नई दिल्ली: नियम कानूनों को ताक पर रखकर पोटाश की कालाबाजारी करने और कथित रूप से विदेश भेजकर पैसा कमाने के आरोप में प्रवर्तन निदेशालय ने आज राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भाई अग्रसेन गहलोत के ठिकानों पर छापेमारी की. ईडी की छापेमारी देश भर में 1 दर्जन से ज्यादा जगहों पर की गई और इस छापेमारी के दौरान अनेक दस्तावेज मिलने का दावा किया गया है. यह घोटाला फिलहाल 60 करोड़ रुपये का बताया गया है.
ईडी सूत्रों के मुताबिक यह मामला साल 2007 से साल 2009 के बीच का है, जब मनमोहन सिंह की सरकार केंद्र में थी. उस समय अशोक गहलोत के भाई अग्रसेन गहलोत के पास किसानों को बेचे जाने वाली पोटाश खाद बेचने का ठेका था. यह पोटाश खाद किसानों को कम मूल्यों पर मुहैया कराई जाती थी, आरोप है कि तमाम नियम कानूनों को ताक पर रखकर अग्रसेन गहलोत ने एक षड्यंत्र रचा और पोटाश की कालाबाजारी की.
साल 2013-14 मई में यह घोटाला डीआरआई और कस्टम की जानकारी में आया, जिसके बाद मामले की जांच की गई और अग्रसेन गहलोत पर 5 करोड़ रुपये से ज्यादा का जुर्माना भी लगाया गया. साल 2017-18 में मामले की फाइल प्रवर्तन निदेशालय ने मंगाई आरंभिक जांच के बाद अग्रसेन गहलोत और अन्य के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर छापेमारी की गई.
इस मामले में अग्रवाल नाम के शख्स के बयान अग्रसेन गहलोत के गले की हड्डी साबित हुए. अग्रवाल ने अपने बयान में कहा कि उसकी कंपनी के जरिए फर्जी दस्तावेजों के आधार पर समान भेजा जाता था. अग्रवाल ने अपने बयानों में कहा कि जो कंपनी उसके नाम पर बनाई गई और जिसके जरिए सामान बाहर भेजा जाता था. उस कंपनी से उसका कोई ज्यादा लेना-देना नहीं था. उसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. लिहाजा वह कंपनी बनाने पर तैयार हो गया था और इस कंपनी के बदले उसे प्रत्येक महीने कुछ आर्थिक मदद दी जाती थी. ईडी के मुताबिक आज जिन जगहों पर छापेमारी की गई उनमें कोलकाता (दो जगह), गुजरात (चार जगह), दिल्ली (एक जगह) और राजस्थान (छह जगह) शामिल हैं.
कुल 13 स्थानों पर छापेमारी हुई है. इनमें अग्रसेन गहलोत के जयपुर और जोधपुर के ठिकाने भी शामिल हैं. इसके अलावा कोलकाता की एक फर्म पर भी छापेमारी की गई है, जिसके संबंध अग्रसेन गहलोत से बताए जाते हैं. ईडी का दावा है कि छापों के दौरान अनेक अहम दस्तावेज बरामद हुए हैं. सूत्रों के मुताबिक इस बात की जांच की जा रही है कि घोटाले से जो पैसा कमाया गया उस अपराध की रकम को किन संपत्तियों आदि में लगाया गया और यह पैसा किन किन खातों में जमा किया गया. सूत्रों का कहना है कि इस बारे में जानकारी मिलने के बाद उन संपत्तियों को जब्त करने की कार्रवाई भी शुरू कर सकता है.
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