एयरसेल-मैक्सिस मामले में ED ने पी चिदंबरम समेत नौ आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की
एजेंसी ने पी चिदंबरम समेत नौ आरोपियों के नाम इसमें शामिल किये हैं. इस चार्जशीट में पी चिदंबरम, एस भास्कररमन और मैक्सिस की चार कंपनियां के नाम हैं.
नई दिल्लीः एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ईडी) ने एयरसेल-मैक्सिस मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के खिलाफ आज चार्जशीट दाखिल कर ली है. एजेंसी ने पी चिदंबरम समेत नौ आरोपियों के नाम इसमें शामिल किये हैं. इस चार्जशीट में पी चिदंबरम, एस भास्कररमन और मैक्सिस की चार कंपनियां के नाम हैं. सीबीआई के स्पेशल जज ओ पी सैनी ने चार्जशीट पर विचार करने के लिए 26 नवंबर की तारीख तय की. दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में आज इस मामले की सुनवाई हो रही थी.
Aircel-Maxis case: ED files supplementary chargesheet in Delhi's Patiala House Court against P Chidambaram for the offence of money laundering of Rs.1.16 crore in lieu of illegal FIPB approval by P Chidambaram in Mar 2006 given to Global Comm & Services Holdings Ltd, Mauritius pic.twitter.com/m1t7OJJFIH
— ANI (@ANI) October 25, 2018
ईडी ने दायर की गई चार्जशीट में कहा कि पी चिदंबरम ने अवैध तरीके से एफआईपीबी (विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड) मंजूरी देकर लाभ पहुंचाया. दायर की गई चार्जशीट में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम का नाम प्रमुख है.
कल सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर किया था हमला सुब्रमण्यम स्वामी ने कल कहा था कि सीबीआई में जारी अफसरों को हटाने के खेल में ईडी (एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट) के राजेश्वर को निलंबित करने की योजना भी बन रही है ताकि वो चिदंबरम के खिलाफ चार्जशीट फाइल ना कर सकें. स्वामी ने ये भी कहा था कि अगर मेरी सरकार ही उन्हें बचाने की कोशिश करेगी तो मेरे पास भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने की कोई वजह नहीं बचेगी. तब मुझे उन सभी भ्रष्टाचार के मामलों को वापस लेना होगा जो मैंने फाइल किए हैं.
क्या है एयरसेल-मैक्सिस मामला साल 2006 मार्च में एयरसेल-मैक्सिस एफडीआई मामले में एफआईपीबी मंजूरी चिदम्बरम ने दी थी जबकि वह 600 करोड़ रुपये तक ही परियोजना प्रस्तावों को मंजूरी देने के लिए अधिकृत थे, और उससे अधिक की राशि के लिए आर्थिक मामलों से संबंधित मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) से मंजूरी जरुरी थी. ईडी तत्कालीन वित्तमंत्री पी चिदंबरम द्वारा दी गयी एफआईपीबी मंजूरी की स्थितियों की जांच कर रही है.
ईडी ने आरोप लगाया था कि ‘इस मामले में 80 करोड़ डॉलर (3500 करोड़ रुपये से ज्यादा) एफडीआई की मंजूरी मांगी गयी थी. इसलिए सीसीईए ही मंजूरी देने के लिए अधिकृत थी लेकिन कैबिनेट कमेटी ऑन इकनॉमिक अफोयर्स से मंजूरी नहीं ली गयी और पी चिदंबरम ने इसे मंजूरी दे दी थी.