बकरीद पर क्यों हो रहा है बवाल, क्या है मुसलमानों की मांग? संगीत सोम की क्या है चेतावनी, जानिए सबकुछ
बकरीद, कुर्बानी और नमाज़ को लेकर सियासत गरमा गई है. यहां आप जानिए बकरीद से जुड़े अपने हर सवाल का जवाब और क्यों इसे लेकर हो रहा है विवाद.
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नई दिल्ली: मुसलमानों का खास त्योहार ईद-उल-अजहा यानी बकरीद एक अगस्त को मनाया जाएगा. दिल्ली जामा मस्जिद के शाही इमाम अहमद बुखारी ने मंगलवार को इसकी घोषणा की. इस त्योहार को मुख्य रूप से कुर्बानी के त्योहार के रूप में जाना जाता है. हालांकि, कोरोना काल में बकरीद किस तरह होगी, इसे लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. इस बीच बकरीद, कुर्बानी और नमाज़ को लेकर सियासत भी गरमा गई है. एक तरफ जहां मुसलमान बकरीद पर विशेष छूट की मांग कर रहे हैं, वहीं केंद्र सरकार अभी तक इस पर चुप्पी साधे हुए है.
जानिए क्या है बकरीद
इस साल पूरे देश में 01 अगस्त को बकरीद का त्योहार मनाया जाएगा. इस त्योहार को हज़रत इब्राहिम की दी गई कुर्बानी की याद के तौर पर मनाया जाता है. इस दिन मुसलमान ईदगाह या मस्जिद में सामूहिक रूप से नमाज़ पढ़ते हैं और फिर घर पर जानवर की कुर्बानी देते हैं. इसके बाद कुर्बानी के गोश्त को गरीबों और यतीमों में बंटवां दिया जाता है. ईद की तरह ही बकरीद का त्योहार भी तीन दिन मनाया जाता है.
लॉकडाउन में घर पर ही अदा करनी होगी बकरीद की नमाज़
अभी तक की जानकारी के हिसाब से बकरीद के मौके पर भी देशभर में सामूहिक नमाज़ पढ़ने पर रोक रहेगी. हालांकि, मस्जिदों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए कुछ लोग नमाज़ अदा कर सकते हैं. 01 अगस्त को शनिवार पड़ रहा है, ऐसे में बकरीद के पहले और दूसरे दिन उत्तर प्रदेश में पूर्ण लॉकडाउन लागू रहेगा, बाकी राज्यों में प्रदेश सरकार का प्रोटोकॉल ही लागू रहेगा.
इस कारण हो रहा है विवाद
बता दें कि बकरीद को लेकर सबसे पहले सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने केंद्र और राज्य सरकारों से विशेष छूट देने को कहा था. इसके बाद से ही बकरीद और कुर्बानी को लेकर सियासत गरमा गई है. वैसे, भी बकरीद में कुर्बानी को लेकर पहले भी कई गैर-मुस्लिम विरोध दर्ज करते रहे हैं.
सपा सासंद शफीकुर्रहमान ने दिया था यह बयान
शफीकुर्रहमान ने कहा था, 'बकरीद पर मुसलमानों को ईदगाह और मस्जिदों में सामूहिक नमाज़ पढ़ने की अनुमति मिलनी चाहिए. मुझे यकीन है कि जब ज्यादा से ज्यादा मुसलमान अल्लाह के दरबार में मुल्क की भलाई की दुआ करेंगे तो अल्लाह हमारी जरूर सुनेंगे.' इसके साथ ही शफीकुर्रहमान ने बकरीद के मौके पर पशु बाजार लगाए जाने की मांग भी की थी.
साग, आलू खाकर भी मनानी जा सकती है बकरीद- संगीत सोम
इसके जवाब में बीजेपी विधायक संगीत सोम ने शफीकुर्रहमान पर ज़ुबानी हमला बोला. सोम ने कहा, 'अगर शफीकुर्रहमान के बयान में दम है तो सबसे पहले पाकिस्तान से कोरोना खत्म हो जाना चाहिए था. जिस तरह आज़म खान की ईद जेल में मनी है, उनकी भी बकरीद जेल में मनेगी. कहां लिखा है कि बकरीद पर खेती करने वाले जानवर कांटे जाएं, साग, आलू खाकर भी ईद मनानी जा सकती है.'
कानपुर शहर काज़ी बोले हर हाल में करेंगे कुर्बानी
बकरीद पर बढ़ती सियासत के बीच कानपुर शहर के काज़ी आलम रजा नूरी ने कहा कि बकरीद के मौके पर हर हाल में कुर्बानी होकर रहेगी. हमें इसकी छूट मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा, 'हमें पूरी उम्मीद है कि प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार बकरीद के मौके पर कुर्बानी की छूट देगी. मेरी मांग है कि जिस तरह बाकी बाज़ार लग रहे हैं, उसी तरह भेड़-बकरों की बाजार भी लगाई जाए.'
हाल ही में बकरीद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दी गई थी याचिका
हाल ही में बकरीद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी. इसमें बकरीद के दौरान पशुओं की दी जाने वाली कुर्बानी की परंपरा पर सवाल उठाया गया है. याचिका में कहा गया था कि बकरीद पर जानवरों की कुर्बानी पर रोक लगनी चाहिए. याचिकाकर्ता ने बकरीद में दी जाने वाली कुर्बानी को असंवैधानिक बताया था. इसमें गृह मंत्रालय, कानून मंत्रालय, पर्यावरण और वन मंत्रालय और पशु कल्याण बोर्ड को प्रतिवादी बनाया गया है.
क्या बकरीद पर कुर्बानी के लिए कानून देता है इजाज़त?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारतीय संविधान बकरीद को मौके पर कुर्बानी की इजाज़त देता है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 ने धार्मिक परम्पराओं को निर्बाध रूप से मानने की गांरटी दी है. इसी के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने 2015 और 2016 में बकरीद के मौके पर कुर्बानी को रोकने के लिए दाखिल की गई याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था.
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