Montek Ahluwalia: 'बिजली में कुछ को सब्सिडी और अन्य लोगों से ज्यादा कीमत वसूलना बंद करें', जानिए अर्थशास्त्री मोंटेक अहलूवालिया ने ऐसा क्यों कहा
Montek Singh Ahluwalia Latest Remark: जाने-माने अर्थशास्त्री मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने दिल्ली में आयोजित हुए एक सेमिनार में बिजली पर सब्सिडी देने जैसे संवेदशनशील विषय पर अपने विचार रखे.
Economist Montek Singh Ahluwalia On Power Subsidy: अर्थशास्त्री मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने सोमवार (23 जनवरी) को एक कार्यक्रम में कहा कि अगर जीवाश्म ईंधन से परे भारत के ऊर्जा परिवर्तन को सफल होना है तो राज्य सरकारों को कुछ उपभोक्ताओं को बिजली में सब्सिडी जबकि अन्य से ज्यादा कीमत वसूलने पर रोक लगाने के राजनीतिक रूप से कठिन फैसले को लेने की आवश्यकता होगी.
कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के राष्ट्रीय सचिव और बीजेपी नेता राम माधव भी मौजूद थे. दिल्ली में सामाजिक और आर्थिक प्रगति केंद्र की ओर से 'भारत में जलवायु परिवर्तन के प्रबंधन' विषय पर सेमिनार आयोजित किया गया था. भारत को 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन को हासिल करने के लिए जिन उपायों की जरूरत होगी, उन पर सेमिनार में चर्चा की गई.
मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने क्या कहा?
द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, अर्थशास्त्री अहलूवालिया ने कहा, ''आप ऐसे सिस्टम को जारी नहीं रख सकते है जहां कुछ कृपापात्र उपभोक्ताओं (किसानों और कम आय वालों दोनों) को बिजली मुफ्त मिले. वह बोझ इंडस्ट्री पर चला जाता है और फिर वे प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) सहायता की मांग करने लगते हैं. उन्होंने कहा, ''बिजली पर सीधे सब्सिडी देने के बजाय, हम इंडस्ट्री से बहुत ज्यादा शुल्क लेकर क्रॉस सब्सिडी दे रहे हैं, तब वे पीएलआई सपोर्ट मांग रहे हैं. यह शर्तों में विरोधाभास है.''
अहलूवालिया ने कहा कि 2070 तक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन हासिल करने के लिए हर क्षेत्र में बड़े पैमाने पर बदलाव शामिल होगा, घर से लेकर परिवहन तक, साथ ही बिजली वितरण कंपनियों को सुधार करना होगा. उन्होंने कहा कि कार्बन टैक्स को शुरू करना उस परिवर्तन के लिए उत्प्रेरक का काम करेगा.
'कार्बन टैक्स होना चाहिए'
अहलूवालिया ने कहा, ''एक कार्बन टैक्स होना चाहिए. ऐसा करना कठिन है. जनता की बेहतर समझ रखने वाले देश ऐसा करने में नाकाम हो रहे हैं.'' उन्होंने कहा, ''अगर हम कार्बन टैक्स लाते हैं तो नई तकनीक पर जाने की बहुत सारी समस्याएं वर्चुअली ऑटोमैटिक होंगी और राजस्व का उपयोग उन लोगों की मदद के लिए किया जा सकेगा जो कोयले पर निर्भर हैं.'' उन्होंने कहा, ''कार्बन टैक्स की गैर-मौजूदगी में, जिसके बारे में बात हो रही है, वह किसी प्रकार का कैप और ट्रेड सिस्टम है. मैं व्यक्तिगत रूप से नहीं सोचता हूं कि यह सबसे अच्छा है.''
बता दें कि भारत सरकार ने पिछले वर्ष राष्ट्रीय स्तर पर एक कार्बन बाजार शुरू करने के लिए एक कानून पास किया, जो संस्थाओं को कार्बन क्रेडिट बेचने की अनुमति देगा जो उन्होंने खुद के उत्सर्जन को कम करके कमाई होगी.
क्या कहा राम माधव ने?
राम माधव ने कहा कि भारत सरकार को वैश्विक जलवायु परिर्वतन के लिए उठना चाहिए, उसे ज्यादा महत्वाकांक्षी होना चाहिए और इस बारे में काम करने के लिए केवल पश्चिमी देशों के पीछे 'तीसरी दुनिया की मानसिकता' का समर्थन नहीं करना चाहिए.
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