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RVM: क्या है रिमोट वोटिंग मशीन, जिसे लेकर EVM की तरह ही गढ़ी जा रही हैं थ्योरी

Election Commission RVM: चुनाव आयोग का कहना है कि रिमोट वोटिंग मशीन अपने निर्वाचन क्षेत्र से दूर रहने वाले मतदाताओं को बड़ी संख्या में वोट करने के लिए प्रेरित करेगी.

Remote Votong Machine: किसी भी चुनाव में बहुत से मतदाता ऐसे होते हैं, जो नौकरी समेत कई वजहों से मतदान नहीं कर पाते हैं. क्या कोई ऐसा तरीका हो सकता है कि राज्य से बाहर रह रहे मतदाता अपने पसंदीदा प्रत्याशी के लिए वोट डाल सकें. दरअसल, चुनाव आयोग ऐसे मतदाताओं, जो देश के किसी भी हिस्से में हो या नौकरी जैसे कई कारणों की वजह घर से दूर हों, उनके लिए रिमोट वोटिंग मशीन यानी आरवीएम (RVM) की सौगात लाने वाला है.

चुनाव आयोग आज (16 जनवरी) को देश के राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के सामने रिमोट वोटिंग मशीन यानी आरवीएम (RVM) का प्रदर्शन किया. प्राप्त जानकारी के अनुसार, चुनाव आयोग रिमोट वोटिंग मशीन को लेकर सियासी दलों से चर्चा करेगा. इसके साथ ही उनसे 31 जनवरी 2023 तक आरवीएम से जुड़े मुद्दों पर अपने विचार लिखित में देने की मांग की है. हालांकि, कई सियासी दलों ने ईवीएम की तरह ही आरवीएम पर सवाल खड़े करना शुरू कर दिया है.

रिमोट वोटिंग मशीन क्या है?

रिमोट वोटिंग मशीन यानी आरवीएम के बारे में सबसे पहले जानकारी बीते साल 29 दिसंबर को सामने आई थी. चुनाव आयोग ने इसके बारे में बताते हुए कहा था कि आरवीएम के जरिये घरेलू प्रवासी नागरिक यानी अपने गृह राज्य से बाहर रह रहे मतदाता भी वोट डाल सकते हैं. उदाहरण के तौर पर अगर कोई मतदाता कानपुर में पैदा हुआ है और किसी कारण से दूसरे राज्य या किसी अन्य जगह रह रहा है. इस स्थिति में वो मतदाता वोट नहीं कर पाता है. आरवीएम की मदद से ऐसे मतदाताओं को भी वोटिंग का अधिकार दिया जाएगा. ईवीएम की तरह ही आरवीएम के लिए किसी तरह के इंटरनेट या कनेक्टिविटी की जरूरत नहीं होती है.

बनाए जाएंगे आरवीएम सेंटर

चुनाव आयोग के अनुसार, ऐसे वोटरों के लिए आरवीएम सेंटर बनाए जाएंगे. इन आरवीएम सेंटर्स पर जाकर वोटर अपने निर्वाचन क्षेत्र की जानकारी ले सकता है. निर्वाचन क्षेत्र को चुनने पर मतदाता के सामने प्रत्याशियों की लिस्ट आ जाएगी. जिनमें से वो अपने पसंदीदा प्रत्याशी को बिना गृह राज्य लौटे ही वोट कर सकेगा. इस तरह से  मतदाताओं को वोट डालने के लिए वो जहां हैं, वहीं से उन्हें वोट डालने का अधिकार मिल जाएगा. इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड की ओर से बनाई गई इस रिमोट वोटिंग मशीन में एक साथ 72 निर्वाचन क्षेत्रों के लिए मतदान करवाया जा सकता है.

आरवीएम के तहत वोट डालने के लिए क्या करना होगा?

प्रवासी मतदाताओं यानी किसी अन्य जगह रह रहे वोटरों को एक निश्चित समय के अंदर रिमोट वोटिंग के लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन करना होगा. आवेदन के दौरान मतदाता की ओर से दी गई जानकारी को चुनाव आयोग की टीम उनके गृह निर्वाचन क्षेत्र की जानकारियों से प्रमाणित करेगी. प्रमाणित हो जाने पर प्रवासी मतदाताओं के लिए वोटिंग के समय आरवीएम सेंटर स्थापित किए जाएंगे. वोटर आईडी कार्ड को आरवीएम पर वोटिंग के लिए स्कैन किया जाएगा, जिसके बाद मतदाता को मताधिकार के इस्तेमाल का मौका मिलेगा. 

कैसे गिने जाएंगे आरवीएम के वोट?

आरवीएम में लगभग सभी चीजें ईवीएम की तरह ही काम करती हैं. ईवीएम की यूनिट की तरह ही आरवीएम की यूनिट राज्य, निर्वाचन क्षेत्र और उम्मीदवार को दिया गया वोट दर्ज हो जाएगा. आरवीएम के साथ लगी वीवीपैट मशीन में भी ईवीएम की तरह ही पर्ची में सारे विवरण प्रिंट होकर वोटर को दिखेंगे. मतगणना के दौरान आरवीएम में दिए गए वोट के आंकड़ों को संबंधित निर्वाचन क्षेत्र के कुल वोटों से जोड़ दिया जाएगा. 

क्यों पड़ी आरवीएम की जरूरत?

चुनाव आयोग का कहना है कि रिमोट वोटिंग मशीन (RVM) अपने निर्वाचन क्षेत्र से दूर रहने वाले मतदाताओं को वोट करने के लिए प्रेरित करेगी. चुनाव आयोग ने बताया कि मतदान में कमी के पीछे बड़े कारणों में से एक घरेलू प्रवासियों का मतदान न कर पाना भी है. अगर अपने निर्वाचन क्षेत्र से दूर रह रहे मतदाताओं को इस तरह की सुविधा मिलेगी, तो निश्चित तौर पर वो मतदान करने के लिए आएंगे.

चुनावों में वोटिंग प्रतिशत की बात करें, तो भारत में आज भी बड़ी संख्या में मतदाता वोटिंग नहीं कर पाते हैं. चुनाव आयोग ने इसके पीछे के कारणों को जानने की कोशिश की. चुनाव आयोग के अनुसार, लोगों के वोट न देने के तीन बड़े कारण सामने आए, जिनमें शहरों में चुनाव के प्रति उदासीनता, युवाओं की कम भागीदारी और प्रवासी नागरिकों का दूर रहना शामिल है. दरअसल, बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जो मताधिकार का इस्तेमाल करना चाहते हैं, लेकिन बाहर रहने के वजह से वोट देने से वंचित रह जाते हैं. चुनाव आयोग का मानना है कि आरवीएम से वोट प्रतिशत बढ़ेगा.

कब हुई थी आरवीएम को लेकर शुरुआत?

कुछ साल पहले टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज ने इस विषय पर एक स्टडी की थी. जिसमें सामने आया था कि प्रवासी मतदाताओं के मताधिकार का इस्तेमाल न करने की वजह से मतदान पर असर पड़ता है. 29 अगस्त 2016 को चुनाव आयोग ने राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधियों के साथ इस पर चर्चा की. जिसमें इंटरनेट वोटिंग, प्रॉक्सी वोटिंग, तय तारीख से पहले मतदान और पोस्टल बैलेट से प्रवासियों के लिए वोटिंग कराने पर विचार किया गया. हालांकि, इस पर सहमति नहीं बन पाई. 

इसके बाद चुनाव आयोग ने आईआईटी के संस्थानों के साथ मिलकर रिमोट वोटिंग मशीन पर एक रिसर्च प्रोजेक्ट शुरू किया. इसमें मतदाताओं को उनके गृह राज्य से दूर मतदान केंद्रों पर टू-वे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम का इस्तेमाल करके बायोमेट्रिक डिवाइस और वेब कैमरे की मदद से वोट डालने की अनुमति देने की व्यवस्था बनाई गई. हालांकि, अभी से जिस तरह सियासी दलों ने आरवीएम को लेकर हो-हल्ला मचाना शुरू कर दिया है, उससे लगता नहीं है कि लोगों को जल्द आरवीएम का इस्तेमाल करने को मिल पाएगा.

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