एकनाथ शिंदे की वो एक शर्त जिसके आगे पस्त पड़ी महाराष्ट्र सरकार! क्या बच पाएगी CM उद्धव की कुर्सी?
Mahrashtra Politics: महाराष्ट्र में इस वक्त जो सियासी संकट पैदा हुआ है उसके बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या महाराष्ट्र में गिर जाएगी उद्धव ठाकरे की सरकार? इस सवाल के पीछे की वजह एकनाथ शिंदे की वो शर्त है, जिसने महाराष्ट्र की सियासत में भूचाल ला दिया है.
Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के बगावती तेवर के बाद उद्धव सरकार की कुर्सी खतरे में पड़ती हुई दिखाई दे रही है. वह राज्य में हुए एमएलसी चुनाव के बाद पहले मुंबई से सूरत और अब वहां से बागी विधायकों को लेकर गुवाहाटी शिफ्ट हो गए हैं. उन्होंने गुवाहाटी पहुंचने के बाद अपने साथ 40 विधायकों के होने का बड़ा दावा किया है. एकनाथ शिंदे का साथ 33 शिवेसना के बागी विधायक और 7 निर्दलीय भी पहुंचे हैं.
इन सभी को गुवाहाटी के रेडिसन ब्लू में ठहराया गया है. उन्हें रिसीव करने के लिए वहां पर बीजेपी नेता सुशांत बोरगोहेन और पल्लब लोचन दास पहुंचे थे. सुशांत बोरगोहेन ने कहा- “मैं यहां इन्हें (सूरत से गुवाहाटी आए विधायक) लेने आया हूं. मैं व्यक्तिगत रिश्ते की वजह से इन्हें यहां लेने आया हूं. मैंने गिनती नहीं की हुई है कि कितने विधायक यहां आए हुए हैं. मु्झे उन्होंने अपने कार्यक्रम के बारे में नहीं बताया है. ”
उद्धव के सामने शिंदे ने रखी शर्त?
ऐसे में इस वक्त जो सियासी संकट पैदा हुआ है उसके बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या महाराष्ट्र में गिर जाएगी उद्धव ठाकरे की सरकार? इस सवाल के पीछे की वजह एकनाथ शिंदे की वो शर्त है, जिसने महाराष्ट्र की सियासत में भूचाल ला दिया है. शिंदे ने ठाकरे से साफ कर दिया कि वो शिवसेना में हैं और रहेंगे लेकिन शर्त ये है कि शिवसेना कांग्रेस एनसीपी को छोड़कर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ले.
एकनाथ शिंदे को मनाने को लिए खुद राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने करीब 15 मिनट तक मंगलवार को बातचीत की. इससे पहले उद्धव ठाकरे की पत्नी रश्मि ठाकरे ने भी एकनाथ शिंदे से बात की. रश्मि ठाकरे से बातचीत के दौरान शिंदे ने कहा कांग्रेस एनसीपी से गठबंधन करके शिवसेना अपने विचारों से भटक गई है.
क्या गिर जाएगी उद्धव सरकार?
एकनाथ शिंदे से मिलने के लिए उद्धव ठाकरे ने मिलिंद नार्वेकर को अपना दूत बनाकर भेजा था...दोनों के बीच करीब एक घंटे तक बातचीत हुई. एकनाथ शिंदे का दावा है कि उनके साथ कुल 40 विधायकों का समर्थन है. शिंदे ने कहा कि मैंने पार्टी विरोधी कोई कदम नहीं उठाया फिर मुझे ग्रुप लीडर पद से क्यों हटाया गया. मेरा शिवसेना पार्टी छोड़ने का कोई विचार नहीं, मैं हमेशा बाला साहब ठाकरे का सच्चा शिवसैनिक था और रहूंगा.
शिवसेना नेता संजय राउत को लेकर भी एकनाथ शिंदे ने अपनी शिकायत दर्ज कराई. राउत ने मीडिया में कहा था कि बातचीत करनी है तो मुंबई आओ. शिवसेना किसी प्रस्ताव पर बात नहीं करेगी. शिंदे ने कहा कि उनकी संजय राउत से सुबह से तीन से चार बार बैठक हो चुकी है. व्यक्तिगत अलग बातचीत कर रहे हैं और मीडिया में आने के बाद अलग बोल रहे हैं, ऐसा क्यों?
सूत्रों के मुतबिक, सीएम उद्धव ने शिंदे से वापस लौटने और अपने फैसले को फिर सोचने को कहा है. इससे पहले होटल में एकनाथ शिंदे और मिलिंद नार्वेकर के बीच लगभग एक घंटे तक बैठक हुई. शिंदे ने बैठक में शर्त रखी कि शिवसेना बीजेपी साथ सरकार बनाये, एमवीए (MVA) का साथ छोड़े, तभी वापसी संभव है.