Eid-ul-Adha 2023: दिल्ली समेत देश भर में ईद उल-अजहा का त्योहार 29 जून को मनाया जाएगा. दिल्ली में सोमवार को बादलों के छाए रहने की वजह से चांद के दीदार नहीं हो सके, लेकिन उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और कर्नाटक में बकरीद का चांद नजर आया है. लखनऊ में मरकजी चांद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने सोमवार (19 जून) को कहा कि माह ए जिलहिज्ज का चांद दिख गया है. बकरीद (Bakrid) 29 जून को मनाई जाएगी.
चांदनी चौक स्थित फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम डॉ. मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने पीटीआई बताया कि दिल्ली और आसपास के इलाकों में बारिश होने और बादल छाए रहने की वजह से चांद नहीं दिख पाया है, लेकिन उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ हिस्सों में चांद दिखा है.
29 जून को मनाई जाएगी बकरीद
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के आजमगढ़, वाराणसी और मऊ आदि हिस्सों में इस्लामी केलेंडर के आखिरी महीने जुल हिज्जा का चांद दिखने की तस्दीक (पुष्टि) हुई है. लिहाजा ईद-उल-अजहा का त्योहार 29 जून को मनाया जाएगा. इस्लामी केलेंडर में 29 या 30 दिन होते हैं जो चांद दिखने पर निर्भर करते हैं. इस्लामिक महीने माह ए जिलहिज्ज की शुरुआत के लिए महत्वपूर्ण है.
चांद दिखने के 10वें दिन मनाया जाता ये पर्व
ये इस्लामी कैलेंडर का बारहवां और अंतिम महीना है. ये महीना दुनिया भर के मुसलमानों के लिए महत्व रखता है कि क्योंकि ये वह महीना है जिसमें मक्का की हज यात्रा होती है. बकरीद का त्योहार चांद दिखने के 10वें दिन मनाया जाता है, और ईद उल ज़ुहा या अजहा या बकरीद, ईद उल फित्र के दो महीने नौ दिन बाद मनाई जाती है. सऊदी अरब समेत खाड़ी देशों में रविवार को ही ईद अल-अजहा का चांद नजर आ गया था. खाड़ी देशों में बकरीद 28 जून को मनाई जाएगी.
क्यों मनाई जाती है बकरीद?
मुस्लिम धर्म में बकरीद बड़ा ही महत्वपूर्ण त्योहार है और इसे कुर्बानी का त्योहार कहा जाता है. इस्लामी मान्यता के अनुसार, पैगंबर इब्राहिम अपने पुत्र इस्माइल को इसी दिन अल्लाह के हुक्म पर अल्लाह की राह में कुर्बान करने जा रहे थे, तो अल्लाह ने उनके बेटे को जीवनदान दे दिया और वहां एक पशु की कुर्बानी दी गई थी जिसकी याद में यह पर्व मनाया जाता है.
तीन दिन चलने वाले त्योहार में मुस्लिम समुदाय के लोग अपनी हैसियत के हिसाब से उन पशुओं की कुर्बानी देते हैं, जिन्हें भारतीय कानूनों के तहत प्रतिबंधित नहीं किया गया है. बकरीद पर गरीबों का खास ख्याल रखा जाता है. बकरीद पर दी गई कुर्बानी के तीन हिस्से किए जाते हैं. इसमें से एक हिस्सा अपने लिए और बाकी दो हिस्से अपने करीबियों और गरीबों व जरूरतमंदों को दिए जाते हैं.
(इनपुट पीटीआई से भी)
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