नई दिल्ली: मंगलवार को अपाचे हेलीकॉप्टर्स को सैन्य-परंपरा के तहत वायुसेना में शामिल किया जाएगा. साल 2016 में जिस पठानकोट एयरबेस पर पाकिस्तान से आए आतंकियों ने बड़ा हमला किया था उसी पठानकोट पर भारतीय वायुसेना के अटैक हेलीकॉप्टर्स, अपाचे की पहली स्कॉवड्रन बनाई जा रही है. एबीपी न्यूज की टीम खास तौर पठानकोट पहुंची जहां पर खुद अपाचे हेलीकॉप्टर्स के पायलट्स ने बताया कि आखिर किस तरह से भारतीय वायुसेना के ये 'ग्लैडिएटर्स' आतंकियों के खिलाफ एक कारगर हेलीकॉप्टर साबित होंगे.


भारतीय वायुसेना ने साल 2015 में अमेरिका से 22 अपाचे हेलीकॉप्टर्स खरीदने का सौदा किया था. उसी कड़ी में पहली खेप में आठ हेलीकॉप्टर्स भारत पहुंच चुके हैं. दुनिया के सर्वश्रेष्ठ और आधुनिक अटैक हेलीकॉप्टर्स में इन अपाचे हेलीकॉप्टर की गिनती की जाती है. अमेरिका ने ईराक में खाड़ी के युद्ध के साथ साथ अफगानिस्तान में आतंकियों के कैंप (और गुफाओं) पर हमला करने के लिए इन अपाचे हेलीकॉप्टर्स का इ‌स्तेमाल किया है.


अपाचे की ताकत


‌पाकिस्तान की तरफ से प्रोक्सी वॉर झेल रहा भारत इन अटैक हेलीकॉप्टर्स का इस्तेमाल एलओसी पर आतंकियों के लांच-पैड और ठिकानों पर हमला करने के लिए कर सकता है. इन अपाचे हेलीकॉप्टर्स में प्रेशियन हैलफायर मिसाइल और रॉकेट लगे हैं. एक अपाचे हेलीकॉप्टर में इस तरह की आठ हैलफायर मिसाइल और 19-19 रॉकेट के दो पॉड लग सकते हैं. खास तौर से लगी कैनन-गन से एक साथ 1200 राउंड फायर किए जा सकते हैं. ये हेलीकॉप्टर्स दिन रात और किसी भी मौसम में ऑपरेशन कर सकते हैं. खासतौर से ऊंचे पहाड़ों में बने आतंकी कैंपों और दुश्मन के ठिकानों और छावनियों पर हमला करने में ये सक्षम हैं.


भारतीय वायुसेना ने नए पठानकोट स्थित अपाचे की स्कॉवड्रन को 'ग्लैडिएटर' (Gladiator) नाम दिया है. इस स्कॉवड्रन का मोटो है 'बलिदान वीरस्य भूषणम' यानि बलिदान ही वीरों का आभूषण होता है. भारतीय वायुसेना के पास फिलहाल रूस के मी25 और मी35 की एक स्कॉवड्रन है लेकिन ये स्कॉवड्रन अब पुरानी हो चुकी है. इसलिए भारत ने ये अपाचे हेलीकॉप्टर खरीदे. इन अपाचे हेलीकॉप्टर्स की दूसरी स्कॉवड्रन चीन सीमा के करीब असम के जोरहाट में होगी. बता दें कि थलसेना को भी जल्द अमेरिका से छह अपाचे हेलीकॉप्टर मिलेंगे.