Shiv Sena के नाम-निशान पर अधिकार मामला: चुनाव आयोग ने उद्धव-शिंदे को डॉक्यूमेंट जमा करने के लिए दिया इतना समय
ECI on Shiv Sena Symbol Row: उद्धव ठाकरे शिवसेना के नाम और चुनाव चिन्ह पर अधिकार पाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं. मंगलवार (15 नवंबर) को दिल्ली हाई कोर्ट से भी उन्हें झटका मिला.
Shiv Sena Name and Symbol Row: शिवसेना पार्टी के नाम और निशान (Shiv Sena Name and Symbol) को लेकर मंगलवार (15 नवंबर) को दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) की ओर से महाराष्ट्र (Maharashtra) के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की याचिका खारिज किए जाने के बाद निर्वाचन आयोग (ECI) ने उन्हें और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) को उनके दावे से संबंधित दस्तावेज (Documents) जमा करने के लिए समय दिया है.
चुनाव आयोग ने शिवसेना के नाम और निशान (तीर-कमान) को लेकर दावा किए जाने वाले दस्तावेज जमा करने के लिए कहा है. चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे को 23 नवंबर तक दस्तावेज जमा कर देने के लिए कहा है.
आयोग ने पिछले महीने लगाई थी अंतरिम रोक
निर्वाचन आयोग ने पिछले महीने (8 अक्टूबर) को शिवसेना के नाम और चुनाव चिन्ह को ठाकरे या शिंदे की ओर से इस्तेमाल किए जाने पर अंतरिम रोक लगा दी थी. आयोग ने महाराष्ट्र की अंधेरी ईस्ट विधानसभा सीट पर उपचुनाव के मद्देनजर यह रोक लगाई थी और दोनों गुटों को वैकल्पिक नाम और चुनाव चिन्ह आवंटित किए थे. ठाकरे गुट को पार्टी के लिए वैकल्पिक नाम 'शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे)' और चुनाव चिन्ह मशाल आवंटित गया था जबकि शिंदे गुट को पार्टी का नाम 'बालासाहेबची शिवसेना' और चुनाव चिन्ह 'दो तलवार और एक ढाल' दिया गया था.
दिल्ली हाई कोर्ट ने क्या कहा?
शिवसेना के नाम और चुनाव चिन्ह के इस्तेमाल को लेकर आयोग की ओर से लगाई गई अंतरिम रोक के फैसले के खिलाफ उद्धव ठाकरे ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. इसी मामले पर सुनवाई करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को ठाकरे की याचिका खारिज कर दी और निर्वाचन आयोग को जल्द से जल्द फैसला करने के लिए कहा. न्यायमूर्ति संजय नरूला ने कहा कि यह शिवसेना के दोनों गुटों और आम लोगों के हित में होगा कि मामले पर निर्वाचन आयोग की कार्यवाही जल्द खत्म हो.
लोक जनशक्ति पार्टी विवाद
इसी तरह के लोक जनशक्ति पार्टी के चुनाव चिन्ह विवाद को लेकर निर्वाचन आयोग ने चिराग पासवान और पशुपति कुमार को सुनवाई के लिए 29 नवंबर को बुलाया है. पार्टी के चुनाव चिन्ह 'बंगला' को लेकर विवाद है. निर्वाचन आयोग ने अक्टूबर 2021 में दोनों गुटों पर एलजेपी के चुनाव चिन्ह बंगला को इस्तेमाल करने के लिए अंतरिम रोक लगा थी. आयोग ने कहा था कि उसकी ओर से विवाद का हल किए जाने तक अंतरिम रोक जारी रहेगी.
निर्वाचन आयोग ने शनिवार (12 नवंबर) को भेजे एक पत्र में कहा कि उसने मुख्यालय के निर्वाचन सदन में 29 नवंबर को चिराग पासवान और पशुपति कुमार गुटों का पक्ष सुनने का निर्णय लिया है. आयोग ने पत्र में यह भी कहा कि दोनों गुट 28 नवंबर तक दावे को लेकर कोई नया दस्तावेज भी जमा कर सकते हैं और उसकी कॉपी आपस में शेयर कर सकते हैं.
चिराग-पशुपति को आवंटित किए गए थे ये नाम
बता दें कि चिराग पासवान धड़े को फिलहाल लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) और पशुपति कुमार पारस के धड़े को राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के नाम से जाना जाता है. पशुपति कुमार पारस, चिराग के चाचा है. चिराग के धड़े को चुनाव चिन्ह हेलिकॉप्टर मिला था और पशुपति कुमार को चुनाव चिन्ह सिलाई मशीन आवंटित किया गया था.
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