Detail: जानिए आखिर कैसे राहुल गांधी ने लिखी कांग्रेस की जीत की पटकथा
राहुल गांधी पहले छोटे भाषण दिया करते थे लेकिन इस बार राहुल ने साठ से ज्यादा रैलियों में आधे घंटे से ज्यादा भाषण दिया. पहले के मुकाबले सीधे-सीधे सरकार पर आरोप लगाए. नए नारे गढ़े. राफेल घोटाले का आरोप हो या नोटबंदी में घोटाले का, राहुल के भाषणों में असर दिखा.
नई दिल्ली: कांग्रेस तीन राज्यों में सरकार बनाने जा रही है. पार्टी इसे अपने अध्यक्ष राहुल गांधी का 'प्रचंड आरंभ' बता रही है. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राहुल का सिक्का चल गया है. पिछले साढ़े चार सालों में 16 राज्यों में हारने के बाद राहुल जीत की राह पर निकले हैं. छत्तीसगढ़ और राजस्थान के बाद मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है.
जीत के बाद राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि बीजेपी को हमने आज हराया है, 2019 में भी हराएंगे. पांच साल पहले जिन चुनावों से बीजेपी ने कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दिया था, पांच साल बाद उन्हीं राज्यों के चुनाव नतीजे आने के बाद राहुल गांधी कह रहे हैं कि वो जीत तो चाहते हैं लेकिन देश से किसी को मिटाना नहीं चाहते. बीजेपी जिस राहुल गांधी को 'लूजर' मानकर चल रही थी उन्होंने ये बाजी पलट दी.
नेताओं और समर्थकों दोनों को साधा
राजस्थान में सिंधिया वर्सेज कमलनाथ और मध्य प्रदेश में पायलट वर्सेज गहलोत की लड़ाई पुरानी है. कांग्रेस की हार में ये फैक्टर पहले भी प्रभावी रहे ये बात किसी से छिपी नहीं थी लेकिन इन चुनावों में राहुल ने सबको साध लिया था. राहुल ने मध्य प्रदेश और राजस्थान में नेताओं को दो टूक समझा दिया था कि नेतृत्व पर फैसला नतीजों के बाद होगा लेकिन चुनाव से पहले किसी भी तरह का विवाद जीत की राह का सबसे बड़ा रोड़ा बन सकता है. बीजेपी ने इसे मुद्दा बनाने की कोशिश भी की लेकिन जनता के सामने दोनों ही राज्य के नेता हाथ में हाथ मिलाए दिखते रहे. चुनौती नेताओं के साथ उनके समर्थकों को भी साधना था. राहुल ने इस चैलेंज को कबूल किया. जब जीत मिली है तो राहुल गांधी ने कार्यकर्ताओं को 'बब्बर शेर' बताया.
राहुल गांधी की जमीनी मेहनत
राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश और राजस्थान में पूरी बीजेपी से ज्यादा मेहनत की. मध्य प्रदेश में राहुल ने 27 रैलियां की जिनका प्रभाव 99 सीटों पर था. कांग्रेस को 53 सीटों पर जीत मिली. राजस्थान में राहुल ने 22 रैलियां की जिनका प्रभाव 100 सीटों पर रहा. यहां भी 48 सीटें कांग्रेस ने जीतीं. आधी से ज्यादा सीटें जीतकर राहुल गांधी ने ये भी साबित कर दिया कि जनता के बीच अब उनकी पहुंच बढ़ी है.
बीजेपी की मांद में घुसकर चुनौती दी
कांग्रेस अध्यक्ष ने इन चुनावों में बीजेपी की मांद में घुसकर मात देने की रणनीति बनाई. चुनाव की शुरुआत से पहले ही राहुल मंदिर-मंदिर जाने लगे. अल्पसंख्यकों की पार्टी होने का ठप्पा मिटाने के लिए राहुल ने मंदिरों के चक्कर लगाए. बीजेपी ने मजाक उड़ाया लेकिन राहुल ने सॉफ्ट हिंदुत्व का साथ नहीं छोड़ा. पुष्कर मंदिर में जाने पर बीजेपी ने गोत्र का मुद्दा बनाया लेकिन राहुल डिगे नहीं और नतीजों में अब वो दिख रहा है.
मध्यप्रदेश में राहुल गांधी ने पांच मंदिरों में जाकर 28 सीटों को कवर किया. इनमें से कांग्रेस ने 13 सीटें जीतीं. राजस्थान में तीन मंदिर के दरवाजे पर पहुंचे जिनका 28 सीटों पर प्रभाव था. यहां कांग्रेस को 12 सीटों पर जीत मिली.
आक्रमण के सामने विनम्र
चुनाव प्रचार में बीजेपी के निशाने पर राहुल गांधी रहे. राहुल के अधूरे भाषणों के दर्जनों वीडियो वायरल हुए लेकिन राहुल ने शालीनता नहीं छोड़ी. जनता के सामने विनम्र होने की छवि पेश की. यही वजह है कि जीत के बाद भी बीजेपी की पुरानी सरकारों के काम को गिनाते रहे.
पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई थी. 44 सीटों पर सिमटी कांग्रेस की वापसी होगी ऐसा लोग मानने के लिए तैयार नहीं थे लेकिन राहुल ने कार्यकर्ताओं में जोश बनाए रखा. बीजेपी की गलतियों को हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया. अब जब राहुल जीते हैं तो मोदी की नाकामियों को जीत की वजह भी बता रहे हैं.
राहुल गांधी पहले छोटे भाषण दिया करते थे लेकिन इस बार राहुल ने साठ से ज्यादा रैलियों में आधे घंटे से ज्यादा भाषण दिया. पहले के मुकाबले सीधे-सीधे सरकार पर आरोप लगाए. नए नारे गढ़े. राफेल घोटाले का आरोप हो या नोटबंदी में घोटाले का, राहुल के भाषणों में असर दिखा. इसके अलावा राहुल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की और जहां भी मौका मिला मीडिया से बात करने से नहीं हिचके. वे जनता के बीच में तो दिखे ही, इसके साथ मीडिया में भी छाए रहे और अब नतीजा सबके सामने है.