नई दिल्ली: मद्रास हाई कोर्ट की टिप्पणी के खिलाफ चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट पहुंचा गया है. हाई कोर्ट ने कोरोना की दूसरी लहर के लिए अकेले चुनाव आयोग को ज़िम्मेदार बताया था. साथ ही, यह भी कहा था कि आयोग के अधिकारियों पर हत्या का मुकदमा चलना चाहिए. चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में एक संवैधानिक संस्था के दूसरी संवैधानिक संस्था पर ऐसी टिप्पणी को अनुचित बताया है.
26 अप्रैल को मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी ने कोरोना की बिगड़ती स्थिति को लेकर चुनाव आयोग पर कड़ी नाराजगी जताई थी. उन्होंने कहा था कि सिर्फ चुनाव आयोग के चलते कोरोना की यह दूसरी लहर आई है. आयोग चुबाव में कोविड प्रोटोकॉल का पालन करवाने में असफल रहा है. चुनाव आयोग के अधिकारियों के ऊपर हत्या का मुकदमा चलाया जाना चाहिए.
वकील अमित शर्मा के ज़रिए दाखिल याचिका में चुनाव आयोग ने कहा है कि चुनाव का आयोजन उसका लोकतांत्रिक और संवैधानिक दायित्व है. हाई कोर्ट की ही तरह चुनाव आयोग भी एक संवैधानिक संस्था है. इस स्तर की एक संस्था का दूसरी संस्था पर इस तरह की टिप्पणी करना उचित नहीं है. इससे दोनों संस्थाओं की छवि को आघात पहुंचा है."
आयोग ने बताया है कि इस टिप्पणी के बाद कई लोग उसके अधिकारियों के ऊपर हत्या का मुकदमा दर्ज करने की बात कर रहे हैं. चुनाव आयोग की याचिका में यह भी कहा गया है कि कोर्ट मीडिया को भी निर्देश दे कि वह इस तरह के मामलों में कोर्ट के औपचारिक आदेश को ही रिपोर्ट करे. बहस के दौरान की गई जजों की मौखिक टिप्पणी को लिख कर अपनी खबर को सनसनीखेज न बनाए.
इससे पहले आयोग ने मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी और जस्टिस सेंथिलकुमार रामामूर्ति की बेंच से आग्रह किया था कि वह मामले पर स्पष्टीकरण दे. यह कहे कि विपरीत परिस्थितियों में चुनाव का आयोजन एक कठिन काम था, जिसे आयोग ने किया. लेकिन हाई कोर्ट ने इससे मना कर दिया था. सोमवार सुबह 10.30 बजे आयोग की याचिका सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और एम आर शाह की बेंच में सुनवाई के लिए लगेगी. कोविड से जुड़े एक अन्य मामले की सुनवाई करते हुए शुक्रवार को जस्टिस चंद्रचूड़ यह कह चुके हैं कि जजों को अवांछित टिप्पणी करने से बचना चाहिए.