चंडीगढ़ की फार्मा कंपनी के खिलाफ ED का बड़ा एक्शन, दिल्ली-एनसीआर और पंजाब में मारी रेड
सूत्रों ने बताया कि इसी साल अक्टूबर में भी चंडीगढ़ा की फार्मा कंपनी के खिलाफ छापेमारी हुई थी. पैराबोलिक ड्रग्स के प्रोमोटरों को भी धनशोधन निवारण अधिनियिम (PMLA) के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया था.
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प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कथित बैंक धोखाधड़ी मामले में चंडीगढ़ स्थित एक दवा कंपनी और उसके प्रवर्तकों के खिलाफ धनशोधन जांच के तहत शुक्रवार (15 दिसंबर) को दिल्ली-एनसीआर और पंजाब में लगभग एक दर्जन स्थानों पर छापे मारे. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस मामले में कंपनी- पैराबोलिक ड्रग्स- के खिलाफ अक्टूबर में भी छापे मारे गए थे.
ईडी ने पहले पैराबोलिक ड्रग्स के प्रवर्तकों- विनीत गुप्ता (54) और प्रणव गुप्ता (56) एवं चार्टर्ड अकाउंटेंट सुरजीत कुमार बंसल (74) को धनशोधन निवारण अधिनियिम (PMLA) के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया था. विनीत एवं प्रणव गुप्ता हरियाणा के सोनीपत स्थित अशोक विश्वविद्यालय के सह-संस्थापक भी हैं.
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा 2021 में 1,626 करोड़ रुपये की बैंक ऋण धोखाधड़ी में उनकी कथित संलिप्तता के लिए उनके और कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज किया था. इसके बाद दोनों ने 2022 में अशोक विश्वविद्यालय में अपने पद से इस्तीफा दे दिया. ईडी ने पिछले साल जनवरी में उनके खिलाफ धनशोधन का मामला दर्ज किया था.
एजेंसी ने अक्टूबर में अदालत को बताया था कि कंपनी के दो गिरफ्तार निदेशक जाली और मनगढंत दस्तावेजों के आधार पर ऋण या वित्तीय सुविधाएं प्राप्त करके बैंकों को धोखा देने में सक्रिय रूप से शामिल थे. एजेंसी ने कहा था कि दोनों ने मुखौटा कंपनियों की सेवाओं का लाभ उठाया और प्राथमिक प्रतिभूति का मूल्य अवैध रूप से बढ़ा दिया, जिसके खिलाफ बैंक द्वारा आहरण की अनुमति दी गई थी.
एजेंसी ने दावा किया था, 'उनके आदेश और नियंत्रण में, पैराबोलिक ड्रग्स लिमिटेड ने नकली और असंबद्ध माल चालान जारी किए और अवैध रूप से मुखौटा कंपनियों से प्रविष्टियां प्राप्त कीं.' ईडी ने कहा था कि बंसल ने अपनी चार्टर्ड अकाउंटेंसी फर्म एस. के. बंसल एंड कंपनी के माध्यम से पैराबोलिक ड्रग्स लिमिटेड को गलत प्रमाणपत्र जारी किए, जिनका इस्तेमाल बैंकों के समूह (कंसोर्टियम) से ऋण लेने में किया गया था. ईडी ने तीनों की हिरासत की मांग करते हुए अदालत को बताया था कि उनकी अवैध गतिविधियों और ऋण निधि के दुरुपयोग से सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और अन्य कंसोर्टियम बैंकों को 1,626.7 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
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