Ranchi Expressway धोखाधड़ी मामले में ED ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत दर्ज किया केस, 2019 में हुई थी FIR
Expressway Fraud: ईडी के एक आला अधिकारी ने बताया कि इस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा रांची द्वारा 12 मार्च 2019 को दर्ज की गई FIR के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जांच शुरू की गई थी.
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Ranchi Expressway Fraud: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने रांची एक्सप्रेस वे लिमिटेड (Ranchi Expressway) धोखाधड़ी (Fraud) मामले में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (Money Launderning Case) के तहत मधुकान ग्रुप ऑफ कंपनी (Madhukan Group of Company) और उसके निदेशकों और प्रमोटरों की 105 अचल संपत्तियों तथा अन्य संपत्तियों को अटैच किया है इनकी कीमत 96 करोड़ रुपए से ज्यादा आंकी गई है. ईडी ने इस मामले में जांच के दौरान लोन खाते से 361 करोड़ रुपए से ज्यादा की धनराशि के सीधे डायवर्जन की पहचान की है. इस मामले में आरोपियों ने केनरा बैंक द्वारा लीड किए जा रहे बैंकों के समूह से 1030 करोड़ रुपए का लोन लिया था.
ईडी के एक आला अधिकारी ने बताया कि इस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा रांची द्वारा 12 मार्च 2019 को दर्ज की गई FIR के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जांच शुरू की गई थी. FIR रांची एक्सप्रेसवे लिमिटेड मधुकान समूह की एक कंपनी और उसके निदेशकों के खिलाफ दर्ज की गई थी. इसके बाद सीबीआई ने रांची एक्सप्रेस वे लिमिटेड और अन्य के खिलाफ आरोपपत्र भी 30 दिसंबर 2020 को रांची स्थित सीबीआई की विशेष अदालत के सामने पेश किया था. इस मामले में आरोप था कि केंद्रीय सड़क नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा चार लेन का एक प्रोजेक्ट रांची- रारगांव- जमशेदपुर सेक्शन पर बनाने के लिए मधुकान प्रोजेक्ट लिमिटेड को 18 मार्च 2011 को दिया गया था. मधुकान प्रोजेक्ट लिमिटेड ने इसके लिए रांची एक्सप्रेस वे लिमिटेड नाम की एक कंपनी बनाई थी.
बैंक फ्रॉड के लिए फर्जी दस्तावेज
इस काम को करने के लिए इस समूह ने बैंकों के एक समूह से जिसे केनरा बैंक लीड कर रहा था उससे 1030 करोड़ रुपए लोन लिया था. इस मामले में आरोप है कि यह समूह बैंकों से पूरी लोन राशि लेने के बावजूद परियोजना को पूरा नहीं कर सका और बाद में उसका अनुबंध समाप्त कर दिया गया. इस मामले में यह आरोप भी है कि जिस काम के लिए लोन लिया गया था उस काम में पैसा नहीं लगाया गया बल्कि छह अलग-अलग शैल कंपनियों के जरिए यह पैसा इस कंपनी ने अपने दूसरे प्रोजेक्ट में लगाया. ईडी ने इस मामले में जून 2021 में इस कंपनी और उसके निदेशकों पर छापेमारी भी की थी जिस दौरान 34 लाख रुपए से ज्यादा की धनराशि बरामद हुई थी. आरोप के मुताबिक कंपनी ने बैंक फ्रॉड करने के लिए फर्जी दस्तावेज भी बनवाए.
ईडी ने कई जगहों पर संपत्तियों की पहचान की
ईडी अधिकारी (ED Officers) के मुताबिक जांच (Probe) के दौरान इस मामले में लोन फंड (Loan Fund) से 361 करोड़ रुपए के सीधे डायवर्जन की पहचान की गई है. ईडी (ED) ने इस मामले में जांच के दौरान हैदराबाद (Hyderabad) पश्चिम बंगाल (West Bengal) विशाखापट्टनम प्रकाशम और कृष्णा जिले में इस समूह की संपत्ति की पहचान की है. अब इनकी 105 चल अचल संपत्तियों को आरंभिक तौर पर अटैच करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं मामले की जांच जारी है.
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