Economy Edition: जानिए, ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में आई गिरावट कैसे देश की GDP पर डाल रही है असर
एक तय वक्त में किसी देश या अर्थव्यवस्था में तैयार होने वाले सभी उत्पाद और सेवाओं को मिला दें और फिर उसकी कीमत बाजार के मुताबिक लगाएं तो उसे ही GDP कहा जाता है.
नई दिल्ली: देश में मंदी की चर्चा लोगों की जुबान पर ज़ोर-शोर से सबसे पहले तब आई जब कारों की बिक्री के कम होने का आंकड़ा सामने आया. ऑटो सेक्टर देश में करीब चार करोड़ लोगों को रोजगार देता है, लेकिन 2019 ऑटो सेक्टर के लिए बुरे सपने की तरह है. हर महीने इंतजार इस बात का होता रहा कि अच्छे दिन आएंगे. लेकिन वो दिन अभी तक नहीं आए. आपको यहां जानना चाहिए कि देश की जीडीपी में 6 प्रतिशत हिस्सेदारी ऑटो सेक्टर की है. ऐसे में इस सेक्टर की मंदी देश की इकॉनमी को कमजोर कर रही है.
ये GDP क्या है? एक तय वक्त में किसी देश या अर्थव्यवस्था में तैयार होने वाले सभी उत्पाद और सेवाओं को मिला दें और फिर उसकी कीमत बाजार के मुताबिक लगाएं तो उसे ही GDP कहा जाता है. यही GDP देश की आर्थिक तरक्की का सबसे बड़ा फैक्टर है. इसे साधारण शब्दों में समझना हो तो, इस तरह समझ सकते हैं कि अगर GDP बढ़ेगी तो देश की आर्थिक तरक्की होगी और अगर GDP घटेगी तो देश की आर्थिक तरक्की कम होगी. आर्थिक तरक्की कम होने की सीधी मार मिडिल क्लास और BPL परिवारों पर पड़ती है. चिंता इसलिए भी है, क्योंकि भारत की मौजूदा GDP सबसे न्यूनतम स्तर पर है.
- 2015-16 में GDP 8% थी - 2016-17 में बढ़कर ये 8.2% हुई - लेकिन 2017-18 में ये घटकर 7.2% पर आ गई - जबकि 2018-19 में ये 6.8% और 2019-20 की पहली तिमाही में 5% पर सिमट गई
मतलब पिछले दो साल से देश मंदी की तरफ बढ़ रहा है. ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. इसे आंकड़ों से समझिए... - सभी ब्रांड्स को मिलाकर सितंबर 2019 में 2 लाख 23 हजार 317 पैसेंजर गाड़ियां बिकीं, जबकि सितंबर 2018 में ये आंकड़ा 2 लाख 92 हजार 660 था. यानी सीधे-सीधे 23.69% की गिरावट.
- सितंबर 2019 में 58 हजार 419 कमर्शियल गाड़ियों की सेल हुई, लेकिन पिछले साल सितंबर में 95 हजार 870 गाड़ियां बिकी थीं. मतलब 39.06% गिरावट.
- इस साल सितंबर में 16 लाख 56 हजार 774 बाइक्स बिकीं, जबकि सितंबर 2018 में ये आंकड़ा 21 लाख 26 हजार 445 था. यहां भी 22.09% की गिरावट.
इसकी सबसे बड़ी मार देश के सबसे बड़े कार उत्पादक कंपनी मारुति पर पड़ी है. मारुती सुजुकि के चेयरमैन आरसी भार्गव ने कहा, "मारुति का मुनाफा मौजूदा तिमाही में लगभग 40 फीसदी गिरा है, जो बीते सात सालों के दौरान सबसे बड़ी गिरावट है.
आरसी भार्गव से जब सवाल किया गया कि जो नंबर सेल्स में रिफलेक्ट हो रहे थे क्या वो मुनाफे में दिख रहे हैं? इस पर उन्होंने कहा, "जब सेल्स गिरती है तो उसी के अनुपात में मुनाफा तो गिरता ही गिरता है. क्योंकि आपके सारे ओवरहेड्स फिक्स हैं. अगर 20 फीसदी सेल गिरती है तो मैन पावर तो 20 फीसदी कम नहीं करता. कैपिटल निवेश तो पहले ही हो चुका है. उसका कुछ कर नहीं सकते. तो वो कॉस्ट तो आना ही आना है. सारे फाइनेंशियल नंबर्स जो हैं, वो तो गिरने ही गिरने हैं. उसका तो कोई इलाज ही नहीं है. वो प्राकृतिक है."
आर्थिक गिरावट की इस चर्चा के बीच एक आंकड़ा चौंकाता है
-मर्सिडीज बेंज ने मुंबई और गुजरात में दशहरा के दिन करीब 200 यूनिट की डिलीवरी का रिकॉर्ड बनाया
-धनतेरस के दिन मर्सिडीज की करीब 250 यूनिट की डिलीवरी दिल्ली एनसीआर में की गई
-मुंबई, पुणे, गुजरात, दिल्ली एनसीआर और पंजाब में कंपनी की रिकॉर्ड 600 यूनिट धनतेरस के दिन बिकी
ऐसे में सवाल ये उठता है कि फिर मंदी कहा हैं? तो आप फिर से इन आंकड़ों पर नजर डालिए. सितंबर 2018 में 2 लाख 92 हजार 660 गाड़ियां बिकी थीं. वहीं अगर इस महीने सिर्फ 600 मर्सिडीज बिकी हैं तो इसे मंदी ही कहेंगे.
ऑटोमोबाइल सेक्टर में मंदी का एक बड़ा कारण बैंकों की सख्ती भी है. मल्टी ब्रांड शिवा ऑटोमोबाइल्स के डायरेक्टर अमित गर्ग कहते हैं, "बैंकों ने इंवेटरी फंडिंग शोरुम को बंद कर दिया है. 100 फीसदी गारंटी मांगते हैं. साथ ही साथ हाई सिबिल वजह है. ज्यादातर कस्टमर्स को लोन नहीं मिल पाता."
भारत के उद्योगों में एक बड़ी हिस्सेदारी स्टील सेक्टर की है, लेकिन ऑटोमोबाइल में मंदी की मार स्टील उद्योग पर पड़ी है. स्टील की सबसे ज्यादा खपत ऑटो मोबाइल इंडस्ट्री में ही होती है. लोग गाड़ी नहीं खरीद रहे तो स्टील की मांग कम हो गई है. साथ ही रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर इंडस्ट्री में स्लोडाउन से भी स्टील की खपत कम हुई है.
- इस साल सितंबर में स्टील का सिर्फ 90 लाख टन प्रोडक्शन हुआ, जो कि अप्रैल के बाद सबसे कम है.
-अप्रैल 2019 में ये उत्पाद और भी कम था, प्रोडक्शन सिर्फ 88 लाख टन ही हुआ था.
इन सेक्टर के मुनाफे को रफ्तार कैसे मिलेगी -कार पर अगर सरकार 28% GST के साथ लगने वाले दूसरे सेस को कम कर दे, तो ऑटोमोबाइल सेक्टर पटरी पर लौट सकता है.
-ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री बढ़ेगी तो स्टील इंडस्ट्री को संजीवनी मिलेगी