नई दिल्ली: आर्थिक मामलों के सचिव तरुण बजाज ने गुरुवार को कहा कि कोरोना वायरस महामारी से उत्पन्न संकट के कारण वित्त वर्ष 2020-21 के बजट के लक्ष्यों को शायद ही प्राप्त किया जा सके. उन्होंने हालांकि साथ में यह भी कि आर्थिक वृद्धि में गिरावट उतनी गंभीर नहीं होने वाली है, जैसा कि कयास लगाया जा रहा है.


तरुण बजाज ने कहा कि सरकार नियमित आधार पर 14-15 पैमानों की निगरानी कर रही है, जो अर्थव्यवस्था की आगे की चाल के बारे में जल्दी संकेत दे सकते हैं. इन पैमानों में ई-वे बिल, बिजली की खपत, माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का संग्रह आदि शामिल हैं. उन्होंने कहा कि ये सारे पैमाने उत्साहजनक संकेत दे रहे हैं.


तरुण बजाज ने 15 जून तक के अग्रिम कर संग्रह के आंकड़ों के बारे में कहा, ‘‘उस महीने जो राजस्व एकत्र किया गया, उसने हमें एक भरोसा दिया कि यदि हम इसी तरीके से जारी रखते हैं और हमें किसी अन्य अप्रत्याशित परिस्थिति का सामना नहीं करना पड़ता है, तो यह साल उतना खराब नहीं होने वाला है जैसा कि बाहरी दुनिया बता रही है या हम जैसा सोच रहे हैं.’’


अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने 2020 में भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार में 4.5 प्रतिशत की तेज गिरावट आने का अनुमान पिछले महीने व्यक्त किया था.


तरुण बजाज ने कहा, "हम अपने बजट अनुमान के आंकड़ों को हासिल नहीं कर पाएंगे, लेकिन कुछ लोग जिस तरह की गिरावट का उल्लेख कर रहे हैं, वह भी नहीं हो सकता है." उन्होंने कहा कि भारत ने दुनिया का सबसे कड़ा लॉकडाउन लगाया. इसका अर्थव्यवस्था पर प्रभाव भी पड़ा.


आर्थिक मामले के सचिव ने कहा कि इसने 2019-20 के दौरान राजकोषीय घाटे को 4.6 प्रतिशत पर पहुंचा दिया और आर्थिक वृद्धि दर को 4.2 प्रतिशत तक गिरा दिया. हालांकि, उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि देश आने वाले आंकड़ों के आधार पर अगले साल से वृद्धि की यात्रा पर वापस आ जायेगा.


तरुण बजाच ने कहा, "कोविड-19 के बुरी तरह से जकड़ में आने से पहले हमें बीच में ही रणनीति को बदलना था, जो कि अब संभव नहीं है. ऐसे में मैं अगले वित्त वर्ष में तेज वापसी (वी शेप्ड रिकवरी) की उम्मीद कर रहा हूं. यह साल (वित्त वर्ष) हमारे लिये एक बर्बाद साल हो सकता है, लेकिन अगला साल ऐसा नहीं रहने वाला है.’’


तरुण बजाज ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कोविड-19 संकट का उपयोग कृषि क्षेत्र में लंबे समय से लंबित सुधारों की शुरूआत के अवसर के रूप में भी किया गया, ताकि किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य मिल सके.


पिछले महीने, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अनाज, दाल और प्याज सहित खाद्य पदार्थों को विनियमित करने के लिये साढ़े छह दशक पुराने आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दी.


मंत्रिमंडल ने कृषि उपज में बाधा मुक्त व्यापार सुनिश्चित करने के लिये दी फार्मिंग प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) अध्यादेश, 2020 को भी मंजूरी दी. सरकार ने किसानों को प्रोसेसर, एग्रीगेटर्स, थोक विक्रेताओं, बड़े खुदरा विक्रेताओं और निर्यातकों के साथ जोड़कर सशक्त बनाने के लिये मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा अध्यादेश, 2020 पर किसान (सशक्तिकरण व संरक्षण) समझौते को भी मंजूरी दी.


तरुण बजाज ने कहा कि सरकार का जोर सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के बुनियादी ढांचे के खर्च और पूंजीगत व्यय लक्ष्यों को पूरा करना है. उन्होंने कहा, "मैंने बुनियादी संरचना पर बड़े खर्च करने वाले विभागों से बात की है और मैंने उन्हें आश्वासन दिया है कि भले ही मुझे थोड़ा और उधार लेना पड़े, मैं ऐसा करूंगा, लेकिन आपको मौजूदा साल के लिये अपने बुनियादी संरचना खर्च के लक्ष्य को हासिल करना चाहिये."


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