मुंबईः मुंबई की बढ़ती आबादी को देखते हुए कोस्टल रोड प्रोजेक्ट ने रफ्तार पकड़ ली है. समुद्री तट से लगकर जब कोस्टल रोड को बनाया जाना तय हुआ था, तो सबसे ज्यादा परेशानी वाली बात सामने आई थी वह थी समुद्र में गिरने वाले कई मीट्रिक टन कंक्रीट से होने वाले पर्यावरण और समुद्री जनजीवन को हानि. अब बीएमसी इस परेशानी का तोड़ निकाल कर लाई है और देश में पहली बार कोस्टल रोड में इको फ्रेंडली कंक्रीट का इस्तेमाल किया जाने वाला है यह तकनीक इजराइल में इज़ाद की गई है.


क्या है मुम्बई की कोस्टल रोड परियोजना ?
मुंबई की कोस्टल रोड परियोजना मुंबई के पश्चिमी भाग में समुद्र के किनारे समुद्र को पाटकर, जमीन के अंदर और फ्लाईओवर से जोड़कर बनाई जाने वाली सड़क परियोजना है. कोस्टल रोड लगभग 29.2 किलोमीटर का लंबा फ्रीवे होगा जो आठ लेन का बना होगा. यह मुंबई के दक्षिण छोर को उत्तर के छोड़ से जोड़ेगा. इस कोस्टल रोड की शुरुआत दक्षिण मुंबई के मरीन लाइन से उत्तर मुम्बई के कांदिवली इलाके तक होगा. पहले चरण में प्रिंसेस स्ट्रीट फ्लाईओवर से लेकर वर्ली इलाके तक इसका निर्माण होगा जिसकी दूरी करीब 10 किलोमीटर की है और यह काम वर्ष 2022 तक पूरा करना है. जबकि दूसरे चरण में बांद्रा से कांदिवली तक का काम पूरा किया जाएगा. पहले हिस्से का काम बीएमसी तो दूसरे हिस्से का काम MMRDA करेगी.



क्यों जरूरी है मुम्बई के लिए कोस्टल रोड ?
मुंबई की जनसंख्या इस वक्त 2 करोड़ को भी पार कर चुकी है. मुंबई तीन तरफ से समुद्र से घिरा हुआ शहर है ऐसे में इसके विस्तार की बहुत ज्यादा संभावनाएं नहीं है और इसी वजह से हर रोज लाखों लोगों को भारी ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ता है. सिर्फ मुम्बई में रजिस्टर्ड वाहनों की संख्या 25 लाख के करीब है. स्टेट ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री के मुताबिक मुंबई के एक किलोमीटर के दायरे में 510 प्राइवेट कार आते हैं. हम बात सिर्फ मुम्बई के वाहनों की कर रहे हैं इसमें मुम्बई से सटे इलाके या बाहर से आने वाले वाहन शामिल नही हैं. इस कोस्टल रोड के बन जाने से प्रतिदिन करीब 130000 वाहन इसका इस्तेमाल कर सकेंगे. दक्षिण मुंबई से उत्तर मुंबई में पहुंचने के लिए लगने वाला समय ढाई घंटे से कम होकर 40 मिनट का हो जाएगा. लगभग 34 किलोमीटर की यह कोस्टल रोड टोल फ्री होगी.


कोस्टल रोड से क्या है चिंता ?
इस प्रोजेक्ट के तहत कोस्टल रोड के लिए मुंबई के समुद्र किनारे से लगते हुए समुद्र का काफी बड़ा हिस्सा रिकलेम कर लिया गया है लेकिन इस प्रोजेक्ट की शुरुआत के साथ ही पर्यावरणविदों के लिए जो सबसे बड़ी चिंता की विषय था वह इस कोस्टल रोड के निर्माण के दौरान समुद्र में गिराया जाने वाला कई लाख टन कंक्रीट. पर्यावरण की समझ रखने वालों के मुताबिक इससे समुद्री जीवन बड़े पैमाने पर प्रभावित होने वाला है और ये बहुत ज्यादा गंभीर मामला है. कोली समाज यानी मछुआरों का कहना था कि मिट्टी पाटने से उनकी जीविका पर असर पड़ेगा. यह बात बीएमसी के लिए भी परेशानी का सबब थी क्योंकि लोगों की सुविधा के लिए बड़े पैमाने पर पर्यावरण का नुकसान करना गुड गवर्नेंस में नहीं आता है.


क्या है इको फ्रेंडली कंक्रीट ब्लॉक्स ?
भारत में पहली बार किसी इंफ्रास्ट्रक्चर को बनाने के लिए कंक्रीट का नहीं बल्कि इको फ्रेंडली कंक्रीट का इस्तेमाल किया जाने वाला है. अगर हम पहले चरण जो मरीन लाइन से लेकर बांद्रा वर्ली सी लिंक तक बनाया जाना है की बात करें तो इसके निर्माण में करीब 5.5 लाख क्यूबिक मीटर कंक्रीट का इस्तेमाल किया जाएगा. इसके लिए इजराइल में बनाई गई तकनीक के जरिए इको फ्रेंडली कंक्रीट के ब्लॉकस को मुंबई लाया जाएगा. इको फ्रेंडली ब्लॉक्स में इस्तेमाल किया जाने वाला मेटेरियल, ब्लॉक की बनावट, ब्लाक पर डिज़ाइन कुछ इस तरह की होती है जिसपर मछलियां, कछुए जैसे समुद्री जीव घोसला बना सकते है या अंडा दे सकते हैं.



मुम्बई महानगर पालिका कमिश्नर प्रवीण परदेशी का कहना है कि मुम्बई के विकास के साथ ही पर्यावरण को भी बचाए रखना सबसे बड़ी जिम्मेदारी थी. लिहाजा हमने इजराइल में डेवेलेप की गई इस तकनीक को इस्तेमाल करने का फैसला लिया है. ये इको फ्रेंडली कंक्रीट हमारे पास ब्लॉक्स की शक्ल में आएंगे जिनमे एक से एक ब्लॉक का वजन 1 से 1.5 टन के बीच में होगा. नार्मल कंक्रीट में सीमेंट का इस्तेमाल होता है जिससे शैवाल,मछलियां और दूसरे समुद्री जीव उस स्ट्रक्चर पर नहीं आते हैं. हमने इसमें कार्बन मिलाया है जो चूने जैसा होता है जो कि समुद्री जनजीवन के लिहाज से अच्छा होता है. इसके साथ ही हर ब्लॉक का डिज़ाइन ऐसे तैयार किया गया है कि उस पर आकर शैवाल, मछलियां, केकड़े या दूसरे समुद्री जीव अपना घर बना सकें. ये समुद्री पर्यावरण के लिहाज से सबसे बेहतर तकनीक है. हमें लोगों के लिए नए रास्ते और विकास को तय करना है लेकिन वह पर्यावरण के बदले नहीं किया जा सकता है तो हमने दोनों में तालमेल और सामंजस्य बिठाने की कोशिश की है. मुंबई ऐसा करने वाला भारत का पहला शहर होगा. ये तकनीक बहुत बढ़िया है और आने वाले भविष्य में यह भारत में जो लंबी समुद्री सीमा अपने पास रखता है, पर होने वाले किसी भी बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में अपनी एक अहम भूमिका निभाने जा रही है.


शिवसेना का एजेंडा क्या है ?
मुम्बई में मेट्रो का कारशेड आरे कॉलोनी के जंगल में बन रहा था जिसको लेकर शिवसेना ने विरोध किया था और अपनी छवि पर्यावरण प्रेमी के रूप में बनाई है. अब राज्य में शिवसेना के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र विकास आघाड़ी की सरकार है और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेटे, आदित्य ठाकरे इस सरकार में पर्यावरण मंत्री हैं. कोस्टल रोड बनाने से पर्यावरण को नुकसान, यानी शिवसेना की पर्यावरण प्रेमी की छवि को नुकसान. इजरायल तकनीकी से समुद्री पर्यावरण बचाने को मुम्बई की मेयर किशोरी पेडनेकर इसका श्रेय आदित्य ठाकरे को देने लगी है.


इस कोस्टल परियोजना का कुल खर्च करीब 12000 करोड़ आंका गया है. इजरायल से मंगाई जा रही इको फ्रेंडली कंक्रीट ब्लॉक्स तकनीक थोड़ी खर्चीली ज़रूर है, लेकिन विकास के साथ पर्यावरण बचाने के लिए इतनी कीमत हो हम इंसान दे ही सकते हैं.