Money Laundering: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने टोरेस पोंजी स्कीम मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में पीएमएलए की संबंधित धाराओं के तहत ECIR दर्ज किया है. आरोप है कि इस स्कीम के माध्यम से बड़े पैमाने पर पैसों की हेराफेरी की गई, जिसमें लोवर मिडल क्लास के निवेशकों को उच्च रिटर्न का लालच देकर धोखाधड़ी की गई.
सूत्रों के अनुसार ED का मामला मुंबई में शिवाजी पार्क पुलिस की ओर से दर्ज की गई एफआईआर पर आधारित है. एफआईआर में एक सब्जी विक्रेता ने दावा किया है कि लगभग 1.25 लाख निवेशकों ने टोरेस पोंजी स्कीम में निवेश किया था, जिसमें 66 निवेशकों से 13.85 करोड़ रुपये का निवेश शामिल था. शुरुआत में कुछ निवेशकों को रिटर्न मिला, लेकिन बाद में पैसे मिलना बंद हो गए, जिसके बाद ये मामला गंभीरता से लिया गया और इसकी जांच को EOW को सौंपा गया.
10 विदेशी नागरिक फरार, लुक आउट सर्कुलर जारी
ईओडब्ल्यू की जांच में ये सामने आया कि ये घोटाला यूक्रेनी नागरिकों की ओर से रची गई एक साजिश थी. आरोपियों की योजना के मुताबिक लोवर मिडल क्लास के लोग 40,000 से 50,000 रुपये तक निवेश कर सकें. इसके लिए एक स्कीम तैयार की गई थी. फिलहाल मामले में शामिल 10 विदेशी नागरिक फरार हैं और उनके खिलाफ लुक आउट सर्कुलर (LOC) जारी किए गए हैं. इन विदेशी नागरिकों में से अधिकांश पहले ही देश छोड़कर भाग चुके हैं. इस घोटाले के मास्टरमाइंड के तौर पर ओलेना स्टोइन का नाम सामने आया है.
आरोपियों ने क्रिसमस पर भागने की बनाई साजिश
ईओडब्ल्यू के अधिकारी के अनुसार आरोपियों की योजना थी कि वे क्रिसमस के समय देश छोड़कर भाग जाएं, क्योंकि इस दौरान किसी को संदेह नहीं होगा. इन्होंने उसी अनुसार अपनी योजना को अंजाम दिया और देश से भाग गए. मामले में गिरफ्तार किए गए दो विदेशी नागरिकों तानिया उर्फ तजागुल खटासोवा और रूसी नागरिक वैलेंटिना कुमारी को कोर्ट ने EOW की कस्टडी में भेज दिया है. पुलिस के अनुसार दोनों आरोपी जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं.
EOW और आयकर विभाग जुटा रहे हैं जानकारी
अब तक 2,000 से ज्यादा शिकायतकर्ता सामने आ चुके हैं जिन्होंने लगभग 39 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की रिपोर्ट की है. इस मामले में ईओडब्ल्यू ने 11 टोयोटा ग्लैंजा कारों सहित 21 करोड़ रुपये का सामान और कैश जब्त किए हैं. इसके अलावा ये भी सामने आया कि तानिया उर्फ तजागुल खटासोवा ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान डोंगरी पुलिस की ओर से जब्त किए गए 62 लाख रुपये के मामले में कथित रूप से हस्तक्षेप किया था. इस संदर्भ में ईओडब्ल्यू आयकर विभाग से भी जानकारी इकट्ठी कर रही है.