EID 2022: दुनिया भर में कहीं आज ईद मनाई जा रही है तो कहीं 3 मई को ईद का त्योहार मनाया जाएगा. देश के कुछ राज्यों सहित दुनिया भर में 3 मई को ईद मनाई जाएगी. वहीं केरल में आज ही ईद का त्योहार सेलिब्रेट किया जा रहा है. आपको बता दें कि पिछले कुछ सालों से ईद के त्योहार को लेकर भी स्थितियां कुछ ऐसी बन जा रही हैं कि पूरी दुनिया में दो दिन ईद मनानी पड़ रही है. ईद का त्योहार चांद के दीदार पर निर्भर करता है, कई बार ये चांद देर रात को दिखाई देता है तो कई बार ये अगले दिन. दरअसल चांद की स्थिति को लेकर मुस्लिम समुदाय में मतभेद है जिसकी वजह से ईद का त्योहार पूरी दुनिया में दो दिन मनाया जाता है. 


इसी वजह से भारत के कश्मीर और केरल में ईद 2 मई को मनायी जा रही है, जबकि देश के दूसरे हिस्सों में 3 मई को मनायी जाएगी. हिजरी कैलेंडर यानि कि उर्दू के कैलेंडर बारे में दिलचस्प बात यह है कि चंद्रमा की घटती-बढ़ती चाल के अनुसार इसमें दिनों का संयोजन नहीं किया जाता है जिसकी वजह से 12 महीने हर साल के करीब 10 से 11 दिन पीछे रहते हैं. हिजरी उर्दू कैलेंडर को कहा जाता है यह एक इस्लामिक कैलेंडर है. जिसको हिजरी के तौर पर जाना जाता है. इस कैलेंडर की शुरुआत पैगंबर मोहम्मद साहब ने सउदी अरब के मक्का शहर को छोड़कर मदीना शहर में बसने के बाद हुई थी. उसी साल से हिजरी की शुरुआत हुई. इसके मुताबिक मौजूदा समय 1442 हिजरी चल रही है. इसमें भी 12 महीने होते हैं जिसमें रमज़ान 9वें महीने में और ईद दसवें महीने की पहली तारीख और बकरीद 12वें महीने की दसवीं तारीख को मनाई जाती है.


जानिए क्या है रमजान का महत्व
इस्लाम धर्म में रमजान को पवित्र महीना कहा गया है ये महीना 29 या फिर 30 दिन का होता है. इस्लाम धर्म में इस बात की मान्यता है कि रमजान महीने में खुदा की रहमत के दरवाजे खुल जाते हैं और इस महीने में की गई इबादतों का सवाब कई गुना ज्यादा बढ़ जाता है. रमजान के पवित्र महीने को 10-10 दिन के तीन भागों में बांटा जाता है इसे अशरा कहा जाता है. पहले 10 दिन यानि कि पहले अशरे में ये मान्यता है कि अल्लाह रहमत करते हैं. वहीं दूसरे अशरे यानि कि अगले 10 दिनों के बारे में मान्यता है इसमें गुनाहों की माफी होती है, जबकि तीसरे अशरे या अंतिम 10 दिनों जहन्नुम की आग से खुद को बचाने के लिए होता है. अगर भारत में ईद मंगलवार यानि 2 मई को हुई तो भारत में भी रमजान का महीना 30 दिन का होगा अरब देशों में तो इस बार रमजान का महीना 30 दिनों है. 


भारत में इस तरह से होता है ईद का सेलिब्रेशन
भारत में ईद के त्योहार का ऐलान करने के लिए देश के कई शहरों में अलग-अलग चांद कमेटियां बनी होती हैं. सबसे ज्यादा असरदार दिल्ली या लखनऊ के शाही जामा मस्जिद से होता है. देश में भी मुस्लिम समुदाय भी दो धड़े में बटा हुआ है, इनमें से एक शिया समुदाय और दूसरा सुन्नी समुदाय. इन दोनों धड़ों की चांद कमेटियां भी अलग-अलग हैं. हर एक राज्य में इन चांद कमेटियों के नुमाइंदे होते हैं. वही दो सबसे ज्यादा काबिल लोग चांद देखने की गवाही पर इसका फैसला करते हैं. इनके ऐलान पर ही माना जाता है कि चांद दिखा या नहीं दिखा उसके बाद अगले दिन ईद के त्योहार पर फैसला होता है. वैसे देश के अधिकतर राज्य लखनऊ के चांद कमेटी के फैसले को ही सही मानते हैं.


दुनिया के अन्य देशों में कैसे मनाते हैं ईद का त्योहार
भारत के अलावा दुनिया के अन्य देशों में भी चांद कमेटियां गठित हैं जो कि चांद से जुड़े फैसले लेती है. हालांकि अब चांद की स्थिति का पहले से वैज्ञानिक आधार पर आंकलन किया जाता है और उसके आधार पर उर्दू कैलंडर छापा जाता है. जिसके बाद से अधिकतर इस्लामिक देशों में पहले से ही ईद के त्योहार का ऐलान कर दिया जाता है और उसी दिन ईद मनायी भी जाती है. ईरान और सऊदी अरब में उर्दू कैलेंडर के हिसाब से ही ईद का त्योहार मनाया जाता है. इन देशों में सभी समुदाय एक साथ ही ईद मनाते हैं लेकिन पाकिस्तान और भारत में कभी-कभी ईद के दो दिन हो जाते हैं पाकिस्तान में भी चांद को लेकर काफी मतभेद सामने आते हैं.


कैसे तय होता है नया चांद
धरती सूर्य के चक्कर लगाती है इसे पूरा करने में धरती को 365 दिन और कुछ घंटे का समय लगता है. इस वजह से 365 दिनों वाला साल हर चौथे साल लीप ईयर हो जाता जिसकी वजह से इस साल फरवरी के महीने में एक दिन बढ़ जाता है. तब लीप ईयर साल 366 दिनों का हो जाता है. ठीक इसी तरह चांद भी धरती का चक्कर लगाता है और वैज्ञानिक तथ्यों के अनुसार धरती अपनी जगह ठहरी रहे और चांद परिक्रमा करता रहे तो 27 दिनों में चांद धरती के एक चक्कर को पूरा कर लेता है. लेकिन जब चांद के साथ-साथ धरती भी घूमती है तो धरती और चांद का एक चक्कर 29 दिन और कुछ घंटों में पूरा होता है. इस एक चक्कर को पूरा करने के बाद जो चांद दिखाई देता है उसे नया चांद कहा जाता है. 


जानिए क्या है वैज्ञानिक आधार
आजकल के जमाने में वैज्ञानिक आधार पर चांद की स्थिति का आंकलन किया जा सकता है. सैटेलाइट और अंतरिक्ष की मदद से ये पता लग जाता है कि चांद अपना चक्कर किस समय पूरा करेगा. इसी तरह से नए चांद को माना जाता है. आपको बता दें कि चांद की स्थिति बताने की एक वेबसाइट भी है जिसका नाम मून शाइटिंग है कई देशों में इस वेबसाइट से चांद की स्थिति को मानकर ईद का फैसला कर लिया जाता है. 


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