BMC Election: राज ठाकरे, फडणवीस और शिंदे की बढ़ी नजदीकियां, क्या BMC चुनाव में उद्धव ठाकरे की घेराबंदी का है प्लान
Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र में बीएमसी चुनाव से पहले सीएम एकनाथ शिंदे, डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और मनसे अध्यक्ष राज ठकरे के मिलने से चर्चा शुरू हो गई क्या भविष्य में सब लोग साथ आएंगे?
BMC Election: मुंबई की सियासी महाभारत में उद्धव ठाकरे अभिमन्यु की भूमिका अख्तियार करते नजर आ रहे हैं. आने वाले बीएमसी (BMC) चुनाव में उनके खिलाफ वही लोग चक्रव्यूह रच रहे हैं जो कि कभी उनके साथ थे. शुक्रवार(21 अक्टूबर) की शाम शिवाजी पार्क में दीपोत्सव के मौके पर मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे, डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और सीएम एकनाथ शिंदे के एक साथ आने से सियासी हलकों में खलबली मच गयी है. माना जा रहा है कि तीनों साथ मिलकर उद्धव की घेरेबंदी कर रहे हैं.
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और एमएनएस प्रमुख शिवाजी पार्क में आए तो थे दीपोत्सव का उद्घाटन करने, लेकिन इनके इस मिलन ने राज्य की सियासत में कयासों की फुलझड़ी सुलगा दी. तीनों की इस करीबी को अगले साल की शुरुआत में होने जा रहे मुंबई महानगरपालिका के चुनाव से जोड़ कर देखा जा रहा है. फडणवीस और शिंदे तो महाराष्ट्र की सत्ता में साझेदार है ही अब राज ठाकरे भी पिछले कुछ महीनों में दोनो के काफी करीब आ गए हैं. महाराष्ट्र के इन कद्दावर नेताओं के नजदीकी को उद्धव ठाकरे की घेरा बंदी समझा जा रहा है.
क्या अपने ही हुए खिलाफ?
मुंबई की सियासी महाभारत में उद्धव ठाकरे अभिमन्यु बनकर उभर रहे हैं. जंग में अर्जुन के बेटे अभिमन्यु के खिलाफ उसी के अपनों ने चक्रव्यूह रचा था. उद्धव ठाकरे के मामले में भी कुछ यह ही हो रहा है. उद्धव ठाकरे के खिलाफ जो चक्रव्यूह तैयार हो रहा है उसमें उनके चचेरे भाई राज ठाकरे कुछ दिनों पहले उनके साथ रहने वाले एकनाथ शिंदे और 2019 तक उनके सियासी पार्टनर रहने वाले देवेंद्र फडणवीस हैं. यानी अभिमन्यु की तरह ही उद्धव के खिलाफ भी वो लोग साथ आ रहे हैं जो कभी उनके अपने थे.
क्या होगा गठबंधन?
बीजेपी और एकनाथ शिंदे की बालासाहेबांची शिव सेना की बारे में लगभग ये तय हो चुका है कि दोनो बीएमसी का चुनाव साथ लड़ेंगे. राज ठाकरे ने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को स्वतंत्र तौर पर चुनाव की तैयारी करने के लिए कहा है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि बीजेपी या शिंदे के साथ उनका परोक्ष गठबंधन नहीं हो सकता. बीजेपी, राज ठाकरे की पार्टी का इस्तेमाल मराठी वोटों के बंटवारे के लिए तो कर ही सकती है. जिससे कि उद्धव ठाकरे को नुकसान होगा. राज ठाकरे के पास फिलहाल खोने के लिए कुछ नहीं है. साल 2017 के बीएमसी चुनाव में उनके 7 पार्षद चुने गए थे, जिनमें से कि 6 शिव सेना में चले गए. शिंदे और फडणवीस से हाथ मिलाकर राज ठाकरे अपनी पार्टी में नई जान फूंकने का मौका ढूंढ रहे हैं.
तीनों के साथ आने से सियासी हलकों में भले ही सुगबुगाहट शुरू हो गयी है, लेकिन दीपोत्सव के मौके पर किसी ने भी कोई राजनीतिक बात नहीं की. बहरहाल सवाल ये उठ रहा है कि अगर उद्धव के खिलाफ फडणवीस, शिंदे और राज ठाकरे एक हुए तो फिर उद्धव के साथ कौन रहेगा. महाविकास आघाडी में उद्धव के एनसीपी और कांग्रेस पार्टनर थे. एनसीपी की मुंबई में नाममात्र की मौजूदगी है तो वहीं कांग्रेस अंदरूनी गुटबाजी के कारण कमजोर हो चुकी है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि उद्धव रूपी अभिमन्यु सिसायी चक्रव्यूह तोड पाते हैं या नहीं.
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