नई दिल्ली: आम बजट से पहले संसद में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया गया है. इस सर्वे के तहत अनुमान जताया गया है कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर अगले वित्त वर्ष में 11 फीसदी के स्तर पर पहुंच जाएगी और महामारी के चलते आर्थिक गिरावट के बाद 'वी शेप' का सुधार देखने को मिलेगा. वहीं आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि जनधन खातों में लोगों की ओर से की जाने वाली बचत में इजाफा देखने को मिला है.


बजट सत्र के शुरुआती दिन अपने संबोधन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि जनधन खातों, आधार और मोबाइल (JAM) की त्रिमूर्ति ने लोगों के अधिकारों को सुरक्षित रखने में मदद की है और 1.8 लाख करोड़ रुपयों को गलत हाथों में जाने से बचाया है.


बचत बढ़ी


वहीं आर्थिक सर्वेक्षण में ये बात भी सामने आई कि कोरोना महामारी के बावजूद लोगों के जनधन खातों में बचत बढ़ी है. सर्वे के मुताबिक जनधन खातों में बचत में औसत 400-500 रुपये का इजाफा देखने को मिला है. वहीं लॉकडाउन के दौरान पीएम जनधन योजना के तहत महिला लाभार्थियों के बैंक खातों में तीन महीने तक 500 रुपये की राशि भेजी गई. इसके लिए कुल 20.64 करोड़ रुपये की राशि खर्च की गई थी.


COVID -19 महामारी के दौरान जमा कैसे बढ़ी है, इस पर बात करते हुए मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यम ने कहा कि 40 करोड़ से अधिक खातों के लिए पीएम जनधन औसत बैलेंस लगभग 500 रुपये बढ़ा है. यह तब है जब इन घरों में उपभोग करने की प्रवृत्ति काफी ज्यादा है.


आर्थिक सर्वे में इस बात को भी बताया गया है कि लॉकडाउन के दौरान जनधन खातों में धन के सीधे हस्तांतरण से लोगों को काफी राहत मिली. वहीं 41 करोड़ से अधिक जनधन खाते खोले गए हैं ताकि गरीबों को बैंकिंग प्रणाली का लाभ मिल सके. इनमें से आधे से अधिक खाते गरीब परिवारों के हमारी बहन और बेटियों के हैं.


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