चुनाव आयोग ने स्वास्थ्य मंत्रालय को आदेश दिया है कि वह कोरोना वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तस्वीर को हटा दें. स्वास्थ्य विभाग को लिखे पत्र में चुनाव आचार संहिता के नियमों के तहत उसे पालन करने को कहा है. टीएमसी ने इसे चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन बताते हुए चुनाव आयोग से शिकायत की थी. कहा गया है कि वैक्सीन एक केन्द्र की योजना है और बंगाल के चीफ इलेक्ट्रल ऑफिसर इस मुद्दे पर रिपोर्ट चुनाव आयोग को सौपेंगे. चुनाव आयोग ने सुझाव दिया है कि चुनावी राज्यों- पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और केन्द्र शासित प्रदेश पुडुचेरी से फोटो को हटाया जाना चाहिए.


समाचार एजेंसी पीटीआई ने प्राप्त सूचनाओं के अनुसार बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजे गए एक पत्र में चुनाव आयोग ने आचार संहिता के कुछ प्रावधानों का हवाला दिया है जो सरकारी खर्च पर विज्ञापन पर पांबदी लगाते हैं. चुनाव आयोग और मंत्रालय के बीच हुए संवाद से वाकिफ सूत्रों ने बताया कि चुनाव आयोग ने किसी व्यक्ति या शख्सियत का हवाला नहीं दिया है, लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय से कहा है कि वह आचार संहिता के प्रावधानों का अक्षरश: पालन करे. सूत्र ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय को संभवत: अब फिल्टर का उपयोग करना पड़ेगा ताकि पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी (जहां-जहां चुनाव होने हैं) में कोविड-19 टीकाकरण के प्रमाणपत्र पर प्रधानमंत्री की तस्वीर ना छपे. सिस्टम में इस फिल्टर को अपलोड करने में समय लगेगा.


गौरतलब है कि कोरोना वैक्सीन लेने के बाद इसके लाभार्थियों को दिए जाने वाले डिजिटल कोविड-19 वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट्स पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तस्वीर के इस्तेमाल के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस चुनाव ने मंगलवार को चुनाव आयोग से शिकायत की थी. टीएमसी नेता डेरेक ओब्रायन ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि था चार राज्यों और एक केन्द्र शासित प्रदेश में चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद यह आचार संहिता का उल्लंघन है.


उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा था- चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है. पीएम मोदी की तस्वीर अब भी कोविड-19 डॉक्यूमेंट्स पर दिख रहे हैं. तृणमूल कांग्रेस चुनाव आयोग के साथ जोरदार तरीक से उठा रहा है. पीएम मोदी की तस्वीर वैक्सीन के लाभार्थियों को दिए जा रहे सर्टिफिकेट के ऊपर पीएम मोदी की तस्वीर आती है. टीएमसी ने तस्वीर को प्रधानमंत्री द्वारा अधिकार का दुरुपयोग करार दिया था. पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में विधानसभा चुनावों की घोषणा के बाद 26 फरवरी से आदर्श आचार संहिता प्रभावी है.


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