नई दिल्ली: सुशांत और रिया की पिछले साल 25 दिनों की विदेश यात्रा के दौरान क्या आर्थिक गुल खिले थे इसका पर्दाफाश करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय अब चार देशों की आर्थिक जांच यूनिट यानि एफआईयू की मदद लेने जा रहा है. इन चारो देशो की यूनिटो को एफआईयू इंडिया की तरफ से एगमोंट पत्र भेजने की तैयारी की जा रही है. इस यूनिट का जवाब बेहद टारगेटेड होता है हालांकि उस जानकारी को कानूनी तौर पर प्रयोग नहीं किया जा सकता.


सुशांत मामले मे मनी लांड्रिग को लेकर खाली हाथ बैठे प्रवर्तन निदेशालय की कोशिशे लगातार जारी है. ईडी को अब तक इस मामले की मुख्य आरोपी रिया के बैंक खातो से तो कुछ हासिल नहीं हुआ है लेकिन जांच के दौरान उसे यह पता चल गया है कि रिया और सुंशात एक साथ 25 दिनो की विदेश यात्रा पर गए थे. इस पर ईडी ने अब तक जो सवाल रिया और उसके भाई से पूछे है उन जवाबों से ईडी सतुंष्ट नही है लिहाजा अब वो चलाने जा रहा हुक्म का पत्ता.


सूत्रों के मुताबिक ईडी का ये हुक्म का पत्ता एफआईयू इंडिया है जिसके विदेशी संबंधो का फायदा उठाकर अब इस मामले की तह तक पहुचंने की कोशिश की जा रही है. एफआईयू एक ऐसी संस्था है जिसकी जानकारी बेहद सटीक होती है और उसमें हर उस आर्थिक गतिविधि का ब्यौरा होता है जिसकी जानकारी जांच एजेंसियो के लिए रामबाण साबित होती रही है. सूत्रो के मुताबिक ईडी अब एफआईयू इंडिया की शरण में है जहां से वह उन चारों देशो को एफआईयू एगमोंट भिजवाने की कोशिश में है जहां सुशांत और रिया गए थे.


ये चार देश है फ्रांस, स्विटजरलैंड, इटली और आस्ट्रिया. एक बार अगर एफआईय़ू ने अपनी जांच शुरू की तो वो हर उस आर्थिक पत्ते को खोल देगी जो रिया और सुशांत ने इन देशों मे खेला होगा. चाहे वह क्रेडिट कार्ड से पेमेंट हो या फिर बैंक लेनदेन. या फिर खुली हो कोई कंपनी और हुआ हो उसके जरिए कोई निवेश. होटल का बिल हो या कोई और आर्थिक लेनदेन.


एफआईयू सूत्रों के मुताबिक एफआईयू इंडिया का एगमोंट जाते ही संबंधित देश की एफआईयू शाखा इन सभी जानकारियो के लिए जुट जाती है. इसके लिए संबंधित देश की पुलिस और खुफिया शाखा सभी का इस्तेमाल किया जाता है. बस एक सावधानी होती है कि कोई भी देश एफआईयू की सूचनाओं का इस्तेमाल जांच में तो कर सकता है कोर्ट मे कानूनी तौर पर नहीं कर सकता.


सूत्रों के मुताबिक एफआईयू की सूचनाओं के आधार पर जांच आगे बढ़ाई जाती है और तथ्य मिलने पर संबंधित देश को कोर्ट के जरिए कानूनी अनुरोध पत्र भेजा जाता है. फिर लैटरोगैटरी के जरिए जो जानकारी आती है उसे कानूनी तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है. ईडी ने अपने इस ब्रह्रास्त्र को छोड़ने का निर्णय ले लिया है और इस की रिपोर्ट मनी लांड्रिग के मामले में मील का पत्थर साबित होगी.


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