Shiv Sena Name Symbol Row: शिवसेना पर अधिकार को लेकर एकनाथ शिंदे गुट और उद्धव ठाकरे गुट के बीच चल रही खींचतान के बीच शुक्रवार (17 फरवरी) को चुनाव आयोग ने बड़ा आदेश दिया. चुनाव आयोग (ECI) ने आदेश दिया कि पार्टी का नाम "शिवसेना" और पार्टी का प्रतीक "धनुष और बाण" (Bow And Arrow) एकनाथ शिंदे गुट के पास ही रहेगा. चुनाव आयोग का ये फैसला जहां उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) गुट के लिए बड़ा झटका है तो वहीं शिंदे गुट (Eknath Shinde) को बड़ी जीत मिली.
चुनाव आयोग के फैसले के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि ये बालासाहेब ठाकरे और आनंद दीघे के विचारों की विजय है. ये हमारे कार्यकर्ताओं, सांसदों, विधायकों, जनप्रतिनिधियों और लाखों शिवसैनिकों की जीत है. ये लोकतंत्र की जीत है. दरअसल, एकनाथ शिंदे के विद्रोह और उद्धव ठाकरे सरकार के पतन के बाद से ही दोनों गुट शिवसेना के नाम और धनुष-बाण के चुनाव चिह्न पर दावा कर रहे थे. मामला चुनाव आयोग के पास लंबित होने के कारण धनुष-बाण के चिह्न को फ्रीज कर दिया गया था. उपचुनाव के लिए, दोनों गुटों को दो अलग-अलग सिंबल आवंटित किए गए थे. जिसमें शिंदे गुट को दो तलवारें और एक ढाल और उद्धव गुट को मशाल का सिंबल दिया गया था.
चुनाव आयोग ने मामले में क्या पाया?
चुनाव आयोग ने देखा कि शिवसेना का वर्तमान संविधान अलोकतांत्रिक है. बिना किसी चुनाव के पदाधिकारियों के रूप में एक गुट के लोगों को अलोकतांत्रिक रूप से नियुक्त करने के लिए इसे विकृत कर दिया गया है. इस तरह की पार्टी की संरचना विश्वास को प्रेरित करने में विफल रहती है. चुनाव आयोग ने पाया कि 2018 में संशोधित शिवसेना का संविधान भारत के चुनाव आयोग को नहीं दिया गया है.
चुनाव आयोग ने देखा कि आयोग के आग्रह पर दिवंगत बालासाहेब ठाकरे की ओर से लाए गए 1999 के पार्टी संविधान में लोकतांत्रिक मानदंडों को पेश करने के कार्य को संशोधनों ने पूर्ववत कर दिया था. शिवसेना के मूल संविधान के अलोकतांत्रिक मानदंड, जिसे 1999 में आयोग की ओर से स्वीकार नहीं किया गया था, को गुप्त तरीके से वापस लाया गया है, जिससे पार्टी एक जागीर के समान हो गई है. चुनाव आयोग के फैसले पर ठाकरे गुट के नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी है.
ठाकरे गुट ने बताया लोकतंत्र की हत्या
शिवसेना (ठाकरे गुट) सांसद संजय राउत ने कहा कि हम नया चिह्न लेकर जनता के दरबार में जाएंगे और फिर एक नई शिवसेना खड़ी करके दिखाएंगे. ये लोकतंत्र की हत्या है. हम कानून की लड़ाई भी लड़ेंगे. उद्धव ठाकरे गुट के प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा कि चुनाव आयोग बीजेपी का एजेंट है. बीजेपी के लिए काम करता है. अब देश की जनता को विश्वास हो गया है.
किस आधार पर लिया ये फैसला?
विधानसभा में कुल 67 में से 40 विधायकों का समर्थन शिंदे गुट के साथ है. वहीं संसद में 13 सांसद शिंदे गुट के साथ और 7 उद्धव ठाकरे गुट के साथ हैं. केंद्रीय चुनाव आयोग (ECI) ने इसी आधार पर शिंदे गुट (Eknath Shinde) के पक्ष में फैसला दिया है.
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