नई दिल्ली: आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी कानपुर रैली में एक बड़ी बात कही, उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे का सही हिसाब दिया जाना चाहिए. दरअसल चुनाव आयोग ने सरकार से सिफारिश की है कि राजनीतिक दलों को मिलने वाले 20 हजार से कम के बेनामी चंदे की सीमा घटाकर दो हजार कर दी जाए.



चुनाव आयोग ने तीन सिफारिशें की हैं




  • सरकार राजनीतिक दलों को 2000 रूपये और इससे ज्यादा के अज्ञात चंदे पर पाबंदी के लिए कानून में संशोधन करे.

  • चुनाव नहीं लड़ने वाले राजनीतिक दलों को आयकर से छूट न दी जाए. सिर्फ लोकसभा या विधानसभा चुनाव में सीटें जीतने वाले दलों को ही यह छूट मिले.

  • राजनीतिक दल कूपन के जरिये चंदा देने वालों का भी पूरा ब्योरा रखें.


किस पार्टी ने कितना चंदा लिया
इसी साल एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक 20 हज़ार से कम चंदा दिखाने में बीजेपी नंबर एक पर है. इस साल बीजेपी को चंदे से 872 करोड़ रुपए मिले, जिसमें उसने 434 करोड़ 67 लाख रुपए का चंदा 20 हजार से कम चंदे की शक्ल में बताया है.


कांग्रेस को इस साल करीब 207 करोड़ रुपए मिले. कांग्रेस ने बताया है कि इसमें से 65 करोड़ 58 लाख रुपए उसे 20 हजार से कम चंदे की शक्ल में मिले हैं. बीएसपी ने तो पार्टी को 92 करोड़ 80 लाख के पूरे चंदे को ही बता दिया कि वो 20 हज़ार से कम चंदे के रूप के तौर पर मिला है.


यही वजह है कि एडीआर के रिपोर्ट के अनुसार राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाली 75 फीसदी रकम का स्त्रोत अज्ञात है. लोकसभा चुनाव 2004 और लोकसभा चुनाव 2014 के बीच राजनीतिक दलों को मिले चंदे में 478 फीसदी का इजाफा हुआ है


भले ही नोटबंदी के बाद सरकार डिजिटल ट्रांजेक्शन पर जोर दे रही है लेकिन साल 2004 से 2015 के बीच हुए विधानसभा चुनावों में विभिन्न राजनीतिक पार्टियों को 2,100 करोड़ रुपये चंदा मिला, जिसका 63 फीसदी हिस्सा कैश से आया था.


फिलहाल चुनाव आयोग अपनी सिफारिश कानून मंत्रालय को भेज चुका है और उसने सरकार को इस संबंध में कानून में ज़रूरी बदलाव करने की सलाह दी है. अब ये देखऩा दिलचस्प होगा कि मोदी सरकार चुनाव आयोग के इस प्रस्ताव पर क्या करती है और क्या इस पर सभी राजनीतिक दलों की एक राय हो सकती है.