नई दिल्लीः अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर आती दिख रही है. खनन और बिजली उत्पादन क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन से सितंबर महीने में औद्योगिक उत्पादन 0.2 प्रतिशत की वृद्धि के साथ छह महीने बाद सकारात्मक दायरे में पहुंचा. हालांकि, खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के कारण अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति 7.61 प्रतिशत पर पहुंच गयी. यह रिजर्व बैंक के संतोषजनक दायरे से ऊपर है.
इस बीच, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहनों की एक और खुराक की घोषणा की. इसमें जहां छोटे कारोबारियों के लिए पहले से चल रही ऋण गारंटी सुविधा कार्यक्रम की अवधि इस वित्त वर्ष के अंत तक बढ़ा दी गई है, वहीं नौकरी सृजन को गति देने के इरादे से नये रोजगार देने वाले उद्योगों को भविष्य निधि सहायता उपलब्ध कराने की घोषणा की गई है.
दौरान ऊर्जा खपत में 12 प्रतिशत की वृद्धि
सीतारमण ने कहा कि एक लंबे और कड़े लॉकडाउन के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत में अच्छा सुधार देखने को मिल रहा है. कंपनियों के कारोबार की गति का संकेत देने वाला कंपोजिट परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) अक्टूबर में बढ़कर 58.9 रहा, जो इससे पिछले महीने में 54.6 था.
वित्त मंत्री ने कहा कि अक्टूबर के दौरान ऊर्जा खपत में 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का संग्रह 10 प्रतिशत बढ़कर 1.05 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया.अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज़ ने भी इस वर्ष के दौरान भारत की जीडीपी में गिरावट के अपने पहले के अनुमान में सुधार किया है.
औद्योगिक उत्पादन में 0.2 प्रतिशत की वृद्धि
इस बीच, सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के ताजा आंकड़े में औद्योगिक उत्पादन छह महीने के बाद सकारात्मक दायरे में पहुंच गया. खनन और बिजली उत्पादन क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन से सितंबर महीने में औद्योगिक उत्पादन में 0.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई.
हालांकि, सूचकांक में 77.63 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाले विनिर्माण क्षेत्र में सितंबर महीने में 0.6 प्रतिशत की मामूली गिरावट रही. वहीं, खनन और बिजली क्षेत्र के उत्पादन में क्रमश: 1.4 प्रतिशत और 4.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
आईआईपी के पिछले साल सितंबर के आंकड़े को यदि देखा जाये तो इसमें 4.6 प्रतिशत की गिरावट आयी थी. अक्टूबर 2020 के औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े दिसंबर में आयेंगे.
लॉकडाउन के कारण आई थी गिरावट
औद्योगिक उत्पादन में इस साल फरवरी में 5.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. उसके बाद कोविड-19 महामारी और उसकी रोकथाम के लिये लगाये गये ‘लॉकडाउन’ के कारण मार्च में 18.7 प्रतिशत, अप्रैल में 57.3 प्रतिशत, मई में 33.4 प्रतिशत, जून में 16.6 प्रतिशत और जुलाई में 10.8 प्रतिशत की गिरावट रही. संशोधित आंकड़े में अगस्त में औद्योगिक उत्पादन में 7.4 प्रतिशत की गिरावट रही.
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि ‘लॉकडाउन’ से जुड़ी पाबंदियों में ढील के साथ आर्थिक गतिविधियों में अपेक्षाकृत सुधार हुआ है. इसके साथ आंकड़ा संग्रह की स्थिति भी बेहतर हुई है.
खुदरा मुद्रास्फीति 7.61 प्रतिशत पर पहुंची
हालांकि खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के कारण अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति 7.61 प्रतिशत पर पहुंच गयी. यह रिजर्व बैंक के संतोषजनक दायरे से ऊपर है.
सरकार के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के आंकड़ों के अनुसार, इससे एक माह पहले सितंबर 2020 में खुदरा मुद्रास्फीति 7.27 प्रतिशत थी. वहीं एक साल पहले अक्टूबर 2019 में यह 4.62 प्रतिशत रही थी. सामान्य मुद्रास्फीति में वृद्धि मुख्य रूप से खाद्य कीमतों में तेजी के कारण हुई.
इस बीच, नरम वैश्विक संकेतों के बीच निवेशकों की मुनाफावसूली से गुरुवार को घरेलू शेयर बाजारों में लगातार आठ दिन की तेजी के बाद गिरावट रही. बीएसई का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक 236.48 अंक यानी 0.54 प्रतिशत गिरकर 43,357.19 अंक पर बंद हुआ.
यह भी पढ़ें-
धनतेरस पर बाजारों में लौटी रौनक, जानें सोना और चांदी की क्या हैं कीमत
ब्याज, पेंशन, बीमा- जानें PF खाताधारकों को मिलती हैं कौन-कौन सी सुविधाएं