केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि जम्मू कश्मीर में परिसीमन की कवायद पूरी होने और राजनीतिक दलों से सलाह के बाद विधानसभा चुनाव कराए जाएंगे. दिल्ली के तीन नगर निगमों के एकीकरण से संबंधित विधेयक पर लोकसभा में चर्चा के दौरान कुछ सदस्यों ने कश्मीर में विधानसभा चुनाव में देरी होने के विषय पर चिंता जाहिर की थी. चर्चा का जवाब देते हुए शाह ने कहा कि उन्होंने अनुच्छेद 370 के प्रावधान खत्म किये जाने के समय संसद में जो कहा था, वह सबके सामने है और रिकॉर्ड पर है.


शाह ने कहा कि उन्होंने साफ कहा था कि जम्मू कश्मीर में पहले पंचायत चुनाव होंगे, इसके बाद परिसीमन की कवायद होगी और यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद विधानसभा चुनाव कराए जाएंगे व जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल होगा.


उन्होंने कहा, 'पंचायत चुनाव बिना हिंसा के संपन्न हो गए. जिला पंचायत चुनाव हो चुके हैं. परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने वाली है. मैं यह बात एक बार फिर दोहराना चाहूंगा कि परिसीमन पूरा होने के बाद हम राजनीतिक दलों से सलाह करके चुनाव कराएंगे.'


जम्मू कश्मीर में जून 2018 से राष्ट्रपति शासन लागू है. बीजेपी ने तब मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार से समर्थन वापस लिया था. मोदी सरकार ने अगस्त 2019 में जम्मू कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था. जम्मू कश्मीर अब विधानसभा के साथ केंद्रशासित प्रदेश है.


6 मार्च, 2020 को, केंद्र सरकार, कानून और न्याय मंत्रालय (विधान विभाग) ने परिसीमन अधिनियम, 2002 की धारा 3 के तहत अधिकार का प्रयोग करते हुए एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें एक वर्ष की अवधि के लिए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नगालैंड राज्य में विधानसभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के मकसद से सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज (रिटायर्ड) रंजना प्रकाश देसाई की अगुआई में एक परिसीमन आयोग का गठन किया गया था. 


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