Money Laundering Case: मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय ( ED) ने महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री अनिल देशमुख का बयान चार बार दर्ज किया है. जब देशमुख ईडी की कस्टडी में थे तब उनके बयान 3, 4, 5 और 6 नवंबर को दर्ज किए गए. ईडी ने कोर्ट से कहा कि उन्हें इस मामले में अब सचिन वाजे का बयान दर्ज करने की इजाज़त दी जाए. प्रवर्तन निदेशालय इसके पहले भी वाजे का बयान दर्ज कर चुका है जिसे चार्जशीट में जोड़ा भी गया है. सचिन वाजे को एंटीलिया कांड में गिरफ्तार किया गया था और फिलहाल मुंबई क्राइम ब्रांच कस्टडी में है.
अनिल देशमुख के परिवार के पास 27 कंपनियां
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जांच के दौरान पता चला कि अनिल देशमुख के परिवार द्वारा डायरेक्टरी या इनडायरेक्टली नियंत्रित की जाने वाली 27 कंपनियां हैं. इन कंपनियों का इस्तेमाल ग़लत माध्यमों द्वारा कमाए पैसों को लोंडर करने के लिए किए जाते थे. ईडी ने जब इन 27 कंपनियों की लिस्ट देशमुख को दिखाई और इस कम्पनी में उसके सम्बंधों के बारे में पूछा तो देशमुख ने सही जवाब नहीं दिया.
सचिन वाजे पर आरोप
बताया जा रहा है कि अनिल देशमुख के कहने पर सचिन वाजे को एक प्राइवेट शख़्स ने मुंबई के बार और रेस्टोरेंट की लिस्ट दी थी और कहा था इन सब जगहों से पैसे वसूलने हैं. ED ने उस प्राइवेट शख़्स को समन भेजा है ताकि उसका बयान दर्ज कर जांच को आगे बढ़ाया जा सके. ईडी ने ऋषिकेश देशमुख के अलावा देशमुख परिवार के उन लोगों को भी समन भेजा है जो लोग देशमुख परिवार द्वारा कंट्रोल की जाने वाली कंपनियों के डिटेक्टर और शेयर होल्डर है.
प्रवर्तन निदेशालय को अनिल देशमुख के बयान में मिली जानकारी को उनके परिवार के दूसरे सदस्यों से कनफ़्रंट करना है. अनिल देशमुख ने ED को बताया कि नागपुर स्थित श्री साई शिक्षण संस्थान के फाइनेंशियल ट्रांसेक्शन की जानकारी उसे नहीं है क्योंकि वो उसका चेयरमैन नहीं है. जब ईडी ने देशमुख से पूछा कि नागपुर की श्री साई शिक्षण संस्थान को पैसे कैसे आए है जिसपर देशमुख ने बताया कि उन पैसों में से कुछ CSR (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी) और कुछ लोन थे.
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