Maharashtra Politics: महाराष्ट्र (Maharashtra) में राजनीतिक उठा पटक का दौर अभी भी जारी है. शिवसेना (Shiv Sena) के दो फाड़ होने के बाद उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) और सीएम एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) दोनों ही लोग शिवसेना पर अपना दावा कर रहे हैं. इस मामले को लेकर चुनाव आयोग (Election Commission) ने नोटिस भी दे दिया है. 8 अगस्त को पता चल जाएगा कि असल में शिवसेना किसकी है. उद्धव ठाकरे से बगावत करके सरकार बनाने वाले एकनाथ शिंदे अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन चुके हैं और खुद की सेना को असली वाली शिवसेना बता रहे हैं. जबकि उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे के इसी दावे को चुनौती दी है.


नोटिस के बाद एकनाथ शिंदे ने कहा है कि दोनों पक्ष चुनाव आयोग के सामने अपनी भूमिका रखेंगे. विधानसभा में दो तिहाई से ज्यादा लोग हमारे साथ हैं. हम बालासाहेब की शिवसेना हैं. यहां के स्पीकर ने हमें मान्यता दी है. इसका मतलब साफ है कि हम शिवसेना हैं, बालासाहेब के विचार वाली शिवसेना हैं.  उन्होंने कहा कि हमारे पास शिवसेना के 50 से ज्यादा विधायक और सांसद दो तिहाई से ज्यादा हैं तो ऐसे में हम ही शिवसेना हैं.


चुनाव आयोग में शिंदे गुट का दावा


चुनाव आयोग को भेजे एक पत्र में शिंदे गुट ने 55 में से 40 विधायकों और 19 लोकसभा सांसदों में से 12 के समर्थन का दावा किया था. साथ ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर द्वारा दी गई मान्यता का हवाला दिया था. इसी का हवाला देते हुए शिंदे की सेना ने चुनाव चिन्ह धनुष बाण उन्हें आवंटित करने की मांग की थी.


उद्धव गुट का दावा


शिवसेना (Shiv Sena) सुप्रीमो और बालासाहेब ठाकरे (Bala Saheb Thackeray) के बेटे उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की सेना ने भी इसके जवाब में एक पत्र लिखा. अपनी इस चिट्ठी में महाराष्ट्र (Maharashtra) के पूर्व मुख्यमंत्री के गुट ने चुनाव आयोग (Election Commission) से अनुरोध किया कि पार्टी के नाम और उसके चुनाव चिन्ह (Party Symbol) के दावों पर कोई भी फैसला लेने से पहले उसके विचार को सुना जाए. इसके अलावा उद्धव ठाकरे के गुट ने ये भी दावा किया कि जब तक सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) एमवीए (MVA) सरकार गिरने से पहले बागी विधायकों (Rebel MLAs) के खिलाफ जारी किए गए अयोग्यता नोटिस पर फैसला नहीं करता है, तब तक नियुक्तियां अवैध हैं.


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