Maharashtra Government New Decision: एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस की सरकार ने महाराष्ट्र में रह रहे मुस्लिम समाज के लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए एक बड़ा फैसला किया है. राज्य सरकार ने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस को ये जिम्मा सौंपा है कि वो राज्य में रह रहे मुस्लिम समुदाय के लोगों के आर्थिक और शैक्षणिक विकास की स्तिथि को लेकर डिटेल स्टडी करे.
राज्य सरकार ने इस काम के लिए बजट में 33.9 लाख रुपये का प्रावधान किया है. बता दें कि राज्य सरकार ने यह फैसला साल 2013 में नियुक्त महमूद उर रहमान की अध्यक्षता में बनी कमिटी की रिपोर्ट के आधार पर लिया है.
कांग्रेस विधायक ने भी किया स्वागत
इन सबसे अलग राज्य सरकार के इस निर्णय का विपक्षी कांग्रेस पार्टी के विधायक अमीन पटेल ने स्वागत किया है. अमीन पटेल ने कहा है कि अगर राज्य सरकार सही में राज्य के अल्पसंख्यक समुदाय के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्तर को लेकर काम करना चाहती है तो सरकार के इस कदम का स्वागत है. साथ ही अमीन पटेल ने इस बात को भी माना कि महमूद उर रहमान कमिटी द्वारा रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद जिस तरह से मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए काम किया जाना था उस तरह से काम हुआ नही.
मुस्लिम समाज के लोगों के लिए शिक्षा के छेत्र में सबसे ज्यादा काम करने की जरूरत है. इसलिए जरूरी है कि उन्हें आरक्षण दिया जाए. उम्मीद है कि नई सरकार के दिशा में काम करेगी. टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस (TISS) द्वारा की जाने वाली स्टडी को सरकार गंभीरता से लेगी.
एनसीपी और कांग्रेस के वोट बैंक पर तो नहीं है नजर
एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस के इस कदम से कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं. कोई इसे एनसीपी और कांग्रेस के वोट बैंक मुस्लिम और पिछड़ा वर्ग को लुभाने से जोड़कर देख रहा है. एक्सपर्ट का कहना है कि बीजेपी द्वारा अचानक सत्ता परिवर्तन के बाद से बेशक कांग्रेस, शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट, कांग्रेस और अन्य छोटे दल खुलकर अभी कुछ न कह रहे हों, लेकिन ये सभी फिर से अपना बेस बनाने में जुट गए हैं. वहीं बीजेपी अब इन दलों को कोई मौका देना नहीं चाहते इसलिए उसने अल्पसंख्यकों को लुभाने की कोशिश जारी है.
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