Lok Sabha Election Voter Turnout Data: कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल चुनाव आयोग पर लगातार सवाल उठा रहे हैं. इस बीच निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में बुधवार (22 मई, 2024) को कहा कि वोटर टर्नआउट डेटा उम्मीदवार और उनके एजेंट के अलावा किसी के साथ भी शेयर करने के लिए कोई कानूनी आधार नहीं है.  


चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में बुधवार (22 मई, 2024) को कहा, ''एक मतदान केंद्र में डाले गए वोटों की संख्या बताने वाले फॉर्म 17सी का विवरण सार्वजनिक नहीं किया जा सकता और इससे पूरे चुनावी तंत्र में अराजकता फैल सकती है, क्योंकि इससे तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ की संभावना बढ़ जाती है.'' 


चुनाव आयोग ने क्या कहा? 
चुनाव आयोग ने कहा कि मतदान केंद्र-वार मतदान प्रतिशत डेटा के अविवेकपूर्ण खुलासे और इसे वेबसाइट पर पोस्ट करने से चुनावी मशीनरी में अराजकता फैल जाएगी, जो मौजूदा लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) में जुटी है. 


चुनाव आयोग ने इस आरोप को भी गलत और भ्रामक बताते हुए खारिज किया कि लोकसभा चुनाव के पहले दो चरण में मतदान के दिन जारी किए गए आंकड़ों और बाद में दोनों चरणों में से प्रत्येक के लिए जारी प्रेस विज्ञप्ति में 5-6 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई.


दरअसल इलेक्शन कमीशन ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (Association for Democratic Reforms- ADR) की याचिका के जवाब में दायर 225 पजे के एफिडेविट में यह बात कही है.


एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने याचिका में क्या कहा है? 
एडीआर ने याचिका में चुनाव आयोग को लोकसभा के प्रत्येक चरण के मतदान के समापन के 48 घंटे में वेबसाइट पर मतदान केंद्र-वार आंकड़े अपलोड करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है. 


इलेक्शन कमीशन ने हलफनामे में कहा, “यदि याचिकाकर्ता का अनुरोध स्वीकार किया जाता है तो यह न केवल कानूनी रूप से प्रतिकूल होगा बल्कि इससे चुनावी मशीनरी में भी अराजकता पैदा होगी, जो पहले ही लोकसभा चुनाव में जुटी है.”


विपक्ष भी साध रहा है निशाना 
कांग्रेस ने बुधवार को मतदान के वास्तविक समय के आंकड़ों (रियल टाइम फिगर) और निर्वाचन आयोग के जारी अंतिम आंकड़ों के बीच बड़े अंतर को लेकर सवाल उठाया और कहा कि देश में मतदाता इससे चिंतित हैं. 


पार्टी के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा, ‘‘मतदाता मतदान के चार चरणों के दौरान निर्वाचन आयोग की गतिविधियों को लेकर चिंतित हैं. पहले, आयोग को मतदान के अंतिम आंकड़े सामने लाने में 10-11 दिन लगते हैं और फिर वास्तविक समय के आंकड़ों और अंतिम आंकड़ों के बीच अंतर आता है. वोट का अंतर इतिहास में कभी नहीं हुआ.’’


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