Assembly Elections In HP: हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव (Himachal Pradesh Assembly Elections) की तारीखों का ऐलान हो गया है. गुजरात में भी चुनाव होने हैं, लेकिन अभी तक वहां के लिए तारीखों की घोषणा नहीं की गई है. ऐसे में कांग्रेस लगातार चुनाव आयोग पर उठा रही है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि यह इसलिए किया गया ताकि प्रधानमंत्री को और बड़े वादे करने का समय मिल जाए. इसे नियमों का उल्लंघन बताया जा रहा है. क्योंकि दो राज्यों में अगर विधानसभा का कार्यकाल छह महीने के अंदर खत्म होता है तो चुनाव एक साथ कराए जाते हैं और परिणाम भी साथ घोषित होते हैं. 


विपक्ष के सवालों के बीच मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार (Rajiv Kumar) ने गुजरात में चुनाव तारीखों का एलान नहीं किए जाने की वजह बताई. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने किसी तरह से भी नियमों का उल्लंघन नहीं किया है. उन्होंने यह साफ किया कि दोनों ही राज्यों के विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने में 40 दिन का अंतर है. नियम के मुताबिक, कम से कम 30 दिन का हो ताकि एक के परिणाम का असर दूसरे पर ना हो. 


चुनाव आयोग ने दी सफाई


चुनाव आयोग (Election Commission) पर उठते सवालों को बढ़ता देख राजीव कुमार ने कहा कि चुनाव की तारीखों के एलान से पहले कई बातों का ध्यान रखना होता है. हिमाचल प्रदेश पहाड़ी क्षेत्र है. इसलिए चुनाव आयोग चाहता है कि बर्फबारी से पहले प्रदेश में चुनाव हो सकें. उन्होंने नियमों का उल्लंघन होने वाली बात को गलत करार दिया है. 


क्यों उठ रहे हैं चुनाव आयोग पर सवाल 


दरअसल, गुजरात और हिमाचल प्रदेश में हमेशा से ही आसपास की तारीखों में चुनाव होते आए हैं. दोनों की तारीखें भी आसपास ही तय की जाती हैं. यही कारण है कि चुनाव आयोग पर सवाल उठने लगे हैं. 2017 में दोनों राज्यों में नवंबर में चुनाव हुआ था और दिसंबर में एक साथ चुनाव परिणाम आए थे. हालांकि, गुजरात में दो चरणों में वोटिंग हुई थी. 


वहीं, हिमाचल की बात करें तो यहां इस बार 12 नवंबर को मतदान (Voting) होगा और 8 दिसंबर को काउंटिंग (Counting) होगी. चुनाव के लिए अधिसूचना 17 अक्टूबर को जारी होगी. नामांकन करने की आखिरी तारीख 25 अक्टूबर है और 29 अक्टूबर तक नाम वापस ले सकते हैं. 


चुनाव आयोग के फैसले पर उठ रहे सवाल 


1- चुनाव आयोग पर हिमाचल के चुनाव की तारीखों का एलान करने के साथ विपक्ष अब सवाल उठाने लगा है. आखिर क्यों दोनों राज्यों में तीरीखों का एलान एक साथ नहीं किया गया है? हालांकि, राजीव कुमार ने इन सवालों को लेकर सफाई भी दे दी है. राजीव कुमार ने कहा कि 2017 में भी ऐसा ही हुआ था, जब गुजरात और हिमाचल के चुनावों की तारीख अलग-अलग घोषित की गई थी. आयोग चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करने में परंपरा का पालन करता है इसलिए आयोग ने पिछली परंपरा को देखते हुए इस बार भी तारीखों का एलान किया है. 


2- कांग्रेस नेता आलोक शर्मा ने साफ तौर पर कहा कि गुजरात चुनावों की तारीखों की घोषणा में इसलिए देरी से की जा रही है ताकि मौजूदा सरकार को आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले और ज्यादा कल्याणकारी योजनाओं को शुरू करने का मौका मिल सके. इसपर चुनाव आयोग ने कहा कि पिछले चुनाव में राज्यों के बीच का अंतर इससे भी ज्यादा था. आयोग ने 2017 में आई बाढ़ का हवाला देते हुए कहा कि तब भी अलग-अलग एलान किया था. 


3- विपक्ष 2017 की स्थिति को इस बार की स्थिति से अलग बताते हुए भी सवाल खड़े कर रहा है, जब हिमाचल में चुनाव की तारीखों का एलान 13 अक्टूबर और गुजरात का चुनाव 12 दिन बाद 25 अक्टूबर को घोषित किया गया था. तब बाढ़ की स्थिति को देखते हुए यह फैसला लिया गया था. चुनाव आयोग ने यह भी कहा था कि ऐसा केवल एक ही बार किया जा रहा है. 


4- 2012 में एक साथ चुनावों का एलान किया गया था. 2017 में केवल असाधारण स्थिति का हवाला देते हुए अलग-अलग समय पर चुनावों कराए गए थे. विपक्ष का कहना है कि गुजरात में पीएम मोदी की तमाम रैलियों और सभाओं को लेकर पहले से ही योजना बना दी गई है. विपक्ष ने पीएम मोदी की 31 अक्टूबर की रैली को लेकर तमाम सवाल खड़े किए हैं. 


5- यहां तक की विपक्ष ने कहा है कि पीएम मोदी अपनी तमाम रैलियां समाप्त होने और योजनाओं का उद्घाटन करने के बादचुनाव आयोग को चुनाव की तारीखों का एलान करने के लिए कह देंगे. सीधे तौर पर चुनाव आयोग पर अब विपक्ष की उंगलियां उठने लगी हैं.


ये भी पढ़ें: 


Bihar Politics: 'जीवन भर कभी बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे' नीतीश कुमार ने सीधा मंच से किया एलान


Rajendra Pal Gautam: राजेंद्र पाल गौतम ने पदयात्रा निकाल दिखाई ताकत, कहा- 'यह शक्ति प्रदर्शन नहीं बल्कि लोगों के मन की पीड़ा है'