हिमाचल प्रदेश के छात्रवृत्ति घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई जारी है. ईडी (शिमला) ने पीएमएलए 2002 के तहत मंगलवार (11 मार्च, 2025) को 1.6 करोड़ रुपये मूल्य की अचल संपत्तियों को अंतिम रूप से कुर्क किया है. इस घोटाले में अब तक 30.5 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की जा चुकी है.


क्या है छात्रवृत्ति घोटाला?
हिमाचल प्रदेश में ये घोटाला 2013 से 2017 के बीच हुआ था जब सरकारी छात्रवृत्ति योजनाओं का पैसा कई निजी शिक्षण संस्थानों और अन्य बिचौलियों के फर्जी खातों में भेज दिया गया. यह छात्रवृत्ति राशि दलित, पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए थी लेकिन कथित रूप से इस राशि का गबन कर लिया गया.


2019 में इस घोटाले का खुलासा हुआ जब सीबीआई ने जांच शुरू की और कई अनियमितताएं पाई गईं. जांच के दौरान यह सामने आया कि नकली दाखिले दिखाकर और फर्जी दस्तावेजों के जरिए करोड़ों रुपये की सरकारी छात्रवृत्ति का दुरुपयोग किया गया.


ईडी की कार्रवाई क्यों महत्वपूर्ण?
छात्रवृत्ति घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग के पहलू की जांच के लिए ईडी ने 2022 में मामला दर्ज किया था. इसके बाद से एजेंसी लगातार संपत्तियों को कुर्क कर रही है. अब तक कुल 30.5 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्तियां कुर्क की जा चुकी हैं.


सूत्रों के मुताबिक, ईडी को जांच में कई प्रभावशाली लोगों की भूमिका का भी संदेह है. इसमें कुछ बड़े शिक्षण संस्थानों, प्रशासनिक अधिकारियों और राजनीतिक हस्तियों के नाम भी सामने आ सकते हैं.


आगे क्या?
ईडी की कार्रवाई जारी है और माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में और भी संपत्तियां कुर्क की जा सकती हैं. इस मामले में कई लोगों से पूछताछ चल रही है और कुछ और गिरफ्तारियां भी हो सकती हैं.


अब देखना यह होगा कि सरकार और प्रशासन इस घोटाले से प्रभावित छात्रों को न्याय दिलाने के लिए क्या कदम उठाते हैं और इस मामले में शामिल बड़े नामों पर क्या कार्रवाई होती है.


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