मुंबई: पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह द्वारा तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख पर मुंबई के बार और रेस्टोरेंट मालिकों से पुलिस द्वारा वसूली करवाने के आरोप के बाद से ही अनिल देशमुख के सितारे गर्दिश में है. प्रवर्तन निदेशालय के रडार पर आए अनिल देशमुख के साथ साथ उनके बेटे ऋषिकेश भी है.


अनिल देशमुख पर मंत्री पद के दुरुपयोग, वसूली के आरोप, मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप है. प्रवर्तन निदेशालय ने अनिल देशमुख और उनके बेटे ऋषिकेश देशमुख को एक बार समन जारी किया है और 2 अगस्त के दिन सुबह 11 बजे ED मुंबई दफ्तर हाजिर होने को कहा है.


25 जून के दिन प्रवर्तन निदेशालय ने अनिल देशमुख और अनिल देशमुख के करीबियों के घर और ठिकानों पर छापेमारी की थी. छापेमारी के बाद अनिल देशमुख के PA कुंदन शिंदे और PS संजीव पलांडे को ED अधिकारी अपने साथ ED दफ्तर ले गए. पूछताछ के बाद कुंदन शिंदे और संजीव पलांडे को गिरफ्तार कर लिया गया. अनिल देशमुख को ED ने समन दिया था पर अनिल देशमुख ने कभी कोरोना तो कभी अपनी ज्यादा उम्र व बीमारियों को कारण बताते हुए ऑनलाइन पूछताछ की मांग की है.


भले ही ED से अनिल देशमुख भाग रहे हो, पर ED सूत्रों के मुताबिक अनिल देशमुख और उनके छोटे बेटे ऋषिकेश देशमुख पर शिकंजा कस चुका है. राहत पाने के लिए अनिल देशमुख ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई है जिसकी सुनवाई इस हफ्ते होने की संभावना है.


क्या है वसूली मामला?


यह मामला मुंबई के बार मालिकों से पैसे लेने और ट्रांसफर पोस्टिंग के लिए पैसे लेने का है. कुल 4.70 करोड़ रुपयों के वसूली का मामला है. कई बार मालिकों के बयान को ईडी ने रिकॉर्ड किया जिसमें उन्होंने कहा कि दिसंबर 2020 में सचिन वाज़े ने उनसे संपर्क साधा और बार मालिकों से 40 लाख रुपये लिए, जिसे वो लोग गुड लक मनी कहते थे. उस समय सचिन वाज़े CIU (क्राइम ब्रांच) के हेड थे.


जनवरी और फरवरी 2021 में मुंबई के जोन 1 से जोन 6 में आने वाले ऑरकेस्ट्रा बार मालिकों ने 1.64 करोड़ रुपये दिए. जोन 7 से जोन 12 के अंतर्गत आने वाले ऑरकेस्ट्रा बार मालिकों ने 2.74 करोड़ रुपए दिए. सचिन वाज़े ने अपने बयान में बताया कि जो 4.70 करोड़ रुपये उसने इन बार मालिकों से इकट्ठा किए, वो उन्होंने अनिल देशमुख के कहने पर उनके पीए कुंदन शिंदे को दिया.


इसके अलावा दो पुलिस अधिकारियों ने अपने बयान में बताया कि संजीव पलांडे भी इस पूरे मामले शामिल हैं. अधिकारियों का कहना है कि सचिन वाज़े ने उन्हें बताया कि यह पैसे उन्होंने संजीव पलांडे के कहने पर बार मालिकों से जमा किया. जो 4.70 करोड़ रुपये हैं, वो नागपुर से दिल्ली हवाला से गया और दोबारा ट्रस्ट में लौटा है जिसे अनिल देशमुख के परिवार चलाते हैं. ट्रस्ट का नाम श्री साईं संस्था है, जिसे अनिल देशमुख का परिवार चलाता है. इस ट्रस्ट में कुंदन शिंदे भी एक मेंबर हैं.


अनिल देशमुख के बेटे ऋषिकेश देशमुख पर भी ईडी के जांच की तलवार?


ईडी की जांच में अनिल देशमुख के साथ-साथ अब अनिल देशमुख के बेटे ऋषिकेश देशमुख पर भी ईडी के जांच की तलवार लटक रही है. मनी लॉन्ड्रिंग के तहत अनिल देशमुख और उनके सहयोगियों पर केस दर्ज कर जांच करने वाली ईडी को सिर्फ अनिल देशमुख ही नहीं बल्कि उनके परिवार के खिलाफ कई अहम जानकारियां हाथ लगी हैं.


ईडी को ऐसी 11 कंपनियों के बारे में पता चला है जो की अनिल देशमुख के बेटों सलिल और ऋषिकेश के सीधे कंट्रोल में है. साथ ही 13 ऐसी कंपनियां हैं जो अनिल देशमुख के बेटों और परिवार से जुड़े लोगों के द्वारा चलाई जाती हैं लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से अनिल देशमुख का परिवार उस पर कंट्रोल करता है. ईडी की जांच में ये बात सामने आई है कि इन कंपनियों के बीच में लगातार ट्रांजैक्शंस हुए हैं.


ईडी ने 25 जून को मुंबई, नागपुर और अहमदाबाद के 6 ठिकानों पर रेड की और 6 डायरेक्टर्स और 2 CA का स्टेटमेंट दर्ज किया. इन सभी से पूछताछ के बाद जो जानकारी मिली उसके मुताबिक इन्हीं लोगों के जरिए देशमुख परिवार अलग-अलग नामों की कंपनियां चला रहा था और इन कंपनियों का सीधा कंट्रोल इनके जरिए देशमुख परिवार के हाथ में था.


डायरेक्टर ने अनिल देशमुख के बेटे ऋषिकेश का नाम लिया


विक्रम शर्मा नाम के डमी डायरेक्टर से जब ईडी ने पूछताछ की तो इस डायरेक्टर ने अनिल देशमुख के बेटे ऋषिकेश देशमुख का नाम लिया और बताया कि उसकी कंपनी "Qubix हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड" को स्थापित करने के लिए ऋषिकेश देशमुख ने पैसे दिए थे. विक्रम शर्मा qubix हॉस्पिटैलिटी नामक कंपनी के अलावा चार अन्य कंपनियों में भी डायरेक्टर हैं जिसके बारे में विक्रम को जानकारी नहीं है. विक्रम ने ईडी को बताया है कि ऐसे कई डाक्यूमेंट्स और चेक पर ऋषिकेश देशमुख ने उनसे हस्ताक्षर लिए हैं.


विक्रम शर्मा ने बताया कि qubix हॉस्पिटैलिटी का कंट्रोल भी ऋषिकेश देशमुख के पास ही है. अनिल देशमुख के सीए प्रकाश रमानी ने भी ईडी के सामने यह बताया है कि जिन कंपनियों की जानकारी ईडी के पास आई है ये सभी कंपनियां प्रत्यक्ष या फिर अप्रत्यक्ष रूप से देशमुख परिवार के कंट्रोल में है।


देशमुख के परिवार के कई लोग इस संस्था के ट्रस्टी हैं


ईडी की जांच में एक और महत्वपूर्ण बात सामने आई है नागपुर स्थित श्री साई शिक्षण संस्था जिसके चेयरमैन अनिल देशमुख हैं. साथ ही उनके परिवार के कई लोग इस संस्था के ट्रस्टी हैं. यहां तक कि गिरफ्तार किया गया कुंदन भी संस्था का मेंबर है जांच में पता चला कि पिछले कुछ समय से इस संस्था को 4 करोड़ 18 लाख रुपए मिले हैं.


इस संस्था के बैंक एकाउंट की एंट्री को देखने के बाद ईडी ने इस संस्था को पैसे देने वाली कंपनियों की तलाश की तो पता चला ये कंपनियां दिल्ली में है लेकिन सिर्फ पेपर पर. यानि की यह कंपनियां सिर्फ कैश ट्रांजैक्शन को सेटल करने के लिए इस्तेमाल की जा रही थी जिसे सेल कंपनियां कहते हैं.


डोनेशन के रूप में 4 करोड़ 18 लाख रुपए श्री साईं शिक्षण संस्था को मिला


ईडी ने जांच के दौरान इन सेल कंपनियों के मालिक सुरेंद्र जैन और वीरेंद्र जैन से पूछताछ की तो पता चला की नागपुर से एक शख्स द्वारा इन्हें कांटेक्ट किया गया और श्री साईं शिक्षण संस्था को कैश के ऐवज में डोनेशन दिए जाने की बात कही. ये कैश हवाला के जरिए नागपुर से दिल्ली भेजा गया और फिर इन सेल कंपनियों के माध्यम से डोनेशन के रूप में 4 करोड़ 18 लाख रुपए श्री साईं शिक्षण संस्था को मिला.


ईडी के मुताबिक यह सब कुछ अनिल देशमुख के बेटे ऋषिकेश देशमुख की निगरानी में हो रहा था. ईडी को शक है कि ये रकम उसी  4 करोड़ 70 लाख का हिस्सा है जिसे दिसंबर से फरवरी के बीच में सचिन वैसे द्वारा बार और रेस्टोरेंट के जरिए वसूल कर अनिल देशमुख के पिए कुंदन को दिया गया था.


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