आर्थिक अपराध के मामलों में भगोड़ों को न्याय के कटघरे में लाने के मुद्दे पर ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भारतीय नेताओं के साथ बातचीत की. सरकार की तरफ से कहा गया कि इन अपराधियों का प्रत्यर्पण हमारी उच्च प्राथमिकता है. इन्हें न्याय प्रणाली का सामना करने के लिए वापस लाने की जरूरत है. जॉनसन की यात्रा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी बातचीत पर विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि भारत विभिन्न स्तरों पर यूके के साथ आर्थिक भगोड़ों के मामले को उठा रहा है.
श्रृंगला ने कहा, "हमारा उद्देश्य उन आर्थिक भगोड़ों को लाना है, जो भारत में वांछित हैं और देश में न्याय प्रणाली का सामना कर रहे हैं. आज की बातचीत में यह मामला सामने आया." उन्होंने कहा की भारत की तरफ से यह बताया गया कि यह एक उच्च प्राथमिकता है. आर्थिक अपराधी जो यूके में हैं उन्हें हमारी न्याय प्रणाली के नजरिए से भारत में वापस लाने की जरूरत है." उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जॉनसन ने उठाए गए बिंदु पर ध्यान दिया और संकेत दिया कि वह इस संबंध में भारतीय चिंताओं के प्रति बहुत संवेदनशील हैं और देखेंगे कि वह क्या कर सकते हैं.
श्रृंगला के मुताबिक "ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जॉनसन ने कहा कि यह उनके लिए भी महत्वपूर्ण है और वह निश्चित रूप से इसकी समीक्षा करेंगे. भारत यूनाइटेड किंगडम से विजय माल्या और नीरव मोदी सहित आर्थिक भगोड़ों के प्रत्यर्पण की मांग कर रहा है. सरकार ने संसद को बताया था कि 15 मार्च, 2022 तक विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को अपनी कंपनियों के माध्यम से धन का गबन करके धोखा दिया है, जिसके परिणामस्वरूप सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को कुल 22,585.83 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
बोरिस जॉनसन ने नीरव मोदी और विजय माल्या के प्रत्यर्पण की कार्यवाही का उल्लेख करते हुए कहा कि वे "कानूनी तकनीकी" के कारण फंस गए हैं. उन्होंने कहा, "प्रत्यर्पण मामले में जिन दो व्यक्तियों का उल्लेख किया गया है, उसमें कानूनी अड़चन हैं, जिन्होंने इसे बहुत मुश्किल बना दिया है. मैं बता सकता हूं कि यूके सरकार ने उनके प्रत्यर्पण का आदेश दिया है."
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