लद्दाखः शिक्षा विभाग ने शुरू कम्युनिटी क्लास, बच्चों को बढ़ा रहे शिक्षक और वालंटियर
कोरोना के चलते पूरे देश में स्कूल-कॉलेज बंद है और बच्चों की शिक्षा बुरी तरह प्रभावित हुई है. वहीं, लद्दाख में 'कम्युनिटी स्कूल" खोल कर बच्चो को पढ़ाने का काम शुरू किया है. इस काम में पंचायत भी भागीदार है. इसके साथ ही कारगिल जिले के डिप्टी कमिश्नर संतोष ने आदेश जारी कर सभी गांव -देहात में रहने वाले शिक्षकों और वालंटियर को अपने- अपने इलाकों में कम्युनिटी क्लास लेने और बच्चो को पढ़ाने के लिए कहा है.
लद्दाखः पिछले दो सालो से कोरोना के चलते जहां पूरे देश में स्कूल-कॉलेज बंद है और बच्चों की शिक्षा बुरी तरह प्रभावित हुई है. सरकार भी इस नुकसान की भरपाई करने की कोशिश में जुटी है. ऐसी ही एक अच्ची खबर दुर्गम लद्दाख से आयी है जहां लोगो ने भी 'कम्युनिटी स्कूल" खोल कर बच्चो को पढ़ाने का काम शुरू किया है. इस काम में पंचायत और ग्राम सेवक भी बढ़- चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं.
कारगिल के मैदानों में खुले आसमान के नीचे, पेड़ो के झुरमट के बीच या फर पहाड़ो और नदी के दामन में आज कल यही नज़ारा दिख रहा है. छोटे- छोटे समूह में कोरोना के नियमो के पालन के बीच यह कोरोना काल के नए क्लासरूम हैं. लदाख में इंटरनेट ना होने के चलते बड़ी संख्या में बच्चे ऑनलाइन क्लास से वंचित रह गए थे. कई प्रयासों के बावजूद भी सभी इलाकों में बच्चो को पूरी तरह शिक्षा नहीं मिल रही थी. कुछ जगह बच्चों को कई किलोमीटर पैदल चल कर इंटरनेट वाले इलाके में जाना पड़ रहा था या फिर कई जगह मोबाइल और कंप्यूटर ना होने के कारन क्लास छूट रही थी.
डिप्टी कमिश्नर शिक्षकों और वालंटियर से क्लास लेने के लिए कहा
इसलिए कारगिल ज़िले के डिप्टी कमिश्नर संतोष सुखदेवे ने आदेश जारी कर सभी गांव -देहात में रहने वाले शिक्षकों और वालंटियर को अपने- अपने इलाकों में कम्युनिटी क्लास लेने और बच्चो को पढ़ाने का काम शुरू करने को कहा और अब 1 जून से यह कम्युनिटी स्कूल शुरू हो गए हैं.
स्कूल शरू करने में लद्दाख के शिक्षा विभाग ने भी भरपूर मदद की है. हर गांव में जहा- जहाँ कम्युनिटी स्कूल शुरू हुए हैं, बच्चो को पढ़ाने के लिए व्हाइट बोर्ड, मार्कर, एक कुर्सी और टेबल दिया गया है और बच्चे भी खुले आसमान के नीचे कई महीनो बाद पढ़ाई करने में ज्यादा ख़ुशी महसूस कर रहे है.
मोबाइल इंटरनेट सर्विस नहीं पहुंच सकी
कम्युनिटी स्कूल शुरू करने के पीछे कारगिल के थुविना गांव के मुनीर थुराबी नाम के एक वालंटियर का सुझाव था, जो उस ने 26 अप्रैल को स्कूल बंद होने के बाद प्रशासन के सामने रखा था. थुविना गांव कारगिल के सांकू सुब-डिवीजन में पड़ता है जहां आज़ादी के ७४ साल बाद भी अभी मोबाइल इंटरनेट सेवाएं नहीं पहुंच सकी है.
कोरोना नियमो में थोड़ी छूट के साथ इन कम्युनिटी स्कूल की शुरुआत ने सभी बच्चो के लिए शिक्षा आसान कर दी है. खास तोर पर 10वीं और 12वीं के बच्चो के लिए. सांकू के एक और गांव में जम्मू में पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाली नुसरत बनू के अनुसार वह इस वजह से इस कम्युनिटी स्कूल में बच्चो को पढ़ा रही है जिससे कि वे आने वाले दिनों में परीक्षा दे सकें . क्योंकि जब तक लदाख में परीक्षा का समय आएगा तब कोरोना के हालात बहुत हद्द तक ठीक हो गए होंगे.
नवंबर महीने में शुरू होता है नया सेशन
पूरे देश में जहां सीबीएसई के तहत आने वाले स्कूलों के लिए सेशन मार्च में समाप्त होता है. वहीं जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में नया सेशन नवंबर महीने में शुरू होता है! और इसी लिए 10वीं और 12वीं की परीक्षा के साथ साथ प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड की सभी परीक्षाएं सितम्बर और अक्टूबर में होती है.
इसलिए लद्दाख के बच्चों के लिए यह कम्युनिटी स्कूल उम्मीद की नयी किरण लेकर आये है क्योंकि यहां पर अभी शिक्षा हासिल करने का समय है और परीक्षा के समय तक कोरोना के हालात ठीक हो गए हो तो बच्चों को इसमें बैठना भी सकता है.