चुनाव आयोग ने मांगा राजनीतिक पार्टियों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का अधिकार
चुनाव आयोग ने राजीतिक पार्टियों की सदस्यता रद्द करने का अधिकार दिया जाने की मांग की है. आयोग का कहना है कि उसे ये अधिकार मिलने के बाद राजनीति में पार्दशिता आएगी और साथी ही इसका विकेंद्रीकरण भी होगा.
नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने राजनीतिक पार्टियों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का अधिकार दिए जाने की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे (Affidavit) में आयोग ने कहा है कि वो पार्टियों का रजिस्ट्रेशन तो करता है, लेकिन चुनावी नियम तोड़ने वाली पार्टियों के खिलाफ कार्रवाई का उसे अधिकार नहीं है. इसके लिए कानून में बदलाव किया जाना चाहिए.
आयोग ने जिस याचिका के जवाब में ये हलफनामा दाखिल किया है, उसमें सजायाफ्ता लोगों को पार्टी पदाधिकारी (ऑफिशियल) बनने या नई पार्टी बनाने से रोकने की मांग की गई थी. याचिका में ये भी कहा गया था कि अगर कोई पार्टी आपराधिक मामले में दोषी नेता को पदाधिकारी बनाए रखे तो उसका रजिस्ट्रेशन रद्द होना चाहिए.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ये साफ कर दिया था कि वो दागी नेताओं के पार्टी में बने रहने या नई पार्टी बनाने से रोकने पर विचार नहीं करेगा. लेकिन चुनाव आयोग को पार्टियों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का अधिकार दिए जाने पर विचार करेगा.
इसी मसले पर आयोग ने जवाब दाखिल किया है. आयोग ने ये भी कहा है कि वो 20 साल से केंद्र सरकार से कानून में बदलाव का अनुरोध कर रहा है. लेकिन सरकार ने इस मसले पर सकारात्मक रवैया नहीं दिखाया है. मामले पर सोमवार को सुनवाई है. केंद्र सरकार ने अब तक इसपर अपना जवाब दाखिल नहीं किया है.
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