. कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के अनुरोध पर चुनावों में वीवीपीएटी के इस्तेमाल से संबंधित दूसरे मामले कल सुनवाई के लिये सूचीबद्ध किए हैं.


पीठ ने कहा, ‘‘यदि सुनवाई का स्थगन बगैर किसी वजह के हुआ तो इसके परिणाम भी देखने होंगे. आप कोर्ट का समय बर्बाद नहीं कर सकते.’’ चुनाव आयोग ने अपने हलफनामे में कहा है कि वह गुजरात विधान सभा के आगामी चुनाव में इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों के साथ कागज की पर्ची निकालने वाली मशीन (वीवीपीएटी) का इस्तेमाल कर सकेगा यदि इसके निर्माताओं से उसे सितंबर तक 73500 मशीने मिल जाती हैं.


चुनाव आयोग ने कहा कि उसे भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रानिक्स कॉर्पोरेशन आफ इंडिया लिमिटेड से 31 अगस्त तक 48000 वीवीपीएटी मशीनें मिलने की उम्मीद है जबकि शेष 25500 मशीनों की सितंबर तक आपूर्ति होगी. उसने एक बार फिर दावा किया कि हाल ही में लोकसभा और विधान सभा चुनावों में इस्तेमाल किए गए ईवीएम (इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन) के साथ किसी प्रकार की छेडछाड नहीं की जा सकती.